पेयजल एवं स्वच्छता पर ‘‘अल्हादाखेड़ी’’ के बाल पत्रकार

जब हम खाना पकाते हैं, अगर हम उसमें गंदे पानी का प्रयोग कर लेते हैं, तो उससे खाना दूषित होता हैं और हमें कई बीमारियाँ हो सकती है। खाद्य पदार्थ हमेशा ढककर रखने से उसमें मक्खियां नहीं बैठती और खाने में गंदगी भी नहीं होती। खाना खाने से पहले हाथ धोना चाहिए। मटके में से पानी डंडी वाले लोटे से ही निकालना चाहिए, क्योंकि जो हमारे हाथों मे मैल रहता है, तो जब हम पानी निकालते हैं तो उससे हमारे शरीर में बैक्टीरिया चले जाते हैं, जिससे हमें कई बीमारियाँ हो सकती हैं। स्वैच्छिक संस्था समर्थन द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से सीहोर जिले के बच्चों को बाल पत्रकारिता का प्रशिक्षण दिया गया। अल्हादाखेड़ी गांव के बाल पत्रकारों द्वारा पानी एवं स्वच्छता के मुद्दे पर लिखी गईं रिपोर्ट्स -

पेयजल व्यवस्था में हो सुधार - रूमा, 10वीं


हमारे गांव में कुल 5 हैंडपंप हैं, जिनमें से 2 हैंडपंप हमेशा चलते हैं, 2 हैंडपंप कभी चलते हैं तो कभी बंद हो जाते हैं और 5वां हैंडपंप तो जबसे लगा है चलता ही नहीं।

पहला हैंडपंप श्मशान वाला नाम से जाना जाता है। वह करीबन 15 वर्ष पहले लगा था पर उसमें कभी पानी खत्म नही होता। दूसरा नहर वाला हैंडपंप के नाम से जाना जाता है, वह कभी खराब नहीं होता। उसे लगे करीब 5 से 6 वर्ष हो गए हैं। तीसरा हैंडपंप हनुमान मंदिर वाला के नाम से जाना जाता है। वह हैंडपंप बहुत पुराना है, वह कभी बंद कभी चालू हो जाता है। गांव में इनके अलावा दो अन्य हैंडपंप हैं।

हमारे जो दो हैंडपंप हैं, जिन्हें हम पीने के पानी के लिए ज्यादा उपयोग करते हैं, उन्हीं हैंडपंप की प्लेट टूटी हुई है। और जो 3 हैंडपंप हैं, उनकी भी प्लेट टूटी हुई है। और हैंडपंप का जो पानी सोख्ते गड्ढे में जाना चाहिए, वह पानी बाहर बहता है। वहां मच्छर पनपते हैं। हमें वह काटते हैं तो हमें मलेरिया हो जाता है। इस बात को हमने गांव के बाल सूचना पटल पर भी लिखा था, पर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।

गंदगी बढ़ गई, घटी नही - रूमा, 10वीं


हमारे गांव के नहर वाले हैंडपंप पर बहुत सारी महिलाएं पानी भरने आती हैं। वह बहुत पानी देता है। वहां ज्यादा भीड़ होने से पानी फैलता है तो कीचड़ मचता है और मच्छर पनपते हैं। सरपंच ने सोचा कि यहां सोख्ता गढ्ढा बन जाए तो कीचड़ नहीं होगा। वहां गढ्ढा बन गया, पर वह बहुत बड़ा हो गया, तो सरपंच उस गढ्ढे को भर नहीं पाए, क्योंकि उसमें बहुत पत्थर भरने पड़ते। अब आसपास के लोग उसमें कचरा डालने लगे। और तो और वह गढ्ढा आशा कार्यकर्ता के घर के सामने है, पर उसने दूसरे को कभी मना नही किया। आज वहां गंदगी कम नहीं हुई है, बल्कि बढ़ गई है।

मेरा प्यारा स्कूल - रानी, 8वीं


मेरे स्कूल का नाम शासकीय माध्यमिक शाला जहांगीरपुरा है। मेरा स्कूल बहुत अच्छा है। मेरा स्कूल 10:30 पर लगता है एवं 4 बजे छुट्टी होती है। मेरे स्कूल में खेलने का समान भी देते हैं। स्कूल में हम रस्सी खेल खेलते हैं। हमारे स्कूल में 8 कक्ष हैं एवं एक ऑफिस है। हमारे स्कूल में 8 मैडम व 3 सर हैं। हमारे स्कूल में बेंच व टेबल पर बैठते हैं। हमारे स्कूल में एक हैंडपंप है, जिसके पानी से हमारे स्कूल में भोजन बनाते हैं। हमारे स्कूल में एक टंकी भी है, जिसमें पानी भरते हैं। हैंडपंप के पास गंदगी होती है, तो हम उसे साफ कर देते हैं। हमारे स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है। हमारे स्कूल में बहुत बड़ा मैदान है, वहीं पर एक बहुत बड़ा नीम का पेड़ है। हमारे स्कूल में फिसल पट्टी है। हमारे स्कूल में 1:30 पर भोजन करते हैं। भोजन करवाने से पहले साबुन से हाथ धुलवाते हैं। हम पट्टी पर बैठकर भोजन करते हैं। हमारे स्कूल में अच्छा भोजन मिलता है। हम भोजन करते हैं, तो हमारे सर मैडम थाली साफ नहीं करवाते हैं।

स्कूल में ग्राउंड व पानी की समस्या - रानी, 8वी


हमारे गांव के स्कूल में खेलने का मैदान नहीं है। जब हमारा लंच होता है, तो 1 घंटा खेलना होता है तो हम कहां खेलें। हमने यह बात बहुत बार बाल सूचना पटल पर लिखी है, पर उससे कुछ फायदा नहीं हुआ, तो हम कहां खेलने जाएं। हमारे स्कूल में एक दिन सरपंच आए, तब हमने सोचा सब मिलकर सरपंच को बता देते हैं। हमने सरपंच से बोला कि हमारे स्कूल में खेल का मैदान नहीं है, तो उन्होंने कहा कि यहां तो ऐसी जगह नहीं है तो डाईट में मैदान बनवा सकते हैं, तो हमने मना कर दिया कि नहीं सर, हम वहां खेलने नहीं जा सकते। फिर उन्होंने बोला कि आप क्यों नहीं जाओगे, तो हमने बोला - बहुत दूर है, जब तक हम वहां पहुंचेंगे तब तक हमारा स्कूल लग जाएगा, तो हम कैसे जाएं?

हमारे स्कूल के आगे एक हैंडपंप है पर उसमें पानी नहीं आता है तो जो स्कूल में खाना बनाने वाली है, वह अपने घर से पानी लेकर आती है, फिर खाना बनता है और स्कूल के बच्चे भी अपने घर से पानी की बॉटल लाते हैं, तो हम चाहते हैं कि वह हैंडपंप ठीक हो जाए। हैंडपंप 2 महीने से बंद है। जब कम पानी रहता है, तो बर्तन ठीक से साफ नहीं होंगे व कम पानी से अच्छा खाना नहीं बनता। बच्चे अपने घर से पानी लेकर आते हैं तो कभी-कभी पानी खत्म हो जाता है, तो जो बच्चे घर जाते हैं वह लौटकर नही आते।

हम बने पर्यावरण मित्र - नेहा, 7वीं


हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ रखने के लिए आसपास को साफ रखना चाहिए। जो आसपास की गंदगी है, उसको भी साफ करवाना चाहिए और हमें भी गंदगी नहीं करना चाहिए। अगर हम ही पर्यावरण को स्वच्छ नहीं रखेंगे, तो हम पर्यावरण मित्र नहीं बन सकते। जब हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ नही होगा, तो हमें कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है, इसलिए हमारे आसपास का वातावरण स्वच्छ रखना जरूरी हैं।

जब हम खाना पकाते हैं, अगर हम उसमें गंदे पानी का प्रयोग कर लेते हैं, तो उससे खाना दूषित होता हैं और हमें कई बीमारियाँ हो सकती है। खाद्य पदार्थ हमेशा ढककर रखने से उसमें मक्खियां नहीं बैठती और खाने में गंदगी भी नहीं होती। खाना खाने से पहले हाथ धोना चाहिए। मटके में से पानी डंडी वाले लोटे से ही निकालना चाहिए, क्योंकि जो हमारे हाथों मे मैल रहता है, तो जब हम पानी निकालते हैं तो उससे हमारे शरीर में बैक्टीरिया चले जाते हैं, जिससे हमें कई बीमारियाँ हो सकती हैं। और जो बीमारियाँ हमें होती हैं, वो दूसरों को भी लग जाती है। हमें शौचालय में जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि हम अगर बाहर जाते हैं, तो उससे प्रदूषण भी होता है और गंदगी भी। और सूअर को आकर्षित करते हैं। हम जो हमारे घर का गंदा पानी बाहर फेंकते हैं, तो उससे भी प्रदूषण होता है। जमा पानी से मच्छर होते हैं। कूड़ा और बाहर फेंके गए कचरे से कीट और जानवर आकर्षित होते हैं। जलाशय पर विभिन्न कार्यों से पानी दूषित होता है और वही पानी पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। हैंडपंप का टूटा प्लेटफॉर्म शुद्ध जल को दूषित करता है।

गांव को स्वच्छ बनाएं सरपंच जी - नेहा, 7वीं


हमारे गांव में एक स्कूल है, आंगनवाड़ी भी है और वहां छोटी-छोटी दुकानें भी हैं। गांव में रोड नहीं है। पहले घर-घर शौचालय भी नहीं थे, फिर अधिकतर लोगों ने शौचालय बना लिए। गांव के बच्चों ने रोड बनाने के लिए सूचना पटल पर लिखा। आंगनवाड़ी के पास एक बरगद का पेड़ है, जिसके पास बहुत सारा कीचड़ मचा रहता है, जिससे वहां से स्कूल के बच्चे निकलते हैं तो उनकी साफ ड्रेस गंदी हो जाती है। वहीं की दूध डेयरी के पास भी कीचड़ मचा रहता है। बारिश में तो सारे रास्तों पर कीचड़ जमा हो जाता है, जिससे निकलने में दिक्कत होती है। कई रास्तों पर तो गड्ढे रहते हैं और हैंडपंप के पास भी पानी भरा रहता है। सोख्ते गड्ढे नहीं है, जिससे वहां का पानी हैंडपंप में वापस मिल जाता है, तो वह गंदा पानी अच्छे पानी को दूषित कर देता है और जब वह दूषित पानी हम पीते हैं, तो हमें कई प्रकार की बीमारियाँ हो सकती है।

हमारा सरपंच जी से यह निवेदन है कि वह गांव में रोड बनवाएं, हैंडपंपों के पास सोख्ते गड्ढे बनवाएं। हमारे गांव में पंचायत भवन का होना भी बहुत जरूरी है।

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