जैव शौचालयों के लिए रेलवे लगाएगा बैक्टीरिया उत्पादन संयंत्र

कपूरथला, रेलगाड़ियों में जैव शौचालय बनाने के लिए रेलवे कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी में जीवाणु उत्पादन संयंत्र लगाने जा रहा है। इस संयत्र से उत्पादित जीवाणुओं का इस्तेमाल जैव शौचालयों में किया जाएगा। इस परियोजना से जुड़े रेलवे कोच फैक्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हम जैव शौचालय में इस्तेमाल होने वाले एनरोबिक बैक्टीरिया (हवा के अभाव में पनपने वाले बैक्टीरिया) के उत्पादन के लिए यहां संयंत्र लगा रहे हैं। यह संयंत्र रेल कोच फैक्टरी के परिसर में 100 घन मीटर की जगह पर बनेगा।’’ रेलवे ने इस वित्तीय वर्ष में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन किए गए जैव शौचालयों को 2500 डिब्बों में लगाने का लक्ष्य रखा है।

कपूरथला के अलावा ऐसे दो अन्य संयंत्र चेन्नई और नागपुर में भी लगाए जाएंगे। रेल कोच फैक्टरी के एक अधिकारी ने कहा, इन जैव शौचालयों को कपूरथला में बनने वाले सभी आधुनिक एलएचबी डिब्बों में तो लगाया ही जाएगा, साथ ही इन्हें पारंपरिक डिब्बों में भी चरणबद्ध तरीके से लगाया जाएगा। जैव शौचालयों में इस्तेमाल होने वाला यह अवायवीय बैक्टीरिया शौचालयों के मल को पानी और गैस में बदल देता है। क्लोरीन टैंक से होकर गुजरने वाला पानी साफ होकर निकलता है और गैस वायुमंडल में चली जाती है। यह संयंत्र दस दिनों में लगभग दस हजार लीटर बैक्टीरिया का उत्पादन करेगा। एक शौचालय को दस दिन के लिए 150 लीटर बैक्टीरिया की जरूरत पड़ती है।

रेल कोच फैक्टरी के अधिकारी ने कहा, ‘‘अभी तो हम डीआरडीओ से बैक्टीरिया ले रहे हैं लेकिन सभी डिब्बों की जरूरतें पूरी करने के लिए हमें खुद ही बैक्टीरिया का उत्पादन करना होगा। यह संयंत्र निकट भविष्य में काम करने लगेगा।’’ उन्होंने बताया कि एक जैव शौचालय की कीमत लगभग एक लाख रूपए तक होगी। इसमें बदबू नहीं आएगी और इससे रेल की पटरियों का वह क्षय भी रोका जा सकेगा जो अपशिष्ट पदाथो’ के उनपर गिरने की वजह से होता है । रेलवे को हर साल इसतरह से तकरीबन 350 करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान होता है । रेलवे इन जैव शौचालयों का परीक्षण कुछ रेलों में सफलतापूर्वक कर चुका है। रेलवे ने एक समिति बनाई है जो रेलों के पुराने 50 हजार डिब्बों में इन जैव शौचालयों को लगाने के लिए विस्तृत मसौदा तैयार कर रही है।

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