केन्द्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीट करके बताया है कि ‘लातूर में वॉटर टैंकर ट्रेन का रेलवे की तरफ से प्रबंध किया जा रहा है। राज्य सरकार की सलाह से ट्रेन का संचालन जल्दी ही शुरु किया जायेगा।' महाराष्ट्र मनरेगा एडवाइजरी काउसिंल के सदस्य अतुल देउलगांवकर ने इंडिया वॉटर पोर्टल से बात करते हुये बताया कि अब लातूर में भी ट्रेन से पानी पहुँचाने की व्यवस्था की जा रही है। पंढरपुर से लातूर की दूरी लगभग 200 किलोमीटर है। वहाँ से एक नियमित ट्रेन लगभग पूरी गर्मी चलाई जायेगी। पंढरपुर से ट्रेन में पानी भर करके लातूर आयेगी और फिर लातूर शहर को पानी की सप्लाई की जायेगी।
‘फोरम ऑफ एन्वायरन्मेंटल जर्नलिस्ट’ के ज्वाइंट सेक्रेटरी अतुल देउलगांवकर ने अपने एक वक्तव्य में कहा है कि ‘लातूर में जल संकट का मुख्य वजह लगातार कई सालों से बारिश का कम होना है जिससे भूजल पूरा नहीं भर पा रहा है। लातूर शहर को लगभग 55 किलोमीटर दूर माजरा डैम से पानी मिलता है। माजरा डैम इस साल सूख चुका है।’
इसी के चलते प्रशासन ने बड़े टैंकर से पानी लाकर शहर में पाँच जगह छोटे- छोटे टैंकरों से पानी पहुँचाने का प्रबंध कराया था। इन वाटर सप्लाई प्वॉइंटों पर पानी के लिये लोगों के बीच झगड़े होने लगे, हालात बिगड़ते गए जिसके चलते प्रशासन को धारा 144 लगानी पड़ी। शायद यह पहली बार हुआ होगा जहाँ पानी के संकट से जूझते समाज को दफा 144 देखनी पड़ रही है।
फरवरी बीतते- बीतते जब हालात काबू में आते नजर नहीं आए, पानी का संकट बढ़ता नजर आया तो सुरेश प्रभु ने रेलवे टैंकरों से पानी मुहैया कराने की घोषणा कर दी है। पर सवाल अब भी वही है कि क्या ट्रेन से पानी पहुँचाना स्थाई समाधान है। ये तात्कालिक समाधान तो हो सकता है स्थाई नहीं। स्थाई समाधान राज और समाज को मिलकर खोजने होंगे और अपना पानी सहेजने के प्रयास खुद करने होंगे।
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