गंगा मैली करने वालों के खिलाफ कानून जल्द


केंद्रीय जल संसाधन और गंगा संरक्षण राज्यमंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। नदियों को निर्मल रखने के लिये हर नागरिक को आगे आना होगा। कहा कि गंगा मैली करने वालों पर अंकुश लगाने के लिये जल्द ही कानून भी बनाया जाएगा।

ऋषिकेश में गंगा नदीमंगलवार को हरिद्वार के ऋषिकुल स्थित मालवीय ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री ने नमामि गंगे राष्ट्रीय गंगा स्वच्छता मिशन के तहत 918.93 करोड़ रुपये की लागत से 32 परियोजनाओं के शिलान्यास के अलावा गंगोत्री धाम में सीवेज व एसटीपी और बदरीनाथ में 0.26 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का लोकार्पण भी किया। परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में गंगा और सहायक नदियों के किनारे बसे 15 शहरों को इन परियोजनाओं में शामिल किया गया है।

इनमें बदरीनाथ, जोशीमठ, गोपेश्वर, नंदप्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी और देवप्रयाग जैसे नगर और कस्बे हैं। कहा कि नमामि गंगे के तहत इन शहरों में जलमल प्रबंधन, नदी तट विकास, नदी सतह की सफाई, वानिकी कार्यक्रम आदि चलाए जाएँगे। गंगा स्वच्छता का आह्वान करते हुए उदाहरण दिया कि उन्होंने अपने पिता की अस्थियाँ गंगा में प्रवाहित नहीं कीं। कहा कि बहते जल को किसी भी रूप में दूषित करना शास्त्र या धर्मसम्मत नहीं है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा प्रदेश सरकार नमामि गंगे परियोजना को लेकर गम्भीर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 26 हजार जलस्रोतों की भी निर्मलता जरूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अस्थि विसर्जन गंगा में करने के स्थान पर दूसरे विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। इसका एक रास्ता जमीन में अस्थि विसर्जित कर पौधा रोपने का हो सकता है, इससे हमारे पूर्वजों की यादें सदैव जिंदा रहेंगी। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि यह उनका निजी विचार है। किसी की सोच कुछ और भी हो सकती है।

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