गंगा की सफाई पर पानी की तरह धन बहाने के बावजूद स्थितियाँ और खराब होने के बारे में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पर्यावरण वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी की शिकायत को प्रधानमंत्री कार्यालय ने गंभीरता से लिया है।
त्रिपाठी ने शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से इस बात की जांच करने को कहा है कि गंगा के निर्मलीकरण के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बावजूद इस नदी में प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ता जा रहा है।
त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने पिछले महीने प्रधानमंत्री तथा प्राधिकरण के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर खासकर वाराणसी में गंगा नदी की दुर्दशा और उसके प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर ध्यान देने की गुज़ारिश की थी।
पर्यावरण वैज्ञानिक ने बताया कि उन्होंने पत्र में गंगा की सफाई के प्रति इच्छाशक्ति की कमी और उसके निर्मलीकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को लागू करने में विभिन्न प्राधिकारियों के बीच तालमेल नहीं होने का आरोप लगाया था। साथ ही गुज़ारिश की थी कि मौजूदा हालात पैदा होने के कारणों की जांच करके जवाबदेही तय की जाए।
उन्होंने पत्र में योजनाओं की नाकामी और जनता की कमाई की बर्बादी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गुजारिश भी की थी। त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें गत बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें उनसे पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को दिए गए निर्देशों के बारे में अवगत कराया गया है।
उन्होंने बताया कि ‘गंगा एक्शन प्लान’ पर अब तक करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके अलावा विश्व बैंक भी गंगा के निर्मलीकरण के लिए करीब 2600 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।
त्रिपाठी ने शनिवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से इस बात की जांच करने को कहा है कि गंगा के निर्मलीकरण के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जाने के बावजूद इस नदी में प्रदूषण का स्तर क्यों बढ़ता जा रहा है।
त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने पिछले महीने प्रधानमंत्री तथा प्राधिकरण के अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर खासकर वाराणसी में गंगा नदी की दुर्दशा और उसके प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर ध्यान देने की गुज़ारिश की थी।
पर्यावरण वैज्ञानिक ने बताया कि उन्होंने पत्र में गंगा की सफाई के प्रति इच्छाशक्ति की कमी और उसके निर्मलीकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं को लागू करने में विभिन्न प्राधिकारियों के बीच तालमेल नहीं होने का आरोप लगाया था। साथ ही गुज़ारिश की थी कि मौजूदा हालात पैदा होने के कारणों की जांच करके जवाबदेही तय की जाए।
उन्होंने पत्र में योजनाओं की नाकामी और जनता की कमाई की बर्बादी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गुजारिश भी की थी। त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें गत बुधवार को प्रधानमंत्री कार्यालय से एक पत्र प्राप्त हुआ है जिसमें उनसे पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को दिए गए निर्देशों के बारे में अवगत कराया गया है।
उन्होंने बताया कि ‘गंगा एक्शन प्लान’ पर अब तक करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके अलावा विश्व बैंक भी गंगा के निर्मलीकरण के लिए करीब 2600 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है।
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