नेशनल जियोग्राफिक का 15 सदस्यीय महिला शोधार्थियों का दल नदी, सडक और रेल के रस्ते गंगा में प्लास्टिक कचरे को तलाशेगा। महिला शोधार्थियों की इस टीम में पञ्च शोधार्थी और इंजीनियर होंगे। यं दल गंगा नदी में प्लास्टिक कचरे के प्रवाह की जांच करने के लिए गंगोत्री ग्लेशियर से बंगाल की खाड़ी तक जाएगा। चार महीने तक चलने वाला यह अभियान दो महीने मई के अंत में और दो महीने मानसून के बाद तक चलेगा। गौरतलब है कि हर साल करीब 90 लाख मिट्रीक टन प्लास्टिक का कचरा दुनिया की जल प्रणालियों में डम्प किया जाता है, जो महासागरों में जाकर मिलता है। नेशनल सेंटर फॉर कोस्टल रिसर्च के अनुसार, भारत में महासागरों तक पहुंचने वाले कचरे में 60 फीसदी प्लास्टिक होता है।
“ पिछले साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि साल 2022 तक भारत में एक बार उपयोग होने वाले सभी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। भारत ने मार्च 2019 में चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में प्रस्ताव का समर्थन किया था।
60 करोड़ लोगों के जीवन का आधार है गंगा
गंगा नदी करीब 60 करोड़ लोगों के जीवन का आधार है। जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ लन्दन की वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार और अभियान की सह-प्रमुख वैज्ञानिक हीथर कोल्डेवी नेशनल जियोग्राफिक की अब तक की सबसे बड़ी महिला-अभियान का नेतृत्व कर रही हैं।
2022 तक एकल प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगेगा
पिछले साल पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि साल 2022 तक भारत में एक बार उपयोग होने वाली सभी प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। भारत ने मार्च 2019 में चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में प्रस्ताव का समर्थन किया था।
मछली पकड़ने के जाल से भी फ़ैल रहा प्रदूषण
चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. एस. श्रीनिवासालु ने बताया कि यह मछली पकड़ने के जाल और नदी के किनारे बसे शहरों में फेंकी गई पॉलिथीन व प्लास्टिक से आती है। हमें निर्जन द्वीपों के आसपास समुद्र की धाराओं द्वारा पहुंचाया गया प्लास्टिक मिला है।
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