जलाशयों में 100 फीट बोरवेल जरूरी

हिन्दुस्तान, गया, 11 मई 2019

भीषण गर्मी और पेयजल संकट के बीच शुक्रवार को गया कलेक्ट्रेट में गया के प्रभारी सचिव आरके महाजन ने पेयजल की स्थिति पर बिंदुवार समीक्षा की। बताया गया कि गया में कुल 40,896 चापाकल हैें, जिसमें 5,869 नाकाम हैं। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता विवेक कुमार ने बताया कि जिले का जल-स्तर 40-45 फीट निचे चला गया है।

क्षेत्र में जल-स्तर 80 फीट चले जाने पर जल संकट माना जाएगा। वैसे चापाकल जिनका बोर पुराना हो गया है, उनमें राइजिंग पाइप डालकर चालू किया जा रहा है। बैठक में डीएम अभिषेक सिंह ने कहा कि जिला में वाटर रिचार्ज की व्यवस्था के लिए सभी जलाशयों के बीच 100 फीट का बोरवेल कराना जरूरी है। गया जिला में इस पर काम चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के 30 फीसदी इलाके नल-जल योजना से कवर किए जा चुके हैं। बताया गया कि कई क्षेत्रों में पानी का लेबल नहीं मिल पा रहा है। यहां दोबारा बोरिंग करवाना पड़ता है। प्रभारी सचिव ने कहा कि प्रमंडल स्तर पर एक भू-वैज्ञानिक की पदस्थापना यंत्र के साथ की जानी चाहिए।

गया जिला शिक्षा पदाधिकारी मो. मुस्तफा हुैसेन ने बताया कि सभी स्कूलों मे चापाकल या नल जल योजना से जलापूर्ति हो रही है। केवल 68 स्कूल बचे हैंं। प्रभारी सचिव ने 31 मई तक इनमे पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करवाने का निर्देश दिया।

कार्यपालक अभियंता ने बताया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, वहां दो शिफ्ट में पानी का टैंकर पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावे ट्रैक्टर और ट्रॉली के माध्यम से दो सिंटेक्स रखकर पानी भेजवाया जा रहा है। प्रत्येक प्रखंड मुख्यालय में पानी पंप का स्टेशन बनाया गया है। प्रभारी सचिव ने टैंकर को दो ट्रिप के बदले तीन बार पानी भिजवाने का निर्देश दिया है। 

पिछले माह 1581 चापाकल की मरम्मत की गई है। अभी 917 चापाकल मरम्मती के लिए बचे हुए हैं। इसे 15 मई 2019 तक ठीक कराने का निर्देश दिया गया।

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Post By: RuralWater
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