जमनालाल बजाज पुरस्कारों की घोषणा

श्री अनुपम मिश्र नईदिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के पर्यावरण कक्ष के प्रभारी एवं द्वैमासिक पत्रिका ‘गांधी मार्ग’ (हिन्दी) के सम्पादक हैं। वे पूर्व में गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं। उन्होंने अनेक अविस्मरणीय पुस्तकें - ‘देश का पर्यावरण’, ‘हमारा पर्यावरण’, ‘आज भी खरे हैं तालाब’, ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ आदि का लेखन व सम्पादन किया है। इसी के साथ पेंग्युइन बुक्स ने उनके लेखों का संग्रह ‘साफ माथे का समाज’ का प्रकाशन किया है।

इस वर्ष के जमनालाल बजाज पुरस्कारों की घोषणा जमनालाल बजाज ट्रस्ट द्वारा कर दी गई है। प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी चार क्षेत्रों में इन पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सर्वश्री अनुपम मिश्र को ग्राम विकास हेतु विज्ञान एवं तकनीक, रमेश भैया एवं विमला बहन, विनोबा आश्रम, शाहजहांपुर, उत्तरप्रदेश को रचनात्मक कार्य, शोभना रानाडे, पुणे को महिला, बाल कल्याण एवं विकास हेतु जानकीदेवी बजाज पुरस्कार एवं इंडोनेशिया की सुश्री आगस्ट इंदिरा उदयन को भारत से बाहर गांधी विचार के प्रसार हेतु प्रदान किया गया है।

ज्ञातव्य है श्री अनुपम मिश्र नईदिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान के पर्यावरण कक्ष के प्रभारी एवं द्वैमासिक पत्रिका ‘गांधी मार्ग’ (हिन्दी) के सम्पादक हैं। वे पूर्व में गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं। उन्होंने अनेक अविस्मरणीय पुस्तकें - ‘देश का पर्यावरण’, ‘हमारा पर्यावरण’, ‘आज भी खरे हैं तालाब’, ‘राजस्थान की रजत बूंदे’ आदि का लेखन व सम्पादन किया है। इसी के साथ पेंग्युइन बुक्स ने उनके लेखों का संग्रह ‘साफ माथे का समाज’ का प्रकाशन किया है। श्री मिश्र विगत कई दशकों से पानी और समाज के अंतर पर विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने भारत के अनेक क्षेत्रों में समाज को पानी को सहेजने एवं संवारने में जोड़ा हैं। शुरुआती दिनों में उन्होंने म.प्र. के होशंगाबाद में मिट्टी बचाओ अभियान में भागीदारी की थी। उन्होंने हिमालय के क्षेत्रों एवं राजस्थान के रेगिस्तान में पानी के संरक्षण के लिए व ग्रामीण व देशज तकनीकों के उन्नयन के क्षेत्र में लगातार कार्य किया है।

श्री मिश्र सामाजिक व आर्थिक मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक सारगर्भित टिप्पणियां करते रहे हैं। उनकी सहज व सरल भाषा विषय को स्वमेव समझा देती हैं।

रमेश भैया और विमला बहन ने विनोबा भावे के विचारों से प्रेरित होकर समाज सेवा के क्षेत्र में प्रवेश किया। रमेश भैया ने विनोबा जन्म शताब्दी के अवसर पर पूरे देश की पदयात्रा की। उन्होंने रामायण के पात्रों का आधार लेकर लोकसेवा का विस्तृत कार्यक्षेत्र तैयार किया। विमला बहन ने महिलाओं की उन्नति के लिए अनेक सेवा योजनाओं में सक्रिय भागीदारी की। गोरक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए गोशाला बनाई, जो पूरी तरह स्वावलंबी है। कत्ल के लिए जाने वाली गायों को एक समारोह आयोजित कर महिलाओं में वितरित किया गया।

ये पुरस्कार 7 नवम्बर को मुंबई में आध्यात्मिक गुरु मुरारी बापू द्वारा प्रदान किए जाएंगे। पुरस्कार में पांच लाख रुपए की सम्मान राशि एवं सम्मान पत्र दिया जाता है।

सर्वोदय प्रेस परिवार (सप्रेस) जमनालाल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली सभी विभूतियों को बधाई देता है एवं उनके सुदीर्घ एवं संकल्पित जीवन की कामना भी करता है।

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