जहरीले पानी से मर रहे बच्चे

जन संघर्ष मोर्चा ने जारी की मृत बच्चों की सूची,दिया धरना


उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में जहरीले पानी को पीने से लगातार मौतें हो रही हैं। विगत एक माह में म्योरपुर ब्लाक के बेलहत्थी ग्रामसभा के रजनी टोला में रिहन्द बांध के जहरीले पानी को पीने से पन्द्रह बच्चों की मौतें हो गयी है। इसके पूर्व भी इसी ब्लाक के कमरीड़ाड, लभरी और गाढ़ा में दो दर्जन से ज्यादा बच्चे रिहन्द बांध का पानी पीने से मर चुके हैं। इस सम्बंध में जन संघर्ष मोर्चा के पत्र को संज्ञान में लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लेकर जिलाधिकारी सोनभद्र को निर्देशित भी किया था और उनसे रिपोर्ट भी तलब की थी इसके बावजूद जिला प्रशासन का रवैया संवेदनहीन ही बना रहा है। यहां तक कि आंदोलन के दबाव में प्रदूषण बोर्ड और मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा करायी गयी जांच से यह प्रमाणित होने के बाद भी कि रिहन्द बांध का पानी जहरीला है उ0 प्र0 सरकार और जिला प्रशासन द्वारा इसे जहरीला बनाने वाली औद्योगिक इकाईयों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही की गयी और न ही रिहंद बांध के आस पास बसे गांवों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गयी। यदि इस पर समय रहते जिला अधिकारी सोनभद्र ने कार्यवाही की होती तो बेलहत्थी में बच्चों को मरने से बचाया जा सकता था। यह बातें आज जन संघर्ष मोर्चा द्वारा प्राकृतिक सम्पदा और राष्ट्रीय सम्पदा की लूट और पर्यावरण व आम-आदमी की जिंदगी की रक्षा के लिए जारी धरने के चौथे दिन जसमों के राष्ट्रीय प्रवक्ता दिनकर कपूर ने कही।

श्री कपूर ने इस सम्बंध में तत्काल हस्तक्षेप के लिए मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजा है। जसमों ने धरना स्थल से बेलहत्थी गांव में मृत बच्चों की सूची जारी की। इस सूची के अनुसार रामधारी पुत्र बलजोर उम्र 1 वर्ष, रामकिशुन पुत्र वंशबहादुर उम्र 1 वर्ष, सुनीता कुमारी पुत्री छबिलाल उम्र 6 वर्ष, बबलू पुत्र शिवचरन उम्र 1 वर्ष, मानकुवंर पुत्री बृजमोहन उम्र 8 वर्ष, सन्तोष कुमार पुत्र शंकर उम्र 1 वर्ष, सविता कुमारी पुत्री जीत सिंह खरवार उम्र 3 वर्ष, बबलू सिंह पुत्र जवाहिर सिंह खरवार उम्र 2 वर्ष, चादंनी कुमारी पुत्री राजेन्द्र उम्र 3 वर्ष, मुनिया कुमारी पुत्री रामचरन उम्र 3 वर्ष, कुन्ती कुमारी पुत्री हिरालाल उम्र 2 वर्ष, लल्ला पुत्र देवनारायण उम्र 6 वर्ष, मुन्ना कुमार पुत्र सुभाष उम्र 2 वर्ष, जितराम पुत्र अशोक उम्र 2 वर्ष, बबिता कुमारी पुत्री रमाशंकर उम्र 5 वर्ष की मृत्यु रिहंद बांध के जहरीले पानी को पीने से हुई है।

जन संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि जनपद में विकास के लिए आ रहे धन की चौतरफा लूट हो रही है विकास के सारे दावे कोरी लफ्फाजी है। शुद्ध पेयजल देने में सरकार नाकाम रही है। आज भी लोग बरसाती नालों और बंधों का पानी पीने को मजबूर हैं और इससे विभिन्न बीमारियों का शिकार होकर बेमौत मर रहे हैं। अभी से ही इस पूरे क्षेत्र में पेयजल का संकट दिख रहा है। दुद्धी तहसील के तो गांवों में हैण्डपम्प जवाब दे रहे है और कुएं सूख रहे हैं। स्थिति इतनी बुरी है कि पानी के अभाव किसानों की फसल पिछले चार वर्षो से बर्बाद हो रही है और इससे पैदा हुई आर्थिक तंगी की वजह से यहां के आदिवासी गेठी कंदा खाने को मजबूर है, जो की जहरीला है। यही नहीं इन बुरे हालतों में भी मनरेगा में काम कराकर मजदूरों की करोड़ो रूपया मजदूरी भुगतान नहीं किया गया। लम्बे संघर्षो से हासिल वनाधिकार कानून को जनपद में विफल कर दिया गया है। आदिवासियों तक के उन दावों को जिसे गांव की वनाधिकार समिति ने स्वीकृत कर दिया था उन्हें उपजिलाधिकारी ने खारिज कर दिया गया है। वही दूसरी तरफ जनपद में प्राकृतिक सम्पदा और राष्ट्रीय सम्पदा की चौतरफा लूट हो रही है। सोन नदी को बंधक बना लिया गया है और सेंचुरी एरिया और वाइल्ड जोन में जहां तेज आवाज निकालना भी मना है वहां खुलेआम ब्लास्टिंग करायी जा रही है। यहां की पहाडियों को लूटकर मायावती सरकार लखनऊ में पार्क और बादलपुर में महल बनाने में लगी हुई हैं। इस लूट के खिलाफ और आम नागरिकों की जिदंगी की रक्षा के लिए हमारा आंदोलन जारी है। धरने में आज प्रदेश प्रवक्ता गुलाब चंद गौर, श्रीकांत सिंह, अनंत बैगा, छोटेलाल बैगा, सुरेन्द्र पाल, संतलाल बैगा, रामदेव गोड़, वीरेन्द्र कुमार, कमलेश कुमार आदि लोग बैठे।

 

 

जन संघर्ष मोर्चा का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र


दिनांकः20/01/2011
प्रति,
अध्यक्ष
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली।
महोदय,


जन संघर्ष मोर्चा की तरफ से आज 20 जनवरी, 2011 से तहसील परिसर राबर्ट्सगंज सोनभद्र, उ0 प्र0 में आयोजित अनिश्चितकालीन धरना के माध्यम से प्रस्तुत पत्र द्वारा जनपद में प्रदूषित पानी से हो रही बच्चों की मौतों, भुखमरी की हालत और इससे पैदा हुए संकट पर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं। इस सम्बंध में हमने उ0 प्र0 शासन और जिला प्रशासन को कई पत्र सौपें पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। अतः आपको इस आशा से यह पत्र प्रेषित कर रहे हैं कि आप इसमें हस्तक्षेप करेंगे।

1. तात्कालिक यह है कि सोनभद्र जनपद के बभनी विकास खण्ड के ग्राम पंचायत जिगनहवा में ग्रामीण गरीब आदिवासी आज भी गेठी कंदा खा रहे हैं जो कि जहरीला है। दरअसल इस गांव में पानी का जबर्दस्त संकट है। इसके चलते पूरी खेती बरबाद हो गयी है। इस गांव के मजदूरों से मनरेगा में जो थोड़ा बहुत काम करवाया भी गया है उसकी मजदूरी करीब आठ लाख रूपया बकाया है। यहां पानी और भोजन के अभाव में लगातार मौतें हो रही हैं। अतः आप इसे संज्ञान में लेकर ग्रामीणों की जिदंगी को बचाएं।

2. सोनभद्र जनपद के म्योरपुर ब्लाक के बेलहत्थी गांव के रजनी टोला के निवासी आज भी रिहंद बांध से निकले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं और यहां पिछले एक माह में पन्द्रह बच्चे प्रदूषित पानी के कारण मर गए है।(मृत बच्चों की सूची संलग्न है) ऐसी ही स्थिति 2009 में लभरी, गाढा और कमरीड़ाड़ में भी हुई थी, जहां दो दर्जन बच्चे रिहन्द बांध का पानी पीने से मरे थे। गौरतलब हो कि रिहन्द बांध के पानी को इसके आसपास बनी तमाम औद्योगिक परियोजनाओं ने प्रदूषित कर दिया है। यह बात को मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोनभद्र और प्रदूषण बोर्ड का जांचों में भी प्रमाणित हुई है। शुद्ध पेयजल की उपलब्धता के अभाव में ग्रामीण गरीब इसी पानी को पीने के लिए मजबूर हैं। इस मामले में हमारे द्वारा 18 नवम्बर 2009 को प्रेषित पत्र को संज्ञान में लेकर आयोग की ला डीवीजन ने अपने पत्र दिनांक 08 दिसम्बर 2009 केस नम्बर 36392 /24 /69 /09-10/ओसी/एम -4 जिलाधिकारी सोनभद्र को कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया था लेकिन आज तक रिहंद बांध के समीप बसे गांवों में ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं हुई। अतः आपसे निवेदन करेंगे कि छोटे बच्चों और यहां के ग्रामीणों की जिदंगी की रक्षा के लिए आप हस्तक्षेप करें और उ0 प्र0 शासन व जिला प्रशासन को निर्देशित करें कि जिन गांवों में प्रदूषित पेयजल के कारण लोग मर रहे हैं, वहां रिहन्द बांध के आसपास बसे गावों में तत्काल शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाए, जिन परियोजनाओं द्वारा रिहन्द बांध का पानी प्रदूषित किया जा रहा है उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए और आपके निर्देशों तक की अवहेलना करने वाले जिला अधिकारी सोनभद्र को दण्डित किया जाए।

3. सोनभद्र की सोन नदी को बंधक बना लिया गया है। एक ही उदाहरण से स्थिति की गम्भीरता को समझा जा सकता है। चोपन ब्लाक के अगोरी किले का क्षेत्र कैमूर सेन्चुरी एरिया में आता है। इस किले के सामने सोन नदी पर पुल व सड़क बनाकर नदी की धार मोड़ दी गयी है और जेसीबी मशीन लगाकर बड़े पैमाने पर बालू का खनन चौबीस घण्टे किया जा रहा है। माननीय उच्च न्यायालय उ0प्र0 ने जबकि स्पष्ट आदेश दिया है कि मशीनों से बालू का खनन नहीं किया जाना है। मशीनों से हो रहे इस अवैध खनन के कारण सोन नदी के आसपास रहने वाले हजारों परिवार बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं और भुखमरी का शिकार हैं। इतना ही नहीं सोन नदी पर जगह-जगह बने पुलों और बंधों के कारण किसानों की सिचांई के लिए बनी सोन लिफ्ट परियोजना पर भी संकट आ गया है।

पूरा मिर्जापुर -सोनभद्र का यह क्षेत्र पहाड़ों से घिरा हुआ है, कुछ एक अपवादों को छोड़ दिया जाए तो सभी पहाड़ रिजर्व फारेस्ट व सेंचुरी एरिया में आते हैं। इनके खनन के लिए ब्लास्टिंग करायी जाती है और हजारों क्रशर माफियाओं ने लगा रखा है। जबकि पर्यावरण विभाग ने सोनभद्र जनपद में 264 क्रशरों को ही अनुमति प्रदान की हुई है। किसी भी खदान के सामने बोर्ड नहीं लगा है और जहां बोर्ड है भी वह लोगों में भ्रम पैदा करने के लिए है। उदाहरण के लिए सोनभद्र जनपद के सलखन गॉव में राकेश गुप्ता का क्रशर बकायदा रजिस्ट्रेशन नम्बर का बोर्ड लगाकर सेन्चुरी एरिया में ब्लास्टिंग करा रहा है, जबकि सूची में उसका नाम वैध क्रशरों में है ही नहीं। इन पहाड़ों के आसपास आबादी बसी हुई है और इन क्रशरों से उड़ने वाली धूल से यहां के निवासी तपेदिक व श्वास रोग जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आए दिन इन क्रशरों में मजदूरों की दुर्धटनाओं में मौत होती रहती है।

अतः हम आपसे निवेदन करेगें कि उ0 प्र0 शासन को निर्देशित करें कि अवैध रूप से हो रहे बालू और पत्थर खनन पर तत्काल रोक लगवाएं, बालू खनन में मशीनों का प्रयोग बंद हो, पर्यावरण के लिए संकट सोन नदी पर अवैध रूप से बने पुलों और बंधों को तत्काल हटवाया जाए।

4. बभनी ब्लाक के जिगनहवा, भीसुर व म्योरपुर ब्लाक के बभनडीहा और दुद्धी ब्लाक के जाबर गांव में चुने हुए प्रधानों के अधिकारों को प्रशासनिक समिति बनाकर जिला प्रशासन ने छीन लिया है। इस सम्बंध में उ0 प्र0 पंचायत राज अधिनियम के तहत जिलाधिकारी का आदेश विधि के प्रतिकूल है। इस अधिनियम के अनुसार प्रधान का चुनाव न होने की दशा में ही pras समिति का गठन हो सकता है। ज्ञातव्य हो कि इस सम्बंध में जन संघर्ष मोर्चा ने जिलाधिकारी सोनभद्र को पंचायत चुनाव के पूर्व ही पत्रक दिया था और मांग की थी कि यह गांव आदिवासी बहुल गांव है और इन गांवों में अनुसूचित जाति का कोई परिवार नहीं है इसलिए उ0 प्र0 शासन व जिला प्रशासन यहां की सीटों को आदिवासियों के लिए आरक्षित कर दें नहीं तो यहां के आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। इन जातियों के आरक्षण के लिए माननीय उच्च न्यायालय ने भी आदेश दिए थे लेकिन उस दिशा में शासन प्रशासन का रूख सकारात्मक नहीं रहा। हमने यह भी मांग की थी कि इन सीटों को कम से कम सामान्य कर दिया जाए ताकि आदिवासी जाति के लोग चुनाव लड़ सके। लेकिन हमारे निवेदन पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसी परिस्थिति में हम आपसे निवेदन करते है कि जिला प्रशासन सोनभद्र को निर्देशित करें कि प्रशासनिक समिति गठित करके चुने हुए प्रधानों के अधिकारों का हनन न किया जाए और जब तक ग्रामसभा समिति का गठन नहीं हो जाता तब तक प्रधान को ही गांव की आम सभा बुलाकर समिति गठन का अधिकार दिया जाए। यदि ऐसा भी सम्भव न हो तो इस पर न्यायिक सलाह लेकर ही अगली कार्यवाही की जाए।

5. इस जनपद की अनपरा, ओबरा, हिण्डालको, रेनूसागर, कन्नौरिया जैसी औद्योगिक परियोजनाओं में एक ही स्थान पर पिछले 20-25 वर्षो से संविदा श्रमिक कार्य कर रहे हैं। इन श्रमिकों का कार्य नियमित है बावजूद इसके इन्हें विधिक प्रावधानों के बावजूद नियमित नहीं किया जाता। इतना ही नहीं इन उद्योगों में खुलेआम श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है। बड़े पैमाने पर मजदूरों के ईपीएफ में घोटाला किया गया है, कानून द्वारा प्रदत्त न्यूनतम मजदूरी, हाजरी कार्ड, वेतन पर्ची, बोनस, डबल ओवर टाइम, सवैतनिक अवकाश जैसी कानून प्रदत्त सुविधाएं तक मजदूरों को नहीं दी जा रही है। आंदोलनों के दबाव में जो समझौते भी होते हैं उनका अनुपालन नहीं होता है। अतः हम निवेदन करेंगे कि आप इसे संज्ञान में लेकर उ0 प्र0 शासन को निर्देशित करें कि वह इन औद्योगिक इकाईयों में श्रम कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करें और एक ही स्थान पर 20-25 वर्ष से कार्यरत संविदा मजदूरों को नियमित करें।

भवदीय
(विकासशाक्य)
संयोजक
पीयूसीएल
सोनभद्र
(दिनकर कपूर)
राष्ट्रीय प्रवक्ता
जन संघर्ष मोर्चा

 

 

 

 

 

 

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