ललितपुर जिले के तालाब


.ललितपुर जिले की भूमि संरचना मिली-जुली है। किन्हीं क्षेत्रों की भूमि काली कावर है तो किन्हीं परिक्षेत्रों की भूमि रांकड़ ककरीली पथरीली है। पथरीली ढालू भूमि की पटारें तालाब निर्माण के लिये उपयुक्त होती हैं। मोटी सपाट मैदानी भूमि में टौरियाँ-पहाड़ियाँ होती ही नहीं हैं अथवा कहीं-कहीं एक-दो ही होती हैं जिस कारण पत्थर की पैंरियों (खंडों) का अभाव रहता है। इसके अतिरिक्त गेहूँ, चना, मसूर, अलसी एवं सरसों की फसलें नगरवार (बिना सिंचाई) ही होती रही हैं, जिस कारण सिंचाई को पानी इकट्ठा करने की आवश्यकता ही नहीं महसूस होती थी। इसके अलावा मोटी भूमि की जल संरक्षण क्षमता अधिक होती है। यदि जाड़े की ऋतु में एक-दो महावट (जाड़े की वर्षा) हो जाती तो फसल भरपूर ही हो जाती थी। ऐसे अनेक कारणों से ललितपुर जिले में अधिकतर निस्तारी तालाब ही हैं जो पत्थर की पैरियों के अथवा गहरे मिट्टी खोदकर बनाए गए मिलते हैं।

ललितपुर का तालाब- ललितपुर, झाँसी-बम्बई रेलवे का एक स्टेशन है। यह अधिक प्राचीन नगर नहीं है। यहाँ नगर के किनारे से सहजाद नदी बहती है। नदी के किनारे एक ललिता देवी अहीरन के नाम से ललतापुर छोटा-सा अहीरों का खेरा (पुरवा) था। यहीं सिन्धिया सेना की टुकड़ी भी रहा करती थी। कालान्तर में रेल लाइन निकलने से ललिता पुरवा ललितपुर नाम से प्रसिद्ध हो गया था। रेलवे पर बसा होने से अंग्रेजी शासनकाल में इसका भारी विकास हुआ था।

ललितपुर की मूल बस्ती नदीपुरा (ललितापुर) के दक्षिणी भाग में एक बड़ा तालाब है। इसका बाँध मिट्टी का बना हुआ है, परन्तु इस तालाब के घाट बड़े सुन्दर बने हुए हैं। यह तालाब नगर का निस्तारी तालाब है। इस तालाब के बाँध पर वन बाबा, सूर्य, नृसिंह मन्दिर हैं। नृसिंह मन्दिर यहाँ का प्रसिद्ध मन्दिर है।

गोविन्द सागर बाँध- गोविन्द सागर बाँध ललितपुर नगर से संलग्न पूर्वी किनारे पर बना हुआ है। यहा बाँध उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमन्त्री गोविन्द दास के नाम पर बनवाया था। यह बाँध उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री गोविन्द दास के बनवाया था। यह बाँध सहजाद नदी पर बना है, जो ललितपुर के किनारे से बहती हुई उत्तर की ओर जाती है। इसकी नहर बानपुर परिक्षेत्र में दूर-दूर तक कृषि सिंचाई को जल प्रदान करती है।

राम सागर तालाब, दूधई- दूधई ग्राम ललितपुर परिक्षेत्र के बालावेहट क्षेत्र में है। दूधई चन्देलकालीन प्राचीन सांस्कृतिक प्रसिद्ध स्थल था जो चन्देल राज्य का सूबाई मुख्यालय था। इसका प्राचीन नाम दुदाही था। यहाँ चन्देल राजा यशोवर्मन के समय का बना हुआ विशाल राम सागर तालाब है, जो मघा नामक नाले पर बना हुआ है। इसका बाँध बड़ा लम्बा एवं चौड़ा है। बाँध पत्थर की बड़ी-बड़ी पैरियों एवं मिट्टी का बना हुआ है।

तालाब के बाँध के पीछे पश्चिमी किनारे अनेक चौपरे (चौपाले कुएँ) हैं जिनमें तालाब का पानी झिरकर आता है जिस कारण चौपरे हमेशा स्वच्छ जल से भरे रहते हैं। तालाब के पीछे अनेक खंडहर मन्दिर रहे हैं जो वर्तमान में खंडहर अवस्था में हैं। यहाँ की हनुमानजी की एक प्रतिमा भव्य एवं दर्शनीय थी, जो वर्तमान में लखनऊ अजायबघर में प्रतिष्ठित है। एक दर्शनीय प्रतिमा बाराह की भी थी जो लखनऊ अजायबघर में ही है। दूधई में वैष्णव मन्दिरों के अलावा जैन मन्दिर अधिसंख्य हैं। जैन मन्दिर एक पु्न्ज समूह में लम्बाकार क्षेत्र में हैं जिस कारण स्थानीय लोग इन्हें ‘बानियों की बारात’ के नाम से सम्बोधित करते हैं। ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि यहाँ के जैन मन्दिर एक धनी व्यापारी सेठ देवपत-केवपत (दीपत-कीपत) ने बनवाये थे। तालाब के पूर्वी अंचल में ‘वनबाबा’ का मन्दिर है। उत्तरी अंचल में सूर्य देव का मन्दिर एवं उत्तरी-पश्चिमी पार्श्व में नृसिंह भगवान की प्रतिमा हिरण्यकश्यप को मारते हुए खड़ी मुद्रा में है। यह प्रतिमा लगभग 40 फीट ऊँची है।

मड़ावरा का तालाब- मड़ावरा कस्बा महरौनी-मदनपुर बस मार्ग पर स्थित है। पहले यह क्षेत्र सागर के मराठा मामलतदार के अधिकार में था जहाँ सागर के मोराजी कामदार नियुक्त थे। मोराजी ने यहाँ किले का निर्माण कराकर ग्राम को मड़ावरा नाम दिया था। किले से संलग्न दक्षिणी पार्श्व में मोराजी ने ही सुन्दर तालाब का निर्माण कराया था जिसका बँधान किले से सटा हुआ बना है, जिसके जननिस्तारी सुन्दर घाट बने हुए हैं। यह तालाब 27 एकड़ भराव क्षेत्र का है।

महरौनी का तालाब- महरौनी ग्राम, टीकमगढ़-ललितपुर बस मार्ग पर टीकमगढ़ से 21 किलोमीटर की दूरी पर है। महरौनी कस्बा चन्दैरी के राजा मानसिंह बुन्देला ने सन 1750 ई. में बसाकर एक किला भी बनवाया था। किले के दक्षिणी पार्श्व में नैनसुख सागर नाम से एक तालाब भी खुदवाया था। यह नैनसुख सागर नगर के मध्य जननिस्तारी तालाब है। वर्तमान में राज्य सरकार की उपेक्षा के कारण यह तालाब कस्बे का कचराघर बन गया है।

बाँसी के तालाब- ललितपुर-झाँसी बस मार्ग पर बाँसी ग्राम स्थित है। बाँसी ग्राम के उत्तरी-पूर्वी पार्श्व में प्रथम तालाब बड़ा तालाब है। यह विशाल तालाब है जिसका बाँध पत्थर की बड़ी-बड़ी पैरियों का है। यह प्राचीन चन्देली तालाब है। दूसरा तालाब ग्राम के दक्षिण भाग में है। वह भी बड़ा तालाब है जो बाँसी के जागीरदार कृष्णराव बुन्देला ने सन 1650 ई. में बनवाया था।

पाबा का तालाब- पाबा ग्राम तालबेहट के उत्तर-पूर्व में 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह प्राचीन प्रसिध्द जैन सिद्ध क्षेत्र है। यहाँ की सिद्धों की पहाड़ी पर जैन मुनि स्वर्णभद्र का निर्वाण हुआ था। यह चन्देलकालीन क्षेत्र है। यहाँ दो चन्देली सुन्दर बड़े तालाब हैं। इन तालाबों से कृषि सिंचाई की जाती है।

सौरई का तालाब- सौरई ग्राम मड़ावरा से 8 किलोमीटर की दूरी पर, दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिये मड़ावरा-मदनपुर मार्ग बस पर, मध्य से पक्का पहुँच मार्ग है। सौरई 1857 ई. के पूर्व शाहगढ़ राज्य का भूभाग था। यहाँ टूटा-फूटा किला एवं बगीचा है। 1857 ई. के विप्लव के समय शाहगढ़ के राजा बखतबली ने अंग्रेजों से मुकाबला करने के उद्देश्य से यहाँ जबर्दस्त मोर्चा लगाया था, परन्तु अंग्रेजी सेना ने उन्हें पराजित कर सौरई छीन ली थी।

सौरई किले के पश्चिमी-दक्षिणी दरवाजे के सामने पहाड़ी के नीचे एक छोटा तालाब था जो फूट चुका है। यदि इस सरोवर का जीर्णोद्धार करा दिया जाए तो ग्राम का निस्तार होने लगेगा।

मदनपुर का तालाब- मदपुर जिला ललितपुर तहसील महरौनी का प्रसिद्ध प्राचीन चन्देलकालीन बड़ा कस्बा है, जिसे मदन वर्मा चन्देल राजा महोबा ने बसाया था। ग्राम बसाहट के साथ ही मदन वर्मा ने ग्राम के पूर्वी-दक्षिणी पार्श्व में पहाड़ी के पीछे विशाल सरोवर ‘मदन सागर’ का निर्माण कराया था। इसका बाँध बड़ा मजबूत लम्बा-चौड़ा सुदृढ़ है। तालाब का भराव क्षेत्र 75 एकड़ का है। ग्राम एवं तालाब के मध्य की पहाड़ी की ऊँची भूमि पर मदन वर्मा चन्देल की बैठक बनी हुई है जिस पर बैठकर वह तालाब के सौन्दर्य का अवलोकन किया करता था। मदन वर्मा की यह बैठक पत्थर के बड़े-बड़े प्रस्तर खंडों से बनी हुई है। यह बैठक दर्शनीय है। वर्तमान में लोगों ने इस तालाब को फोड़कर कृषि कर्म के उपयोग में ले लिया है। यदि सरकार इस तालाब के बाँध को दुरुस्त करवाकर कृषि कार्य के अतिक्रमण से मुक्त कर दे तो ग्राम का मनोहारी दर्शनीय जनोपयोगी सरोवर के रूप में आ जाएगा।

रामशाह सागर बार- बार ग्राम, बानपुर झाँसी बाया बंगलन बाँसी बस मार्ग पर स्थित है। बार मुगलकालीन प्राचीन ग्राम है जो मुगल सम्राट जहाँगीर ने, ओरछा के महाराजा रामशाह को राजगद्दी से अपदस्थ करते हुए, 3 लाख रुपया वार्षिक आय की जागीर के रूप में सन 1609 ई. में प्रदान किया था। रामशाह बुन्देला ओरछा से बार पहुँचे और पहाड़ी के दक्षिणी-पूर्वी पटार में अपने नाम से विशाल सुन्दर ‘रामशाह सागर’ तालाब का निर्माण कराया था। इस तालाब का भराव क्षेत्र 130 एकड़ का है। इसका बाँध बड़ा मजबूत है। तालाब के बाँध की पत्थर की बड़ी-बड़ी पैरियाँ इतने कलात्मक ढंग से स्थापित की गई हैं कि सीढ़ियों पर महिलाएँ और पुरूष स्नान करते समय एक-दूसरे से पर्दे में बने रहें, कोई किसी को न देख पाए।

तालाब के बाँध के पीछे की पटार में केतकी का सुन्दर बगीचा लगवाया गया था, जिसकी मनमोहक महक से सुगन्धित भीनी महकती वायु लोगों को आनन्दित किए रहती थी।

चाँदपुर तालाब- चाँदपुर प्राचीन चन्देलकालीन ग्राम है। यहाँ चन्देलकालीन बड़ा तालाब है। तालाब के पूर्वी पार्श्व में शिव मन्दिर तथा दूसरे किनारे बाराह का मन्दिर है। यहाँ जैन मत के मन्दिर अधिक हैं, परन्तु वैष्णव एवं शैव धर्म के दिवाले एवं शिवाले भी कम नहीं हैं।

धौरी सागर तालाब- धौरी सागर तालाब ललितपुर जिला की महरौनी तहसील के मड़ावरा परगना के दक्षिण-पूर्व में मड़ावरा से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ प्राचीन चन्देलकालीन बड़ा तालाब है, जो लगभग 200 एकड़ के भराव क्षेत्र से अधिक का है। धौरी सागर तालाब की नहरों से हजारों एकड़ क्षेत्र की कृषि भूमि की सिंचाई की जाती है। यह दर्शनीय तालाब है। यह सरोवर पर्यटक सरोवर बनाया जा सकता है।

थनवारा तालाब- थनवारा ग्राम ललितपुर के उत्तर-पश्चिम में 15 किमी. की दूरी पर है। यहाँ एक चन्देलयुगीन सुन्दर तालाब है। जननिस्तार के साथ ही इससे कृषि सिंचाई भी की जाती है।

मान सरोवर तालबेहट- तालबेहट कस्बा ललितपुर-झाँसी बस मार्ग पर स्थित है। यह बम्बई-दिल्ली मध्य रेलवे का स्टेशन भी है। यहाँ पहले झिरिया खेरा नामक एक आदिवासी बस्ती थी। उनके पश्चात यहाँ चन्देलों का अधिकार रहा। चन्देलों ने दो पहाड़ियों के मध्य की पटार (खांद) में पत्थर मिट्टी से सुन्दर तालाब का निर्माण कराया था जिसका नाम मानसरोवर था। कालान्तर में चन्देलों के बाद चन्दैरी के राजा भारतशाह ने इस पर अपना अधिकार कर, ताल की बीहट (पहाड़ी) पर किला बनवाकर प्राचीन तालाब का जीर्णोद्धार कराया था। किले का नाम ताल बीहट था तो बस्ती का नाम भी ताल बीहट पड़ गया था। भारत शाह के जीर्णोद्धार के बाद लोग इसे भारत सागर भी कहने लगे थे। यह लम्बा-चौड़ा विशाल तालाब है। इसका कृत्रिम बाँध तो छोटा सा ही है, लेकिन किला पहाड़ी भारी लम्बे प्राकृतिक बाँध के रूप में खड़ा हुआ है। तालाब के बाँध पर शिवजी का मन्दिर है। किले में राम मन्दिर है, जिसमें रामायण आधारित चित्रकारी है। इस तालाब से कृषि सिंचाई भी होती है।

माता टीला बाँध- तालबेहट के पश्चिम-दक्षिण में 10 किलोमीटर की दूरी पर बेतवा नदी पर माताटीला नामक विशाल बाँध है। यहाँ समीप के टीले पर (टौरिया पर) माता (देवीजी) का मन्दिर है। इन्हीं माताजी (देवी) के नाम पर इस बाँध का नाम माता टीला रखा गया था। इस बाँध से विद्युत उत्पादन होता है तथा सिंचाई के लिये दूर-दूर तक पानी दिया जाता है।

गणेश तालाब, बानपुर- बानपुर टीकमगढ़ से 9 किलोमीटर की दूरी पर है। यह महरौनी तहसील के अन्तर्गत है। बानपुर के उत्तर-पूर्व में गणेश खेरा नामक मुहल्ला है। यहाँ कस्बा का बड़ा विशाल तालाब है, जिसके बाँध पर 22 भुजाधारी गणेशजी की अनन्य प्रतिमा दर्शनीय है। इन्हीं गणेश जी के नाम से इस मुहल्ले को लोग गणेशखेरा भी कहने लगे हैं तथा तालाब को गणेश तालाब, जबकि तालाब का मूल नाम ‘बड़ा तालाब’ है। बानपुर में बड़ा तालाब के अतिरिक्त एक दूसरा तालाब भी है जिसे लुहरा (छोटा) तालाब कहा जाता है। बानपुर के दोनों तालाब चन्देलकालीन हैं।

रजवाहा तालाब- ललितपुर के उत्तर-पूर्व में 8 किलोमीटर की दूरी परर रजवाहा ग्राम है जो ललितपुर-बानपुर बस मार्ग पर है। यहाँ ग्राम एवं सड़क मार्ग से संलग्न बड़ा सुन्दर चन्देली तालाब है। यह जननिस्तारी तालाब है जिसमें कमल खूब होता है। कुछ थोड़ी-सी कृषि भूमि की सिंचाई भी होती है।

जखौरा तालाब- जखौरा ग्राम ललितपुर के पश्चिम दिशा में मुम्बई-दिल्ली रेलवे का सुन्दर कस्बाई स्टेशन है। यहाँ चन्देलकालीन सुन्दर बड़ा तालाब है।

रक्शा तालाब- ललितपुर जिले के बानपुर क्षेत्र में रक्शा नामक ग्राम है जहाँ प्राचीन बड़ा चन्देलकालीन तालाब है। यह निस्तारी तालाब है, इससे कृषि सिंचाई भी की जाती है।

उदयपुरा का तालाब- उदयपुरा तालाब, बानपुर बार बस मार्ग के मध्य उटाई नदी के किनारे बसे ग्राम उदयपुरा के किनारे पर है। यह तालाब राजा मोर प्रह्लाद की आठवीं विवाहिता रानी, गुरयाने के पंवार खेतसिंह की पुत्री, सावंत सिंह की नातिन राजकुँवर के गर्भ से उत्पन्न कन्या सरोज कुँवर के लिये यहाँ एक गढ़ी तथा तालाब का निर्माण करवा दिया था। यह सुन्दर तालाब है।

इनके अतिरिक्त गजौरा, बिजैपुरा, पनारी, बंट, बनगुवां कला, पिपरई गौना, बिल्ला, कुआगाँव, समौगढ़ आदि ग्रामों में भी जननिस्तारी तालाब हैं।

वैसे अब ललितपुर जिला, बाँधों का जिला बन गया है। जिले की सजनाम, साजाद, बेतवा सहजात आदि जितनी नदियाँ हैं उन पर बड़े-बड़े बाँध बन गए हैं जिससे कृषि सिंचाई में भारी वृद्धि हो गई है।

 

बुन्देलखण्ड के

तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास

(इस पुस्तक के अन्य अध्यायों को पढ़ने के लिए कृपया आलेख के लिंक पर क्लिक करें)

क्रम

अध्याय

1

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

2

टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था

3

छतरपुर जिले के तालाब

4

पन्ना जिले के तालाब

5

दमोह जिले के तालाब

6

सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था

7

ललितपुर जिले के तालाब

8

चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था

9

झांसी जिले के तालाब

10

शिवपुरी जिले के तालाब

11

दतिया जिले के तालाब

12

जालौन (उरई) जिले के तालाब

13

हमीरपुर जिले के तालाब

14

महोबा जिले के तालाब

15

बांदा जिले के तालाब

16

बुन्देलखण्ड के घोंघे प्यासे क्यों

 


TAGS

Water Resources in Lalitpur in Hindi, Lalitpur Ponds history in Hindi, history of Ponds of Lalitpur, Lalitpur Ponds history in hindi, Lalitpur city and rural Ponds information in Hindi, Lalitpur palace and Ponds information in Hindi, Lalitpur fort and Ponds, Lalitpur ke talabon ka Itihas, Lalitpur ke talabob ke bare me janakari, hindi nibandh on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotes Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi meaning, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi translation, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi pdf, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi poems Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel), quotations Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, health impacts of Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) hindi, hindi ppt on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) the world, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, language, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel), Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, essay in hindi, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, formal essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel), essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi wikipedia, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language wikipedia, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language pdf, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi free, short essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and greenhouse effect in Hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi font, topic on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in hindi language, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) in 1000 words in Hindi, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for students in Hindi, essay on Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) for kids in Hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) and solution in hindi, globle warming kya hai in hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) quotes in hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) par anuchchhed in hindi, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language pdf, Lalitpur Ponds and Lake (Talab aur Jheel) essay in hindi language.


Path Alias

/articles/lalaitapaura-jailae-kae-taalaaba

Post By: Hindi
×