मध्य प्रदेश में सिंचाई क्षमता का सिर्फ 55 फीसदी ही उपयोग

पिछले पांच साल में मध्य प्रदेश की सिंचाई क्षमता तो बढ़ी है, पर उसका भरपूर उपयोग नहीं हो रहा है। कुल सिंचाई क्षमता का सिर्फ 55 फीसदी का उपयोग हो पा रहा है। नई सरकार यह दावा कर रही है कि आने वाले समय में प्रदेश की सिंचाई क्षमता का पूरा उपयोग किया जाएगा।

प्रदेश में सिंचाई के लिए विकसित संरचनाओं के माध्यम से सिंचाई नहीं होने के कारण भूजल पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। अधिकांश कृषक सिंचाई के लिए भू-जल पर आश्रित हैं। भू-जल के दोहन से कई इलाके स्थाई रूप से सूखाग्रस्त हो चुके हैं।

जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 2008-09 में कुल निर्मित सिंचाई क्षमता 26.82 लाख हेक्टेयर थी, जिसमें से 9.77 लाख हेक्टेयर का उपयोग किया गया था। 2011-12 में यह क्षमता बढ़कर 29.57 लाख हेक्टेयर तो हो गई, पर इसका भरपूर उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसमें से सिर्फ 16.35 लाख हेक्टेयर का ही उपयोग किया जा रहा है। यह उपलब्ध क्षमता में से 55 फीसदी का ही उपयोग है। 2008-09 में निर्मित सिंचाई क्षमता का 36.43 फीसदी उपयोग किया था।

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