इटावा : अमृत योजना के तहत हकीकत के बजाय कागजों में खोदे गए तालाब

अमृत योजना के तहत खोदे गए तालाबों का हाल
अमृत योजना के तहत खोदे गए तालाबों का हाल

पांच नदियों के संगम वाले उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में अमृत योजना के तहत तालाबो को हकीकत के बजाय कागजों में खोदने का काम किया गया है। सरकारी रिकॉर्ड ऐसा बता रहा है कि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से अमृत योजना के तहत तालाबों को खोदने का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया था उसके अनुरूप हकीकत में तालाब नहीं खोदे गए हैं जबकि दस्तावेजी प्रक्रिया में तालाब खोद डाले गए है।

दूसरी ओर अमृत सरोवर योजना से निर्मित 109 तालाब भीषण गर्मी में पूरी तरह से सूख जाने की बात कही जा रही है,इन तालाबों के सूखने के पीछे इनको निर्मित किए जाने की डिजाइनों पर सवाल खड़ा किया गया है। यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि इटावा के जिलाधिकारी अवनीश राय ने खुद खड़ा किया है।

इटावा के जिलाधिकारी अवनीश राय बताते है कि अमृत सरोवर योजना के तहत जो तालाब निर्मित किए गए है। उनके पानी आने ओर जाने के स्थानों को चेक करने के निर्देश दिए गए है । इसके लिए सभी ग्राम सचिव,खंड विकास अधिकारियो को कहा गया है। जहां पर गड़बड़ी है उनको ठीक कराया जायेगा ताकि अमृत सरोवरो में पानी भरा रहे और अमृत सरोवरों की स्थिति बेहतर बनी रहे। 

इटावा जिले में 109 अमृत सरोवरों का निर्माण कराया गया है लेकिन खराब इंजीनियरिंग, लापरवाही और अनदेखी के कारण अभी तक करीब करीब सभी अमृत सरोवर सूखे हुए पड़े हैं। सरोवर के निर्माण में सबसे बड़ी समस्या यह निकल कर आई है,ज्यादातर अमृत सरोवरों का निर्माण गांव से बाहर किया गया है। इन सरोवरों तक पानी पहुंचाने का इंतजाम नाली के रूप में नहीं किया गया है।

अमृत सरोवर रोहतक पानी लाने का इंतजाम दो कैनाल के जरिए करने की जरूरत महसूस हो रही है। एक पानी पहुंचाने के लिए दूसरे सिल्ट को बाहर निकालने के लिए करने की रहेगी। जिन गांव का जुड़ाव माइनरो से है उनको सीधे माइनर से जोड़ दिया जाएगा ताकि सरोवरों में आसानी से पानी पहुंचता रहे। अमृत सरोवरों का निर्माण मनरेगा स्कीम के तहत कराया गया है। अगर एक हजार रुपए तक का कच्चा काम कराया जायेगा तो 400 तक का पक्का काम किया जा सकता है। अधिकाधिक मामलों में ऐसा देखा गया है कि प्रधानों ने कच्चा काम तो कर दिया है लेकिन पक्का काम किसी भी प्रधान ने नहीं कराया है। पक्के कामों को कराया जाना भी बेहद जरूरी है। तालाबों के आसपास पौधारोपण और इंटरलॉकिंग की व्यवस्था भी करने के निर्देश दिए गए थे लेकिन ऐसा मौके पर कहीं पर भी देखा नहीं जा रहा है कि यह काम हुआ हो। अमृत सरोवर की निगरानी के लिए एक केयर टेकर को रखने की भी जरूरत इस योजना के अंतर्गत थी यह भी व्यवस्था नहीं की गई है इसके लिए प्रधान स्तर पर एक समिति बनाकर के इस व्यवस्था को किए जाने की बेहद जरूरत बताई जा रही है तभी अमृत सरोवरों का रखरखाव संभव हो सकेगा।

अमृत सरोवर योजना के प्रभारी और मनरेगा उपायुक्त सूरज सिंह बताते है कि इटावा में 109 अमृत सरोवर तालाब का निर्माण कर लिया गया है। संसदीय चुनाव के कारण इस वर्ष इस योजना पर कोई कार्य नहीं हो सका है इसलिए अब कार्य शुरू हो रहा है। राज्य सरकार ने इस परियोजना को अगस्त 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया है। इटावा में बीहडी इलाका होने ओर नदियों के कारण सरोवर का पानी संचित नहीं हो पा रहा है। इसके लिए अलग से प्रयास करने होगे।

उन्होंने बताया कि जब अमृत सरोवर योजना शुरू की गई थी उस समय इटावा में 223 तालाबों का चयन किया गया था लेकिन पिछले साल अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों का लक्ष्य घटकर 126 कर दिया है। 

इटावा में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व मनरेगा निधि से गांवों व स्थानीय निकायों में जलस्तर बढ़ाने के लिए अमृत सरोवर का निर्माण कराने की योजना शुरू की गई थी। योजना पर पिछले दो सालों में काम तो हुआ लेकिन कई अमृत सरोवर ऐसे भी हैं जिनमें केवल कागजों में ही तालाब खोदने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया। हकीकत में वह स्थान अब भी समतल मैदान की तरह हैं। वहां पर अभी भी पानी ठहरता ही नहीं है। ऐसे में कह सकते हैं कि अमृत सरोवर परियोजना का उद्देश्य गांव गांव जल संग्रहण करना और जलस्तर को ऊंचा उठाना था, वह पूरा नहीं हो सका है।

स्थानीय अधिकारी कह रहे हैं कि इटावा में अधिकांश क्षेत्र छोटी व बड़ी नदियों का होने के कारण तालाबों का ज्यादातर पानी टिक नहीं पाता है और वह नदियों में बह जाता है,ऐसे में जल स्तर कितना बढ़ा यह तय कर पाना मुश्किल है। उदाहरण के तौर पर सैफई ब्लाक की बात करें तो ग्राम पंचायत हैंवरा, पिडारी, फूलापुर, मनीगांव, कुम्हावर, छितौनी, रामेत में हालात ऐसे हैं कि अमृत सरोवर की खोदाई ही नहीं की गई है। जमीन अभी भी समतल पड़ी हुई है। ऐसे में जल संचयन की बात करना बेमानी है।

इटावा जनपद में केंद्र सरकार ने जब यह योजना शुरू की थी तब 223 अमृत सरोवर का चयन किया गया था। लेकिन पिछले वर्ष राज्य सरकार ने इसका लक्ष्य घटाकर 126 कर दिया और उसी पर काम शुरू किया गया। अधिकारियों को कुल अमृत सरोवर का 75 प्रतिशत लक्ष्य पूरा करने के निर्देश दिए गए थे। इटावा में 109 अमृत सरोवर बनकर तैयार हो गए हैं। अब केवल 17 शेष बचे हैं। ब्लाक वार बात करें तो बढ़पुरा में 17, बसरेहर में 13, भरथना में 18, चकरनगर में 11, जसवंतनगर में 11 महेवा में 13, सैफई में 12, ताखा में 13 अमृत सरोवर का निर्माण किया।
भरथना सुरक्षित विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक राघवेंद्र गौतम का कहना है कि जिला स्तरीय अधिकारी अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए जाने वाले तालाबों के प्रति कतई गंभीर नहीं है और इसीलिए ऐसी हालत इटावा में देखे जा रहे हैं कि कागजों में तालाब निर्मित कर दिए गए हैं जबकि हकीकत में स्थिति तालाब जैसी कतई नजर आ रही है।

बताते चले कि उत्तर प्रदेश का इटावा जिला देश दुनिया में ऐसा माना जाता है जहां पांच नदियों का इकलौता संगम स्थल होता है। चंबल,यमुना सिंधु,क्वारी ओर पहुज नदियों का यह संगम स्थल इटावा जिले में मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिठौली गांव के पास पचनदा के रूप में होता है।

भीषण गर्मी में इन नदियों में व्यापक पैमाने में जल स्तर में गिरावट देखी जा रही है। नदियों में जल स्तर में व्यापक पैमाने से कमी होने के कारण इलाकाई गांव वाले के सामने पशुओ के पीने के पानी का खासा संकट आ खड़ा हुआ है।

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Post By: Kesar Singh
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