पानी के नाम पर लोगों की सेहत से माफिया कर रहे खिलवाड़

नगर निगम यहां की 90 फीसद आबादी को पीने के पानी के आपूर्ति करता है। हालांकि यह पानी भी पीने के योग्य नहीं है फिर भी लोग घरों में आर ओ और पानी पीने लायक करने के लिए दूसरे साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। निगम के अधिकारियों को लोगों का यह तरीका पसंद नहीं है। लिहाजा आम तौर से निगम के नलकूप किसी न किसी बहाने बंद रहते हैं। इसके चलते लोगों को महंगी दर पर बोतल बंद पानी और टैंकरों से महंगा पानी खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है। जल माफिया और अधिकारियों की सांठ-गांठ के चलते फरीदाबाद के लोग एक-एक बूंद पानी को तरस गए हैं। निगम अधिकारियों की मिली-भगत से फरीदाबाद में पानी का अवैध दोहन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। निगम की मौजूदा नीति के चलते पीने के पानी की आपूर्ति जरूरत से एक चौथाई रह गई है।

इसके चलते बोतल बंद पानी का कारोबार तेजी से बढ़ गया है। बोतल बंद पानी को पीकर दर्जनों बच्चे और उम्रदराज लोग जलजनित बीमारियों के शिकार हो गए हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारी बोतल बंद पानी की कागजी जांच कर खाना पूर्ति कर रहे हैं।

पीने के पानी की किल्लत का आलम यह है कि आए दिन पानी की मांग को लेकर महिलाएं सड़कों पर जाम लगा रही हैं। नगर निगम दफ्तर और लघु सचिवालय पर महिलाएं मटका फोड़ प्रदर्शन कर रही हैं। आए दिन दर्जनों धरने-प्रदर्शन और रोड जाम करने का सिलसिला जारी है पर इस समस्या का निदान नहीं किया जा रहा है।

हालांकि निगम की ओर से दो दर्जन से ऊपर मोबाइल नंबर देकर संबंधित अधिकारियों को ज़िम्मेदारी सौंपी है पर जब नलकूप पानी ही नहीं दे रहे तो यह अधिकारी भी क्या करेंगे। इस क्षेत्र का पानी तो अवैध बोटलिंग प्लांट को दोहन करने के लिए अधिकारियों ने खुला छोड़ दिया है। जेई और नलकूप चालक को जनता को क्या जवाब देंगे नगर निगम के चीफ इंजिनियर डीआर यादव अपने मोबाइल पर किसी की गुहार सुनते ही नहीं।

फरीदाबाद नगर निगम क्षेत्र में पानी के अवैध दोहन के चलते भूमिगत जल स्तर 150-200 फुट नीचे चला गया है। एनआइटी क्षेत्र और अरावली की पहाड़ियों में दर्जनों पानी बोटलिंग के प्लांट लगे हुए हैं। खास बात यह है कि इनमें से ज्यादातर प्लांटों ने औपचारिकताएं भी पूरी नहीं की हैं। ये सब नगर निगम अधिकारियों, पर्यावरण विभाग की मिली भगत से आधे-अदूरे मापदंडों के सहारे बोतल बंद पानी का कार्य कर रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक इन प्लांटों का पानी पीने लायक नहीं है फिर भी सुरक्षा विभाग ने इस ओर से आंखें फेरी हुई हैं। इस सिलसिले में खाद्य सुरक्षा अधिकारी डीआर शर्मा से कई बार प्रयास करने पर भी बात नहीं हो पाई। शर्मा मोबाइल पर बात करने के लिए उपलब्ध ही नहीं होते।

आम आदमी मिलावटी खाद्य पदार्थ खाएं या गंदा पानी पीएं इससे इस अधिकारी को कोई सरोकार नहीं है। एनआइटी क्षेत्र में बोतल बंद पानी का अवैध कारोबार हो रहा है, हालांकि यहां स्थित इस प्लांट ने अपने आजू-बाजू निगम की जगह पर बाड़ लगा कर कब्जा किया हुआ है।

यहां पानी की बोतलों में कीड़े-मकोड़े के अलावा छिपकली तक मिल जाती है पर आज तक शिकायत के बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस इलाके की कंपनी के बोतल से पानी पीने से भारत कालोनी के पांच लोग अस्पताल पहुंच गए। 30 फुट पर रहने वाले विनोद ने बताया कि मंगलवार को उसका बेटा अमृत जल की 20 लीटर की बोतल लेकर आया था। इसका पानी पीने से पांच जनों का यह परिवार उल्टी दस्त के शिकार हो गए। बोतल में काई लगी हुई थी।

इसी तरह एनाइटी पांच नंबर में रहने वाले नरेंद्र शर्मा ने बताया कि वह अमृत जल फैक्टरी से पानी की बोतल भरवा कर लाता है पर पिछले एक सप्ताह से यहां बेहद खराब पानी भरकर दिया जा रहा है। नरेंद्र का कहना है कि प्लांट में बोतल भरने की रसीद तक नहीं दी जाती। इसकी शिकायत कई बार निगमाधिकारियों को की गई पर अब तक कोई रचनात्मक कार्रवाही नहीं हुई है।

नगर निगम यहां की 90 फीसद आबादी को पीने के पानी के आपूर्ति करता है। हालांकि यह पानी भी पीने के योग्य नहीं है फिर भी लोग घरों में आर ओ और पानी पीने लायक करने के लिए दूसरे साधनों का इस्तेमाल कर रहे हैं। निगम के अधिकारियों को लोगों का यह तरीका पसंद नहीं है। लिहाजा आम तौर से निगम के नलकूप किसी न किसी बहाने बंद रहते हैं। इसके चलते लोगों को महंगी दर पर बोतल बंद पानी और टैंकरों से महंगा पानी खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है।

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