कैसे मुमकिन है

कैसे मुमकिन है कि
मेघ इकबारगी छट जाएं
या इकदम से
टूट कर बरस जाएं
मूसलाधार बारिश का पानी
सैलाब में
तब्दील हो जाये

और थोड़े-से
पुख्ता मकानों को छोड़कर
गाँव के बेशतर
कमजोर नीव के ढाँचे
जमींदोज हो जाएं
फसलें मुर्झा जाएं

और
रेतीली जमीन पर
पसरी आबादियां
मौत की नींद सो जाएं

कैसे मुमकिन है कि
चुड़ियां दरक जाएं
माँग सूनी पड़ जाये
कोख उजड़ जाये

आशाओं की सेज पर उगी
सब्ज कोंपलें
सूख-सूख कर
बिखर जाएं और
धरती पर
चारों ओर
अंधेरे का शामियाना
तन जाये

कैसे मुमकिन है कि
ये सब हो जाये
और सूरज
अपनी रौशन आँखें
बंद किये
आकाश की ऊँचाइयों में
या उफ़क़ पर
खामोश बैठा
अंधेरे से
ठिठोलियाँ करता रहे

कैसे मुमकिन है
बोलो
यह सब
कैसे मुमकिन है

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