सारांश
ग्रामीण तालाब मानव जीवन के परम्परा से जल के उपयोग व संरक्षण के स्रोत रहें हैं। आजकल के आधुनिक समय में ग्रामीण तालाब को सबसे अधिक विनाश/जीर्ण-शीर्ण करने में घरेलू प्रदूषित जल, तालाब का अतिक्रमण, सिंचाई का पम्प व घरेलु कचरा से अधिक हो रहा हैं। जिसके कारण ग्रामीण तालाब गांव के कचरा डम्पिगं का स्थान हों गये हैं। जिसके कारण ग्रामीण तालाब मरणाशन अवस्था/अति-संकट में हैं। जिसमें तालाब में युट्राफिकेशन की स्थिति बनती हैं जिसके अन्तर्गत तालाब में जहरीला शैवाल (माईक्रसिस्टीस) उत्पन्न हो जाता हैं। राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की के शोध और विकास कार्य के तहत इब्राहिमपुर गांव जो कि हरिद्वार जिला उत्तराखण्ड राज्य के तालाब का जीर्णोद्धार किया जिसमें जलकुम्भी एवं अन्य खरपतवारों की तालाब से निकासी,तालाब से सिल्ट व प्रदूषित जल की निकासी, तालाब की बाउन्डी की मरम्मत एवं कटीले तारों द्वारा सुरक्षात्मक उपाय व गांव के अपशिष्ट जल के शोधन के लिए प्राकृतिक शुद्धीकरण संयंत्र (नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम/कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड) स्थापित किया गया है जिसमे घरेलू प्रदूषित जल का प्राकृतिक तरीके से शुद्धीकरण कर ग्रामीण तालाब में प्रवाहित करनें का कार्य किया गया हैं। जिससे तालाब की जल भण्डारण क्षमता में 58 प्रतिशत वृध्दि हुई हैं।
की-वर्ड्स: ग्रामीण तालाब, गंदा पानी, रूट जोन उपचार, इब्राहिमपुर गांव,जिला हरिद्वार।
Abstract
Ponds are traditional means of water conservation and stored water is used for domestic & agricultural purposes. However, due to various reasons many village ponds are dying-storage capacity is depleting & water quality is degraded and ponds have reached utpo severe eutrophication levels. Hence, we need to rejuvenate the village ponds by green and cheap technology (Natural Treatment Systems), so that the same can be replicated in large number of ponds at reasonable cost. In the present study, NIH has rejuvenated a village pond located in Ibrahimpur-Masahi village (Bhagwanpur Block, District Haridwar, Uttarakhand). The water storage capacity of the pond has been increased after rejuvenation works (de silting). In this pond, root zone based natural treatment system (phytoremediation techniques) has been developed for treatment of domestic village wastewater entering into pond. A regular water quality monitoring is continuing to evaluate the performance this natural treatment system with reference to nearby control pond at Masahi.
Key words: Village Pond, dirty water/domestic wastewater, Rootzone Wetland Technique, Ibrahimpur Masahi, Dist. Haridwar
उद्देश्य
ग्रामीण तालाब मानव जीवन के परम्परा से जल के संरक्षण व उपयोग के स्रोत रहें हैं। जिसमें घरेलू उपयोग, सिचाई,सफाई व सांस्कृतिक आदि हैं। आजकल के आधुनिक समय में ग्रामीण तालाब को सबसे अधिक क्षतिग्रस्त व विनाश करने में सिचाई का पम्प (सम्बरसीबल), घरेलू प्रदूषित जल, तालाब का अतिक्रमण व घरेलू कचरा से अधिक हो रहा हैं। जिसके कारण ग्रामीण तालाब मरणाशन अवस्था/अति-संकट में हैं। जिसमें तालाब में युट्राफिकेशन की स्थिति बनती है जिसके अन्तर्गत तालाब में जहरीला शैवाल (माईक्रसिस्टीस) उत्पन्न हो जाता है जो कि पशुओं व जानवरों की मृत्यु का कारण है व बहुत सी जल से उत्पन्न बिमारियां होती हैं तथा तालाब में कार्बनिक बोझ् बड़ जाता हैं जिससे तालाब से जहरीली गेसौं का रिसाव (ग्लोबल वार्मिंग गैसे) बढ़ जाता है और जमीनीय जल में भारी तत्व का रिसाव होने लगता हैं। तालाब के फ्लोरा व फ्यूना दोनों संकटाउत्पन्न स्थिति में आगये हैं। तालाबों की ऐसी अवस्था देखकर उ.प्र. सरकार ने “तालाब विकास, सुरक्षा व संवरक्षण प्राधिकरण” के बिल (2017) तालाब जीर्णोद्धार के बारे में बनाया गया है। गांव में ग्रामीण समुदाय के सहयोग (ग्राम पंचायत भागीदारी) व राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की के शोध और विकास कार्य के तहत तालाब का जीर्णोद्धारः -जिसमें जलकुम्भी एवं अन्य खरपतवारों की तालाब से निकासी,तालाब से सिल्ट व प्रदूषित जल की निकासी, तालाब की बाउन्डीª की मरम्मत एवं कटीले तारों द्वारा सुरक्षात्मक उपाय व गांव के अपशिष्ट जल के शोधन के लिए प्राकृतिक शुद्धीकरण संयंत्र (नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम/कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड) स्थापित किया गया है जिसमें घरेलू प्रदूषित जल का प्राकृतिक तरीके से शुद्धीकरण कर ग्रामीण तालाब में प्रवाहित करने का कार्य किया गया हैं। इस तकनिकी के अन्र्तगत गन्दे नाले के अन्त में (तालाब में मिलने से पहले) संयंत्र स्थापित किया जाता है जिसे कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड कहते हैं इस प्राकृतिक शुद्धीकरण संयंत्र में सबसरफेस कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड स्थापित किया है। यह एक संपोषित उपचारपर्यावरण मित्र तकनीकी हैं जो कि प्राकृतिक संपदा, जैवविविधता व प्राकृतिक सौंन्दर्यता को बढ़ाने वाली है जोकि बिना बिजली, बिना मशीन व बिना केमिकल के स्वतः सतत सहज जड़ आधारिय चलने वाली तकनिकी हैं। इससे घरेलू प्रदूषित जल का उपचार के बाद पुनः उपयोग किया जाता हैं। गांव में ग्रामीण चैपालों पर ग्रामीण समुदाय को तालाब के संरक्षण व महत्व को बताया गया।
अध्ययन क्षेत्र
प्रयोग के लिये इब्राहिमपुर गांव जो कि हरिद्वार जिला उत्तराखण्ड राज्य (चित्र 1, 2) में है। इसमें पांच गांव जुडे़ हैं। जिसमें पाँच तालाब हैं जोकि सोलानी नदी के जलागम क्षेत्र में हैं। इस वर्तमान अध्ययन में तालाब में एक इनलेट हैं जिसमें घरेलू प्रदूषित जल का बहाव 31 मी3./दिन है। तालाब की भौगोलिक स्थिति (Lat/Long 29058’24.4”, 77053’22.3”) हैं। इस क्षेत्र का वर्षा का औसत 1050 मिमी होता है।तापमान लगभग 110 शीत ऋतु व 450 यहां की मिट्टी लोमी है जिसमें 50-55 प्रतिशत रेती, 35-42 प्रतिशत सिल्ट व 8-15 प्रतिशत मिट्टी होती हैं।
पद्धति: आधार आकडें (डेमोग्राफी, लेण्ड युसेज, क्राप, वाटर सोर्सेस व युटिलाईजेशन, तालाब) सरकारी संस्था से इक्कठे किये गये थे। इसमें घरेलू प्रदूषित जल का तालाब में इनफ्लो, ग्रीट चेम्बर व रूटजोन (सबसरफेस कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड) इनलेट-आउटलेट के जल नमूना लेना, प्रिजर्व करना व विश्लेषण आदि में स्टेण्डर्ड मेथड का ही अनुकरण किया गया है। तालाब के युट्राफिकेटेड की स्थिति का निर्धारण टी.एस.आई. कार्सन के अनुसार हुआ है। नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम में घरेलू प्रदूषित जल का बहाव 31 मी ग्रीष्म ऋतु में होता है। 3दिन है तथा नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम को तीन भागों में बाट सकते हैं 1. प्रि-ट्रीटमेंट (ग्रीट चेम्बर), 2. रूटजोन (सबसरफेस कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड) व 3. तालाब(चित्र 3)।
1. प्रि-ट्रीटमेंट (ग्रीट चेम्बर):- यह एक भौतिकिय उपचार प्रणाली हैं जिसमें स्क्रिनिगं बार व ग्रीट सेटलिंग चेम्बर होता है जिनका आयाम इस प्रकार हैं स्क्रिनिगं बार की लम्बाई 1.44 मी., चैडाई 1.44 मी हैं ।
ग्रीट चेम्बर:- लम्बाई 2.5 मी., चैडाई 1.44 मी.व गहराई 1.30 मी. के तीन चेम्बर होते हैं जिसका वोल्युम 14 मी3 होता हैं
2. रूटजोन (सबसरफेस कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड) :-17.5 मी., 17.5 मी.,20 मी. त्रिभुजाकार व गहराई 1 मी.
जिसका क्षैत्रफल 143.6 मी2 व वाल्युम 143.3 मी3 होता हैं।
3. तालाब:-पेरीफेरी 215 मी.
4. क्षैत्रफल 2550 मी2 व गहराई 3.29 मी. जिसका वाल्युम 8389.5 मी3 हैं।
रूटजोन तकनीकी एक सहज सस्ता, सुन्दर व प्राकृतिक आधारित तकनीकी है जिसका आयाम उपरोक्त वर्णित है। जिसमें जलीय पौधों का रोपण किया जाता है जिनका नाम रीड- ग्रास: वानस्पतिक नाम फ्रेगमाईटिस कारका व कैना इन्डिका हैं रीड- ग्रास व कैना जलीय पौधें का रोपण 5 पौधें/मी.2 किये गये हैं रूटजोन के विकसित होने के बाद प्रदूषित जल का उपचार साफ दृष्टिगोचर हो रहा है। तालाब के प्रदूषित जल का मापक विश्लेषण तालिका में वर्णित किया गया है इसके साथ ही तालाब में ग्लोबल वार्मिंग गैसे मिथेन का दुष्प्रभाव भी 90 प्रतिशत कम होने का बताया गया है। चित्र 2 (नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम/कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड), चित्र 3. नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम द्वारा जैवविविधता व प्राकृतिक सौंन्दर्यता का संरक्षण (CEH-UK/NIH data)।
निष्कर्ष/परिणाम
तालाब से जलकुम्भी एवं अन्य खरपतवारों की तालाब से निकासी, तालाब से सिल्ट व प्रदूषित जल की निकासी से तालाब की जल भण्डारण क्षमता में 58 प्रतिशत वृद्धि हुई है तथा तालाब की गहराई 2.3मी. से 3.29 मी. वृध्दि हुई है।
आठ माह में रीड पौधों व कैना पौधें की संख्या (तालिका 2) क्रमशः 1274 से 67536 व 1225 से 4146 बढ़कर कर हो गयी हैं जो कि रूटजोन का सकारात्मक सुचकांक हैं।
उपसंहार
उपरोक्त अध्ययन से यह निष्कर्ष मिलता है कि रूटजोन सब सरफेस कंस्ट्रक्टेट वेटलैण्ड एक संपोषित उपचार तकनिकी पर्यावरण मित्र तकनीकी हैं जो कि ग्रामीण तालाबों के जीर्णोद्धार के लिये सकारात्मक साबित होगी।
घरेलू प्रदूषित जल का रूटजोन उपचार तालाब कीयुट्राफिकेटेड की स्थिति को कम करता हैं तथा साथ ही तालाब के जल का डी.ओ.भी बढ़ाता हैं। जिससे तालाब का फ्लोरा व फ्यूना दोनों ही स्वस्थ रहेंगें। तालाब परिस्थितिकी तंत्र सहज सुन्दर आकर्षक व महकदार शोभित होने के साथ-साथ जैवविविधता को भी संपोषित कर रहा है। रूटजोन उपचार ग्लोबल वार्मिंग गैस मिथेन को भी कम करता हैं।
References
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