एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की बैठक में लिया गया वनक्षेत्र की श्रेणी को नेचुरल कंजरवेशन जोन में बदलने का फैसला
हरियाणा के सैकड़ों एकड़ जंगल काटे जाएंगे। पर्यावरण मंत्रालय की कड़ी आपत्ति के बावजूद एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मीटिंग में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने वनक्षेत्र की श्रेणी बदलने का फैसला लिया है। करीब 10 लाख हेक्टेयर वन भूमि की श्रेणी बदल कर उसे नेचुरल कंजरवेशन जोन बना दिया गया है। इससे यहां टूरिज्म के नाम पर इमारतों व भवनों का निर्माण हो सकता है।
गिरिजा व्यास को फोन करके बुलाया एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में प्रस्ताव पास करने के लिए पांच सदस्यों की आवश्यकता थी लेकिन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री हुड्डा, उनके मुख्य सचिव व बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी ही इस प्रस्ताव के हक में थे। ऐसे में प्रस्ताव पास करने के लिए हुड्डा ने कांग्रेस नेता व बोर्ड की एक अन्य सदस्य गिरिजा व्यास को फोन पर बुलाया। कुछ देर बाद गिरिजा आईं और इसके बाद यह प्रस्ताव पास कर दिया गया।
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के इस फैसले का असर गुंड़गांव, फरीदाबाद व अरावली पर्वत के आसपास के इलाके पर पड़ेगा। हरियाणा सरकार ने इन्हीं क्षेत्रों की लाखों हेक्टेयर भूमि की श्रेणी में बदलाव किया है।
नए बदलाव के बाद अब कुल भूमि के 0.5 प्रतिशत हिस्से को टूरिस्ट गतिविधियों के लिए विकसित किया जा सकता है। इस क्षेत्र में कई पक्षी अभ्यारण्य भी हैं।
पर्यावरण सचिव वन भूमि से छेड़छाड़ के खिलाफ थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला भी दिया। लेकिन बैठक में उनकी एक नहीं सुनी गई। बैठक में मौजूद नेताओं ने पर्यावरण सचिव से कहा कि आप इस बोर्ड का हिस्सा ही नहीं हैं ऐसे में यदि आपको आपत्ति है तो आप इस बैठक से हट सकते हैं। इसके बाद पर्यावरण सचिव वहां से चले गए और अपनी लिखित आपत्ति बोर्ड को भिजवा दी। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, पंजाब कंजरवेशन लैंड एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि को वन क्षेत्र घोषित किया है। साथ ही वन क्षेत्र के 10 किलोमीटर बाहर की भूमि को भी ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है।
हरियाणा के सैकड़ों एकड़ जंगल काटे जाएंगे। पर्यावरण मंत्रालय की कड़ी आपत्ति के बावजूद एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मीटिंग में हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने वनक्षेत्र की श्रेणी बदलने का फैसला लिया है। करीब 10 लाख हेक्टेयर वन भूमि की श्रेणी बदल कर उसे नेचुरल कंजरवेशन जोन बना दिया गया है। इससे यहां टूरिज्म के नाम पर इमारतों व भवनों का निर्माण हो सकता है।
गिरिजा व्यास को फोन करके बुलाया एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में प्रस्ताव पास करने के लिए पांच सदस्यों की आवश्यकता थी लेकिन केंद्रीय मंत्री कमलनाथ, मुख्यमंत्री हुड्डा, उनके मुख्य सचिव व बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी ही इस प्रस्ताव के हक में थे। ऐसे में प्रस्ताव पास करने के लिए हुड्डा ने कांग्रेस नेता व बोर्ड की एक अन्य सदस्य गिरिजा व्यास को फोन पर बुलाया। कुछ देर बाद गिरिजा आईं और इसके बाद यह प्रस्ताव पास कर दिया गया।
गुड़गांव-फरीदाबाद पर पड़ेगा असर
एनसीआर प्लानिंग बोर्ड के इस फैसले का असर गुंड़गांव, फरीदाबाद व अरावली पर्वत के आसपास के इलाके पर पड़ेगा। हरियाणा सरकार ने इन्हीं क्षेत्रों की लाखों हेक्टेयर भूमि की श्रेणी में बदलाव किया है।
नए बदलाव के बाद अब कुल भूमि के 0.5 प्रतिशत हिस्से को टूरिस्ट गतिविधियों के लिए विकसित किया जा सकता है। इस क्षेत्र में कई पक्षी अभ्यारण्य भी हैं।
बैठक छोड़कर चले गए पर्यावरण सचिव
पर्यावरण सचिव वन भूमि से छेड़छाड़ के खिलाफ थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला भी दिया। लेकिन बैठक में उनकी एक नहीं सुनी गई। बैठक में मौजूद नेताओं ने पर्यावरण सचिव से कहा कि आप इस बोर्ड का हिस्सा ही नहीं हैं ऐसे में यदि आपको आपत्ति है तो आप इस बैठक से हट सकते हैं। इसके बाद पर्यावरण सचिव वहां से चले गए और अपनी लिखित आपत्ति बोर्ड को भिजवा दी। पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक, पंजाब कंजरवेशन लैंड एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट ने इस भूमि को वन क्षेत्र घोषित किया है। साथ ही वन क्षेत्र के 10 किलोमीटर बाहर की भूमि को भी ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है।
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