माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं के लिए हिमाचलियों को अब ज्यादा वित्तपोषण

हिमाचल प्रदेश सरकार के नवीनतम निर्देश के अनुसार राज्य स्थित कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक के निदेशक मंडल ने राज्य में माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं को ज्यादा वित्तपोषण करने का प्रस्ताव किया है। जबकि इस प्रस्ताव पर नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलेपमेंट (नाबार्ड) ने आपत्ति जाहिर की है। राज्य सरकार की घोषित नीति है कि राज्य में उपलब्ध पनबिजली क्षमता में से 5 मेगावाट की तक की क्षमता वाली परियोजनाएं राज्य के निवासियों को ही आबंटित की जाएंगी। लेकिन एक प्रमुख समस्या यह है कि छोटी पनबिजली परियोजनाओं की स्थापना लागत बढ़कर वर्तमान में करीब रुपये 7-8 करोड़ प्रति मेगावाट हो चुकी है। ऐसे में 5 मेगावाट की क्षमता तक की परियोजनाओं के लिए करीब रुपये 35-40 करोड़ की लागत आती है। जबकि सामान्यतया स्थानीय व्यक्ति इतनी लागत लगा पाने की स्थिति में नहीं होते हैं। ऐसे में उन्हें वित्तपोषण की जरूरत होती है, लेकिन समस्या यह है कि राष्ट्रीयकृत बैंक इन परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण नहीं करते हैं, क्योंकि स्थानीय निवासी करोड़ो की रकम के लिए गारंटी उपलब्ध नहीं करा पाते हैं।
 

माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं को वित्तपोषण करने के लिए अब तक नाबार्ड द्वारा घोषित नीति ही राज्य में लागू है। इसके तहत किसी व्यक्ति को किसी परियोजना के लिए रुपये 40 लाख तक का लोन मिल सकता है। इसलिए राज्य सरकार ने कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक से आग्रह किया है कि वह इन परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण करे। इसके लिए कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक तैयार भी है, लेकिन नाबार्ड छोटे किसानों को दिए जाने वाले लोन की सिक्यूरिटी को लेकर आशंकित है। नाबार्ड का मानना है कि यदि बैंक इतनी बड़ी रकम माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं के लिए देगी तो छोटे किसानों को लोन दिया जाना प्रभावित होगा। नाबार्ड की नीति के अनुसार यदि कोई बैंक किसी एक व्यक्ति को एक बार में रुपये 40 लाख से ज्यादा लोन देना चाहता है तो उसे नाबार्ड से पूर्व मंजूरी लेनी होगी। लेकिन नाबार्ड की इस आपत्ति पर राज्य सरकार का कहना है कि माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं के लिए जब तक पर्याप्त वित्तपोषण नहीं उपलब्ध होगा तब तक स्थानीय निवासिंयों को राज्य की नीति का लाभ नहीं मिल पाएगा। इसलिए सरकार ने कोऑपरेटिव बैंक के माध्यम से यह पहल की है। कांगड़ा कोऑपरेटिव बैंक का भी मानना है कि नाबार्ड ने अपनी नीति पूरे राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तय की है जबकि कांगड़ा बैंक सरकार के विशेष आग्रह पर हिमाचलियों के हित के लिए लोन उपलब्ध कराने को तैयार है।
 

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