मानसून मेहरबान, आपदा प्रबंधन की तैयारी नहीं


सिंचाई विभाग के अधिकारी बाढ़ से निपटने की बात तो कहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि विभाग के पास अपने बाँधों की निगरानी के लिये भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। जिले में सिंचाई विभाग के 25 बाँध हैं। इनकी सुरक्षा एवं निगरानी का जिम्मा चंद लोगों के पास है।

अलवर। पिछले कई दिनों से पूर्वी राजस्थान में मानसून के मेहरबान होने एवं भारी वर्षा से धौलपुर में बाढ़ के हालात एवं भरतपुर में बाँध व नदियाँ लबालब होने से वहाँ भी ऐसे ही हालात बनने लगे हैं, ऐसे में हमारे अपने जिले अलवर में आपदा प्रबंधन के नाम पर सिर्फ कागजी आदेश ही दिखाई पड़ते हैं। हालाँकि मानसून के दौरान सिंचाई सहित सभी प्रमुख विभागों को आपदा प्रबंधन के समय रहते इंतजाम करने होते हैं, लेकिन जिले में हालात यह है कि यहाँ बाढ़ से बचाव के लिये सिंचाई विभाग एवं मत्स्य विभाग के पास एक नाव तक उपलब्ध नहीं है।

अलवर शहर में अब तक 368 मिमी बारिश दर्ज हो चुकी है जबकि जिले में ज्यादातर स्थानों पर यह आँकड़ा 250 मिमी. को पार कर चुका है। हालात यह है कि कभी रूपारेल पर तो कभी भर्तृहरि पुलिया पर पानी बहने लगता है। सिलीसेढ़, जयसमंद, देवती सहित अन्य बाँधों में पानी की आवक भी हो रही है। इसके बावजूद जिले में बाढ़ से बचाव एवं आपदा प्रबंधन के नाम पर मात्र सिंचाई विभाग का एकमात्र कंट्रोल रूम है। यह भी प्रतिदिन के बारिश व बाँधों में पानी की आवक के आँकड़े मुहैया कराने तक सीमित है।

जिले में बाढ़ से बचाव को एक नाव भी नहीं


जिले में भारी बारिश होने की स्थिति में यहाँ बाढ़ से बचाव के लिये एक नाव तक का इंतजाम नहीं है। न तो सिंचाई विभाग और न ही मत्स्य विभाग के पास नाव की व्यवस्था है और गोताखोर भी ठेके के हैं। प्रशासन का दावा है कि जरूरत पड़ने पर ठेकेदार के माध्यम से नाव व गोताखोर की व्यवस्था करा ली जाएगी। इसके अलावा सिंचाई विभाग बाँध आदि टूटने की स्थिति से निबटने के लिये मिट्टी से भरे 4 हजार कट्टे सहित 10 हजार खाली कट्टे बाँधों पर रखवाने का दावा करता है। यह बात अलग है कि प्रशासन आपदा प्रबंधन की तैयारियों मानसून से करीब चार महीने पहले से शुरू कर देता है। इसके लिये बैठकें कर विभिन्न प्रकार के निर्देश जारी किये जाते हैं।

बाँधों की निगरानी का टोटा


सिंचाई विभाग के अधिकारी बाढ़ से निपटने की बात तो कहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि विभाग के पास अपने बाँधों की निगरानी के लिये भी पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं। जिले में सिंचाई विभाग के 25 बाँध हैं। इनकी सुरक्षा एवं निगरानी का जिम्मा चंद लोगों के पास है। स्थिति यह है कि विभाग सभी बाँधों में पानी के आवक आदि की जानकारी भी नहीं ले पा रहा है। ऐसे में बाढ़ से निपटने की बात बेमानी साबित हो रही है।

 

अभी अलवर में बाढ़ जैसे हालात नहीं हैं। फिर भी हमने एहतियातन सभी बाँधों पर भरे व खाली कट्टे आवश्यकतानुसार रखवा दिये हैं। इसके बाद भी यदि जरूरत पड़ेगी, कट्टे आदि पहुँचा दिये जाएँगे। - बीरवल मीरवाल, फ्लड इंचार्ज, सिंचाई विभाग अलवर।


400 कट्टे भराए


चार सौ कट्टे मिट्टी से भराकर नेहरू गार्डन में रखवाए हैं। दो पानी निकालने के इंजन हैं। दो दिन से बारिश के बाद शहर में पानी भरने की शिकायतें मिली हैं। जिसके बाद वहाँ पानी की निकासी कराई है। - तैयब खान, एक्सईएन, यूआईटी, अलवर।

 

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