ग्लोबल वार्मिंग हिमालय पर गहरा असर डाल रही है। ताजा शोध बताता है कि मौसम ने अब धार्मिक, व्यापारिक और औषधीय रूप से महत्त्वपूर्ण देवदार के पेड़ों को दुष्प्रभावित करना शुरू कर दिया है। लगातार बदलते मौसम के कारण देवदार की लंबाई में 37 से 47% तक की कमी आई है। यह असर हिमालय के 2500 मीटर से ऊपर उगने वाले देवदारों पर देखा गया है। हालांकि निचले क्षेत्रों में अध्ययन होना अभी बाकी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू- कश्मीर में देवदार के पेड़ों की स्थिति अच्छी नहीं है । गोविंदबल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान के वैज्ञानिकों ने तीनों राज्यों के 17 स्थानों पर अध्ययन के बाद यह चिंता जाहिर की है।
1800 से 3300 मीटर की ऊंचाई पर मिलते हैं देवदार के वृक्ष
वैज्ञानिकों के मुताबिक सामान्य तौर पर हिमालय क्षेत्र में देवदार के पेड़ 1800 से 3300 मीटर की ऊंचाई पर मिलते हैं। देवदार के पेड़ की लंबाई सामान्य तौर पर 40 से 50 मीटर होती है। लेकिन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इनकी लंबाई तेजी से घट रही है। शोध के दौरान ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कई देवदार के पेड़ ऐसे मिले हैं, जो अपनी सामान्य लंबाई की तुलना में 14 से 22 मीटर तक कम थे।
500 से 600 साल तक होती है उम्र
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. जेसी कुनियाल के अनुसार, देवदार कार्बन सोखने के बड़े स्रोत हैं। इस पेड़ की उम्र 500 से 600 साल तक होती है। इसका कद घटना चिंताजनक है। बारिश-बर्फबारी तो कभी अत्यधिक गर्मी से पेड़ों के पोषण का क्रम गड़बड़ा गया है। इसका पहला असर पेड़ों की लंबाई पर नजर आ रहा है।
देवदार से बनती हैं दवाएं
वैज्ञानिक नाम जॉर्ज एवरग्रीन कोनिफर टी है । इसकी पत्तियां नुकीली होती हैं। तने, पत्तियों और लकड़ी में केमिकल पाए जाते हैं। इससे तेल भी निकलता है । बाम और अन्य दर्द निवारक दवाएं बनाई जाती हैं।
स्रोत -राष्ट्रीय सहारा- शनिवार 26 अगस्त 2023, हस्तक्षेप 3 -hastkshep.rsatara@gmail.com
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