खुले में शौच के खिलाफ ग्रामीण महिलाओं ने जीती जंग

भगोर पंचायत की ग्राम सभा में महिलाओं ने उठाई सामूहिक आवाज़, प्रशासन ने मंज़ूर किए 386 शौचालय

ग्राम पंचायत भगोर। इसमें दो गांव भगोर व केसरिया। 2900 आबादी जिसमें 1500 पुरुष और महिलाएं 1400। नौ पंच व सरपंच भी महिला। सभी ने खुले में शौच के खिलाफ उठाई ज़ोरदार आवाज़। लगातार शासन-प्रशासन से लड़ाई लड़ी। नतीजा, प्रशासन ने पूरे गांव के लिए 386 शौचालय मंज़ूर कर दिए हैं।

ग्राम पंचायत की महिला पंच व सरपंच ने जून-अक्टूबर 2012 में शासन-प्रशासन के अधिकारियों के सामने शौचालय निर्माण की आवाज़ उठाई थी, पर सुनवाई नहीं हुई। ग्राम सभा में पंचायत ने प्रस्ताव पास कर दिया। जनवरी 2013 में एक बार फिर ग्राम में खुले में शौच का विरोध हुआ। फिर प्रस्ताव पारित किया। एक स्वर में महिलाओं ने कहा खुले में शौच नहीं करेंगे। ग्राम पंचायत में जितनी बार भी ग्राम सभा हुई उसमें संधू डोडिय़ार (केसरिया), काली डामोर, मेता भाबोर, लल्ली भाबोर, शांति डामोर ने लगातार शौचालय निर्माण की बात पर जोर दिया। इससे सरपंच गोराबाई मालीवाड़, नौ महिला पंचों सहित पूरी पंचायत को भी बल मिला। पंच-सरपंच व अन्य महिलाओं के विरोध को देखते हुए हाल ही में प्रशासन ने गांव में 386 शौचालय मंज़ूर किए और 17 लाख रुपए की राशि भी जारी कर दी।

हर लिहाज से जरूरी है शौचालय


महिलाओं के लिए हर लिहाज से गांव में शौचालय जरूरी थे। हमनें अपनी मांग रखी तो शासन-प्रशासन ने मर्यादा अभियान के तहत 386 शौचालय बनाने की मंजूरी दे दी।
गोराबाई मालीवाड़, सरपंच, ग्रापं भगोर

यह थीं दिक्कतें


1. दिन में शौच के लिए जाने से शर्म महसूस होना।
2. यदि महिला की तबीयत खराब हो तो मुश्किल।
3. खुले में शौच के दौरान जहरीले जानवरों के काटने का डर।

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