जीवन अधिकार यात्रा


इंदौर समर्थक समूह की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि नर्मदा घाटी में बन रहे सरदार सरोवर बांध डूब क्षेत्र के निवासियों पर पुनः हमला हुआ है। घाटी के 248 गांवों में बसे 2 लाख पहाड़ी आदिवासी और पश्चिमी निमाड़ के किसान मजदूर, मछुआरे, छोटे व्यापारी आदि जो कि यहां के प्राकृतिक संसाधनों और हरे-भरे खेतों पर निर्भर हैं, को डुबोने की तैयारी हो गई है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति को विपरीत रिपोर्ट के बावजूद बांध की ऊँचाई 122 मीटर से 17 मीटर और बढ़ाकर 139 मीटर करने हेतु गेट लगाने की अनुमति दे दी गई है। इसके पीछे जहां एक ओर गुजरात की राजनीति सक्रिय है वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश सरकार अपने निवासियों और गांवों के हित की अनदेखी करते हुए गुजरात सरकार की हाँ में हाँ मिला रही है।

इतना ही नहीं वह मध्यप्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा व उसके किनारे बसी लाखों वर्ष पुरानी सभ्यता जो कि आदिमानव के समय से आज तक चली आ रही है, को दांव पर लगा रही है। इससे स्थानीय समाज व संस्कृति, हरी-भरी खेती, जंगल व प्रकृति सब कुछ समाप्त हो जाएगा। इस डूब से बनने वाले जलाशय के पानी पर मध्यप्रदेश का कोई अधिकार नहीं होगा। जिस आधी बिजली मिलने की बात हुई है उसका विकास भी अपेक्षा अनुसार नहीं हुआ है। प्रस्तावित लागत से 10 गुना खर्च के बावजूद मात्र 10 प्रतिशत लाभ देने वाली यह योजना घाटी के लोगों के लिए मौत की सजा जैसी है। अब तो गुजरात की संस्थाओं और विशेषज्ञों ने भी प्रस्तावित लाभों को झूठा करार दिया है।

इसीलिए बांध से डुबोए जाने वाले किसान और मजदूर, मछली पर अपना हक रखने वाले मछुआरे, जमीन के बदले जमीन की मांग करने वाले आदिवासी 25 साल के निरंतर संघर्ष के कारण आज तक बची हुई जमीन और जिंदगी बचाने और वैकल्पिक पुनर्वास का अधिकार मांगने इंदौर आ रहे हैं। इस जीवन अधिकार यात्रा में हजारों लोग राजघाट (बड़वानी) से पैदल और वाहनों के जरिए 11 अप्रैल 2010 को यात्रा प्रारंभ कर 13 अप्रैल 2010 की सुबह इंदौर पहुंचेंगे और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे।

आज सुबह नर्मदा किनारे राजघाट स्थित महात्मा गाँधी की समाधि से संकल्प लेकर प्रारंभ हुई पदयात्रा, बड़वानी, बोरलाय, अंजड, छोटा बड़दा, सेमल्दा, करोली, मनावर, बाकानेर, धरमपुरी, धामनोद होते हुए इंदौर पहुँचेगी। 13 अप्रैल से इंदौर स्थित नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के कार्यालय के समक्ष अनिश्चितकालीन प्रारंभ कर दिया जाएगा।

आज रैली के बड़वानी पहुँचने पर स्थानीय झण्डा चौक ने आयोजित सभा को संबोधित करते हुए पूर्व नपाध्यक्ष श्री राजन मण्डलोई ने कहा कि बगैर पुनर्वास के बाँध की ऊँचाई बढ़ाने का अविवेकी निर्णय नर्मदा घाटी के लिए एक त्रासदी है। उन्होंने कहा कि नर्मदा घाटी के संघर्ष में बड़वानी भी पूरी तरह से साथ हैं। किसान नेता श्री चंद्रषेखर यादव ने बाँध की उँचाई बढ़ाने के निर्णय की निंदा करते हुए किसानों और आदिवासियों के हितों के खिलाफ बताते हुए संघर्ष का आवाहन किया। वरिष्ठ नेता श्री नानकसिंह गाँधी ने आंदोलन से सहभागिता प्रदर्षित करते हुए अपील की कि जनता इस तुगलकी निर्णय को नकार दें। सभा को समाजवादी नेता श्री शंभुनाथ गुप्ता (होषंगाबाद), वरिष्ठ गाँधीवादी सुश्री पुष्पा बहन, युवक कांग्रेस के श्री विवेक शर्मा ने भी संबोधित किया।

इसके पूर्व पदयात्रा के प्रारंभ में राजघाट में प्रभावितों को संबोधित करते हुए आंदोलन की नैत्री सुश्री मेधा पाटकर ने कहा कि नियम-कानून बेमानी हो रहे हैं। पर्यावरण मंत्रालय अपनी ही विशेषज्ञ समिति की की बात नहीं सुन रहा है और मैदानी हालात पर आँखें मूँद रहा है। शासन शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों के धैर्य की परीक्षा ले रही है। लेकिन हम अपनी लड़ाई तेज करेंगें।


 
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