Jan 22, 2009/ जागरण याहू
सीतापुर, 21 जनवरी : छह माह पहले चले सरायन नदी बचाओ अभियान का असर मौजूदा समय में बेअसर होकर रह गया है। सरायन साफ बनाये रखने के लिए नगर पालिका द्वारा बनाये गये प्रस्ताव हवाई साबित हुए। एक भी प्रस्ताव हकीकत में न बदल सका। परिणाम ये हुआ कि सरायन पहले से भी ज्यादा गंदी हो गयी है। शहर भर गन्दा पानी सिमट कर नदी में गिर रहा है, पर इसे रोकने का कोई ठोस उपाय तक नहीं किया जा रहा है।
इस शहर के लिए भाग्य रेखा कही जाने वाली सरायन नदी का अस्तित्व खतरे में भी पड़ सकता है। वजह ये है कि नदी की सफाई न होने से गंदगी से पटी जा रही है, और बारिश में ही इस नदी में पर्याप्त पानी रहता है। अन्य नदियों का पानी इसमें छोड़े जाने से बाढ़ का रूप भी धारण कर लेती है और कई मुहल्लों को तबाह कर देती है, लेकिन बाढ़ और बारिश खत्म होते ही ये नदी महज एक नाले के रूप में तब्दील हो जाती है। शहर के बीचो-बीच से निकली इस नदी में पूरे शहर का गंदा पानी और आसपास की मिलों का प्रदूषित पानी भी समाहित हो जाता है। नगर पालिका अध्यक्ष आशीष मिश्र के नेतृत्व में पिछले वर्ष जुलाई माह में नदी को बचाने के लिए पूरा शहर जुटा था। इस कार्य में पीएसी और पुलिस के जवानों ने भी श्रमदान किया था। पालिका की जेसीबी मशीन के अलावा अर्थ मूविंग मशीन भी लगायी गयी थी। उन दिनों सरायन का सफाई अभियान सुर्खियों में रहा था। प्रदूषण नियंत्रण के लिए पालीथिन के विरोध में जन जागरण रैली भी पतंजलि योगपीठ के अमित राम के नेतृत्व में निकाली गयी थी। इसमें पूरे नगर के लोगों ने और स्कूली बच्चों ने भी शिरकत की थी। इतने प्रयासों के बावजूद नदी सफाई का दावा दम तोड़ रहा है।
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साभार - जागरण याहू
सीतापुर, 21 जनवरी : छह माह पहले चले सरायन नदी बचाओ अभियान का असर मौजूदा समय में बेअसर होकर रह गया है। सरायन साफ बनाये रखने के लिए नगर पालिका द्वारा बनाये गये प्रस्ताव हवाई साबित हुए। एक भी प्रस्ताव हकीकत में न बदल सका। परिणाम ये हुआ कि सरायन पहले से भी ज्यादा गंदी हो गयी है। शहर भर गन्दा पानी सिमट कर नदी में गिर रहा है, पर इसे रोकने का कोई ठोस उपाय तक नहीं किया जा रहा है।
इस शहर के लिए भाग्य रेखा कही जाने वाली सरायन नदी का अस्तित्व खतरे में भी पड़ सकता है। वजह ये है कि नदी की सफाई न होने से गंदगी से पटी जा रही है, और बारिश में ही इस नदी में पर्याप्त पानी रहता है। अन्य नदियों का पानी इसमें छोड़े जाने से बाढ़ का रूप भी धारण कर लेती है और कई मुहल्लों को तबाह कर देती है, लेकिन बाढ़ और बारिश खत्म होते ही ये नदी महज एक नाले के रूप में तब्दील हो जाती है। शहर के बीचो-बीच से निकली इस नदी में पूरे शहर का गंदा पानी और आसपास की मिलों का प्रदूषित पानी भी समाहित हो जाता है। नगर पालिका अध्यक्ष आशीष मिश्र के नेतृत्व में पिछले वर्ष जुलाई माह में नदी को बचाने के लिए पूरा शहर जुटा था। इस कार्य में पीएसी और पुलिस के जवानों ने भी श्रमदान किया था। पालिका की जेसीबी मशीन के अलावा अर्थ मूविंग मशीन भी लगायी गयी थी। उन दिनों सरायन का सफाई अभियान सुर्खियों में रहा था। प्रदूषण नियंत्रण के लिए पालीथिन के विरोध में जन जागरण रैली भी पतंजलि योगपीठ के अमित राम के नेतृत्व में निकाली गयी थी। इसमें पूरे नगर के लोगों ने और स्कूली बच्चों ने भी शिरकत की थी। इतने प्रयासों के बावजूद नदी सफाई का दावा दम तोड़ रहा है।
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साभार - जागरण याहू
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