निर्मल एवं स्वच्छ गंगा के दावों के बावजूद गंगा धाम गंगोत्री से ही भागीरथी गंदगी ढोने को विवश है। भागीरथी के घाट और तटों पर गंदगी के ढेर लगे हुए हैं, लेकिन स्वच्छता का ढोल पीटने वाला जिला प्रशासन और गंगोत्री नगर पंचायत केवल रस्मों को निभा रहे हैं। गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से लेकर कपाट बंद होने तक रोजाना देश दुनिया से आठ से दस लाख यात्री पहुंचते हैं। वह अपने साथ लाई प्लास्टिक की बोतलें, पाॅलीथिन बैग, खाद्य पदार्थों के प्लास्टिक रैपर, कपड़े आदि यहीं छोड़ देते हैं।
इससे यहां रोजाना दो से तीन क्विंटल प्लास्टिक व अन्य कचरा जमा हो जाता है, लेकिन इसे ठिकाने कहां लगाया जाता है, इसका जवाब प्रशासन के पास भी नहीं है। कारण, गंगोत्री में अभी तक कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। वर्ष 2012-13 में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को जो काॅम्पेक्टर मशीन लगाई गई थी, उसका संचालन वर्ष 2015 तक ही हो पाया। हालांकि, प्रशासन दावे कर रहा है कि कूड़े की छंटाई व निस्तारण के लिए गंगोत्री में स्थान उपलब्ध हो गया है, लेकिन धाम की मौजूदा तस्वीर इसे झुठला रही है।
समुद्रतल से 10,299 फीट की उंचाई पर स्थित गंगोत्री धाम में घाटों से लेकर पाटों (तट) तक जगह जगह भारी मात्रा में कचरा बिखरा पड़ा है, जो निस्तारण की व्यवस्था न होने के कारण सीधे भागीरथी में समाता है। धाम में साफ-सफाई व कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था का जिम्मा नगर पंचायत गंगोत्री के पास है। लेकिन, कूड़ा उठाने और उसके निस्तारण की व्यवस्था को अभी तक नगर पंचायक दुरुस्त नहीं कर पाई है।
हैरत देखिए कि नगर पंचायत के पास गंगोत्री में अभी तक कूड़ा निस्तारण के लिए कोई स्थान नहीं है, जहां कूड़े की छंटाई कर जैविक कूड़े का निस्तारण किया जा सके। नगर पंचायत ने प्लास्टिक कूड़े के प्रबंधन के लिए जो काॅम्पेक्टर मशीन लगाई थी, उसका भी उपयोग नहीं हो रहा है। केवल वर्ष 2015 में नगर पंचायत ने 12 हजार रुपये का काॅम्पेक्ट प्लास्टिक बेचा था। उसके बाद काॅम्पेक्ट मशीन का संचालन ही नहीं हो पाया। नतीजा नगर पंचायत और प्रशासन ने ही प्लास्टिक सहित अन्य कचरे को ठिकाने लगाया। जिसके कारण गंगा गंगोत्री से ही प्रदूषित हो रही है।
गंगोत्री में प्लास्टिक पर प्रतिबंध बेमानी
गंगोत्री धाम में प्रशासन और गंगोत्री मंदिर समिति ने प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के दावे किए थे, लेकिन प्लास्टिक व पाॅलीथिन का अभी भी धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। खाद्य सामग्री, कपड़े, पूजा की वस्तुओं की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाली पाॅलीथिन जहां-तहां बिखरी पड़ी हैं। यहां तक कि गंगोत्री मंदिर में हर दिन चलने वाले भंडारे में भी प्लास्टिक की कोटिंग वाले पत्तलों का प्रयोग हो रहा है। गंगोत्री बाजार में व्यापारियों ने भी अपनी दुकानों में कूड़ेदान नहीं लगाए हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
एसडीएम व गंगोत्री नगर पंचायत के प्रशासक देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि गंगोत्री धाम में सफाई व्यवस्था के लिए पर्याप्त सफाई कर्मचारी रखें गए हैं। घाटों की भी नियमित सफाई कराई जाती है। प्लास्टिक कूड़े के प्रबंधन के लिए काॅम्पेक्टर मशीन शुरू की गई थी, लेकिन बीते कुछ वर्षों से इसका संचालन नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा कूड़े की छटाई व निस्तारण के लिए गंगोत्री में बस पार्किंग के पास स्थान मिल गया है। अब वहीं कूड़े का निस्तारण कराया जाएगा।
/articles/gangaotarai-sae-hai-kacarae-kao-dhao-rahai-haai-maan-gangaa