इंसानी जिन्दगी के लिए पानी का होना सबसे अहम् है और पानी के के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है इसीलिए पानी को बचाकर रखना बेहद जरूरी है लेकिन पृथ्वी पर इंसानों के इस्तेमाल करने लायक पानी तेजी से ख़त्म हो रहा है खासकर भूजल स्तर में काफी तेजी से कमी आ रही है क्यूंकि भूजल का दोहन अंधाधुंध हो रहा है और बारिश का पानी संरक्षण के बिना ज़मीन तक नहीं पहुँच रहा है दिल्ली से सटे गुडगाँव में तो स्थिति बद से बदतर होती जा रही है और यहाँ लगातार अंधे विकास की दौड़ में भूजल का वैध और अवैध रूप से अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है | पिछले एक दशक में यहाँ सरकार ने शहर की विश्वस्तरीय छवि बनाने के लिए यहाँ जबरदस्त निर्माण कार्य किया जिससे प्राकृतिक संसाधनों का का जमकर इस्तेमाल हुआ और यहाँ कंक्रीट का एक जंगल खड़ा हो गया और यहाँ कंक्रीट का जंगल बनाने के लिए भूजल का इतना इस्तेमाल हुआ की अब भूजल इंसानी पहुँच से ही दूर होता जा रहा है |कहीं कहीं तो भू जल स्तर सौ मीटर से भी निचे चला गया है | भूजल स्तर का इतनी तेजी से नीचे गिरने का एक और सबसे बड़ा कारण गुडगाँव में प्राकृतिक जल स्रोतों का नष्ट होना भी है क्यूंकि पहले बरसात का पानी इन स्रोतों में जमा हो जाता था जिससे भूजल रिचार्ज होता रहता था |
गुडगाँव शहर की बात करें तो यहाँ शहर की सीमा में लगभग तीस गाँव हैं जिनमे लगभग 40 से ज्यादा तालाब, जोहड़, और बरसाती नाले थे जिनका अब आस्तित्व ही नहीं है या तो अब वो सूख गए हैं या फिर अतिक्रमण का शिकार हो गए कुछ को मिट्टी से भरकर मोटे दामों पर बेचने की तैयारी है और इसमें सरकारी अधिकारियों की मिली भगत भी है | इसके अलावा पहले गुडगाँव के आसपास बरसाती पानी को रोकने के लिए बांध बनाये गए थे जिससे बरसाती पानी शहर से बहकर नहीं जा पाता था लेकिन अब वो भी टूट गए हैं जिसे शहर सूख रहा है |
ऐसे में इन प्राकृतिक जल स्रोतों को दोबारा से मरम्मत करके ठीक किया जाये तो लगभग 70 फीसदी भूजल को रिचार्ज किया जा सकता है जिससे गुडगाँव की एक बड़ी पेयजल की मांग को पूरा किया जा सकता है लेकिन इसके साथ-साथ बरसात के पानी का संरक्षण भी बेहद जरूरी है गुडगाँव में ऐसे कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते वो भी दयनीय स्थिति में हैं |
प्रशासन भी जानता है की प्राकृतिक जल स्रोतों को दोबारा से ठीक करने से ही भूजल स्तर को सुधारा जा सकता है लेकिन इस ओर अब तक कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है हालांकि भूजल को रिचार्ज करने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली पर जोर दे रहा है और इसके लिए शहर में कुछ जगहों को चिन्हित भी किया गया है लेकिन प्रशासन रैन वाटर हार्वेस्टिंग को भूजल रिचार्ज करने में ज्यादा कारगर नहीं मानता है |
अगर यही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब गुडगाँव में भूजल स्तर इतना गिर जायेगा की इन्सान वहां तक पहुँच ही नहीं पायेगा गुडगाँव वासी बूँद-बूँद को तरस जायेंगे ऐसे में जरूरत है की भूजल का नियंत्रित प्रयोग किया जाये और प्राकृतिक जल स्रोतों की मरम्मत कर उन्हें दोबारा गुलज़ार किया जाये ताकि पानी को बचाया जा सके जिससे दुनिया में जीवन यूं फलता फूलता रहे |
गुडगाँव शहर की बात करें तो यहाँ शहर की सीमा में लगभग तीस गाँव हैं जिनमे लगभग 40 से ज्यादा तालाब, जोहड़, और बरसाती नाले थे जिनका अब आस्तित्व ही नहीं है या तो अब वो सूख गए हैं या फिर अतिक्रमण का शिकार हो गए कुछ को मिट्टी से भरकर मोटे दामों पर बेचने की तैयारी है और इसमें सरकारी अधिकारियों की मिली भगत भी है | इसके अलावा पहले गुडगाँव के आसपास बरसाती पानी को रोकने के लिए बांध बनाये गए थे जिससे बरसाती पानी शहर से बहकर नहीं जा पाता था लेकिन अब वो भी टूट गए हैं जिसे शहर सूख रहा है |
ऐसे में इन प्राकृतिक जल स्रोतों को दोबारा से मरम्मत करके ठीक किया जाये तो लगभग 70 फीसदी भूजल को रिचार्ज किया जा सकता है जिससे गुडगाँव की एक बड़ी पेयजल की मांग को पूरा किया जा सकता है लेकिन इसके साथ-साथ बरसात के पानी का संरक्षण भी बेहद जरूरी है गुडगाँव में ऐसे कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते वो भी दयनीय स्थिति में हैं |
प्रशासन भी जानता है की प्राकृतिक जल स्रोतों को दोबारा से ठीक करने से ही भूजल स्तर को सुधारा जा सकता है लेकिन इस ओर अब तक कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है हालांकि भूजल को रिचार्ज करने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली पर जोर दे रहा है और इसके लिए शहर में कुछ जगहों को चिन्हित भी किया गया है लेकिन प्रशासन रैन वाटर हार्वेस्टिंग को भूजल रिचार्ज करने में ज्यादा कारगर नहीं मानता है |
अगर यही हालात रहे तो वो दिन दूर नहीं जब गुडगाँव में भूजल स्तर इतना गिर जायेगा की इन्सान वहां तक पहुँच ही नहीं पायेगा गुडगाँव वासी बूँद-बूँद को तरस जायेंगे ऐसे में जरूरत है की भूजल का नियंत्रित प्रयोग किया जाये और प्राकृतिक जल स्रोतों की मरम्मत कर उन्हें दोबारा गुलज़ार किया जाये ताकि पानी को बचाया जा सके जिससे दुनिया में जीवन यूं फलता फूलता रहे |
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