होशंगाबाद जिले में पेयजल की कमी संकट के रुप में दिखाई दे रही है। इसका कारण भूमि के जल स्तर का लगातार गिरना है। गर्मी के दौर में यह समस्या विकराल रूप के सामने आ सकती है। 1 लाख 20 हजार की आबादी के क्षेत्र में मात्र 20 मकान ऐसे हैं जहां इस सिस्टम को लगाया गया है। भू-जल स्तर को बढ़ाने के लिए आवश्यक है वर्षा जल के संचयन (वाटर हार्वेस्टिंग) की। जल संकट से निजात पाने के लिए एक मात्र उपाय है व्यर्थ बहने वाले वर्षा जल को एकत्रित कर विभिन्न संरचनाओं के माध्यम से जमीन में उतारकर जलस्तर में वृद्धि की जाए। शहरी क्षेत्र में रिहायशी बस्तियों एवं मकानों की छतों से वर्षा के मौसम में करोड़ों लीटर जल बहकर व्यर्थ हो जाता है। एक गणना के अनुसार 1000 वर्गफीट की छत से एक सेमी बारिश होने पर लगभग एक हजार लीटर पानी बहकर निकल जाता है। जिले में प्रतिवर्ष औसतन 1300 सेमी वर्षा होती है, ऐसी स्थिति में लगभग एक लाख लीटर पानी विभिन्न स्रोत के माध्यम से बाहर निकल जाता है। छत के वर्षा जल को रूफ वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक के माध्यम से सीधे नलकूप या अन्य जलस्रोत में पहुँचा दिया जाता है तो आने वाले समय में जलस्तर में वृद्धि होगी।
रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
छत से आने वाले जल निकासी पाईप को रूफ वाटर हार्वेस्टिंग फिल्टर से जोड़ दिया जाता है, फिल्टर के दूसरे सिरे को एक अन्य पाईप के माध्यम से नलकूप से जोड़ा जाता है। फिल्टर के साथ लगी ‘टी’ से जैविक प्रदूषण को रोकने के लिए समय-समय पर सोडियम हाइपोक्लोराइड या पोटेशियम परमेंगनेट(लाल दवाई) का घोल नलकूप या अन्य जलस्रोत में डाला जाता है, छत से आने वाली गंदगी एवं धूल के कारण फिल्टर चोक हो जाने की स्थिति में ‘टी’ के माध्यम से ही उसे बेकवाश भी किया जाता है।
230 में से सिर्फ 14 घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
इटारसी। घर और अन्य भवन निर्माण के पहले नगरपालिका भले ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर शुल्क जमा करा रही हो लेकिन अब तक शहर के कुछेक घरों में ही बारिश की बूंदें सहेजने के जतन हुए हैं। इस बात का खुलासा खुद नपा के आंकड़े करते हैं। नपा ने पिछले साल करीब 230 भवन निर्माण की स्वीकृति दी है। जबकि रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम सिर्फ 14 लोगों ने ही लगवाए हैं। भूजल स्तर को बेहतर बनाने प्रदेश के सभी नगरीय क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया गया है। नपा द्वारा नए भवन की स्वीकृति के दौरान सिस्टम लगाने के एवज में 3 हजार रुपए बतौर अमानत राशि जमा की जा रही है। साथ ही पुराने भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने वालों को उस साल संपत्ति कर में 6 प्रतिशत की छूट का प्रावधान भी है।
आंकड़े बताते हैं इस साल करीब 1100 मिमी बारिश हुई जो पिछले साल से तकरीबन 200 मिमी कम है। बारिश की बूंदें सहेजने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होने से अधिकतर पानी सड़कों से होते हुए नाली और नदियों में बह गया। भवन निर्माण की स्वीकृति के दौरान वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर 3 हजार रुपए अमानत राशि जमा करती है। अधिकतर लोग वाटर हार्वेस्टिंग नहीं करा रहे। ऐसे में नपा में अमानत राशि जमा है। उपयंत्री एसएस बैस ने बताया, पूरे शहर में करीब 14 लोगों ने ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष यज्ञदत्त गौर ने कहा, इस राशि से वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का काम एनजीओ या किसी निजी संस्था को दिया जा सकता है।
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