गर्मी में पानी की उपलब्धता को लेकर न सिर्फ शहरवासी चिंतित रहते हैं, बल्कि सरकार व प्रशासन भी। प्रशासन पानी की आपूर्ति को लेकर मैराथन बैठक भी करता है, पर नतीजा हर साल सिफर ही रहता है। गया की भौगोलिक बनावट भी कुछ ऐसी है कि पानी के लिए हाय-तौबा मची ही रहती है। तीन तरफ से पहाड़ियों से घिरे गया जिले में हर जगह चाहे गांव हो या शहर, पानी की किल्लत बनी ही रहती है। गर्मी की दस्तक के साथ ही जलापूर्ति को लेकर सड़क जाम, धरना, प्रदर्शन व प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर अपनी समस्या से अवगत कराते रहने का सिलसिला जारी हो जाता है। जिले के कई इलाके में पानी है, तो वह इतना दूषित व सेहत के लिए खतरनाक रासायनिक पदार्थ मिला होता है कि पूछिए मत।
जनगणना रिपोर्ट 2001-2011
आबादी 3473428-4379383
पुरुष 1792163-2266865
महिला 1681265-2112518
इसके विपरीत पेयजल आपूर्ति की बात करें तो सामान्यत: 150 की जनसंख्या पर एक चापाकल व महादलित टोले में सौ की जनसंख्या पर एक चापाकल लगाने की योजना है। मानक के अनुसार इसमें 32159 चापाकल की जरूरत है, पर लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग (पीएचइडी) को इसके विपरीत 23303 चापाकल लगाने के लिए ही पैसे आये हैं। 8856 चापाकल नहीं लगाये जा सकते हैं। यह योजना इस साल की है। पहले से जो चापाकल लगे हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 15 प्रतिशत व शहरों में 35 प्रतिशत के आस-पास चल रहे हैं। बाकी सभी खराब पड़े हैं। चापाकल मरम्मत दल गांवों में भेजे गये हैं। पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि मत्स्य पालकों के हर 20 घरों पर एक चापाकल लगाने की योजना है। जिले में इसके लिए 332 स्थलों का चयन किया गया है, पर एक भी स्थान पर लगाने के लिए पैसे नहीं आये हैं। इसके अलावा विधायक, मुखिया फंड की राशि से भी जरूरत के मुताबिक चापाकल लगाने की योजना है। लेकिन, सवाल है कि क्या इससे गांवों के लोगों की प्यास बुझ जायेगी।
इमामगंज, डुमरिया, बांकेबाजार, फतेहपुर, टनकुप्पा, मोहनपुर, बाराचट्टी, आमस प्रखंडों के सुदूर सैकड़ों ऐसे गांव हैं, जो पहाड़ी की तलहटी में बसे हैं और यहां गर्मी में क्या अन्य दिनों में पानी की किल्लत रहती है। दूसरे गांवों से ढोकर पानी लाते हैं। इन सुदूर गांवों की दशा देखने वाला कोई नहीं। सिर्फ नक्सली क्षेत्र होने के नाम पर इन गांवों का विकास अवरुद्ध है। नक्सली गांवों के विकास के लिए, जबकि केंद्र से अलग पैसा आता है।
पोखर का गंदा पानी, जिसमें अपने जानवरों को धोते व पानी पिलाते हैं, वही पानी अपने लिए भी इस्तेमाल करते हैं। पानी-पानी चिल्लाते हैं जिनकी आवाज शहर में बैठे बाबुओं के चौखट तक नहीं पहुंच पाती। ग्रामीणों की मानें, तो जनप्रतिनिधि उनकी झोंपड़ी में तभी झांकने आते हैं जब उन्हें उनका वोट मांगना होता है। उसमें भी उनके वोट का मालिक कोई ठेकेदार हो जाता है। कई गांवों में तो आज भी लोग कुएं का पानी पी रहे हैं। इन कुओं की सफाई वे खुद करते हैं, पर कीटनाशी दवाएं इनमें छिड़काव नहीं किये जाने से बीमारी होने की आशंका भी हमेशा बनी रहती है।
आमस व बांकेबाजार के कई गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी पीकर पूरा का पूरा जनरेशन अपंगता का शिकार हो चुका है। बावजूद सरकार व प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है।
अब हम बात कर रहे हैं गया के शहरी क्षेत्र की। यहां की जलापूर्ति मुख्यत: दो दंडीबाग व पंचायती अखाड़ा मुहल्ले में स्थित पंपिंग केंद्र से की जाती है। शहर में सीधे जलापूर्ति के लिए छोटे-छोटे 23 पंपिंग केंद्रों के जरिये पानी की सप्लाई की जाती है। इस बार गया नगर निगम के जल पर्षद विभाग ने शहर के 21 पुराने व आठ नये जलापूर्ति केंद्र के लिए कुल 27 मोटर व पंप स्टैंडबाइ के खरीद की आवश्यकता जतायी है।
गांधी मैदान के लिए 20 एचपी, 100 एमएम,150 एमएम पाइप लाइन व ट्रांसफार्मर के साथ पंप हाउस का निर्माण।
गांधी मैदान के चारों तरफ 100 एमएम, 150 एमएम पाइप लाइन का कार्य।
मानपुर वार्ड संख्या 53 के सलेमपुर मुहल्ला के अंतर्गत नलकूप की सफाई व पाइप लाइन व ट्रासफार्मर पोल का काम।
बागेश्वररी जलापूर्ति के लिए चार इंच पाइप बदलने व गुमटी से उत्तरी सूखाग्रस्त क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाने का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड आठ व नौ सूखाक्षेत्र के लिए पंचायती अखाड़ा में बोरिंग कर पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड आठ व नौ में 100 एमएम, 150 एमएम पाइप लाइन का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड पांच में 20 एचपी, 50 एचपी पंप हाउस ट्रांसफार्मर के साथ पाइप लाइन का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड पांच में प्रस्तावित पंपगिं स्टेशन कंडी से रामशिला के तरफ नये पाइप लाइन का काम।
निगम के वार्ड 36,22,46, 23, 33, 03, 04, 41, 44, 10, 34, 09, 38, 27, 35, 39, 49, 15 में जलापूर्ति के लिए नये पाइप लाइन बिछाने का काम।
वार्ड 11 में जलमीनार की मरम्मती का काम ।
वार्ड चार में नये पंपिंग केंद्र के साथ जलापर्ति की व्यवस्था।
आजाद पार्क के चारों तरफ पाइप लाइन, बोरिंग मोटर, स्टैंड पोस्ट निर्माण का कार्य ।
मगध कॉलोनी में पंपिंग स्टेशन और जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाने का कार्य ।
डंडी बाग और पंचायती अखाड़ा में पंप हाउस का निर्माण कार्य ।
जिला स्कूल के पास पंपिंग स्टेशन का निर्माण कर पितामहेश्वकर, मल्लाह टोली में जलापूर्ति व्यवस्था करने का कार्य।
जिले की आबादी और आपूर्ति पर एक नजर
जनगणना रिपोर्ट 2001-2011
आबादी 3473428-4379383
पुरुष 1792163-2266865
महिला 1681265-2112518
इसके विपरीत पेयजल आपूर्ति की बात करें तो सामान्यत: 150 की जनसंख्या पर एक चापाकल व महादलित टोले में सौ की जनसंख्या पर एक चापाकल लगाने की योजना है। मानक के अनुसार इसमें 32159 चापाकल की जरूरत है, पर लोक स्वास्थ्य प्रमंडल विभाग (पीएचइडी) को इसके विपरीत 23303 चापाकल लगाने के लिए ही पैसे आये हैं। 8856 चापाकल नहीं लगाये जा सकते हैं। यह योजना इस साल की है। पहले से जो चापाकल लगे हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक गांवों में 15 प्रतिशत व शहरों में 35 प्रतिशत के आस-पास चल रहे हैं। बाकी सभी खराब पड़े हैं। चापाकल मरम्मत दल गांवों में भेजे गये हैं। पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि मत्स्य पालकों के हर 20 घरों पर एक चापाकल लगाने की योजना है। जिले में इसके लिए 332 स्थलों का चयन किया गया है, पर एक भी स्थान पर लगाने के लिए पैसे नहीं आये हैं। इसके अलावा विधायक, मुखिया फंड की राशि से भी जरूरत के मुताबिक चापाकल लगाने की योजना है। लेकिन, सवाल है कि क्या इससे गांवों के लोगों की प्यास बुझ जायेगी।
पहाड़ की तलहटी में बसे गांवों का हाल बेहाल
इमामगंज, डुमरिया, बांकेबाजार, फतेहपुर, टनकुप्पा, मोहनपुर, बाराचट्टी, आमस प्रखंडों के सुदूर सैकड़ों ऐसे गांव हैं, जो पहाड़ी की तलहटी में बसे हैं और यहां गर्मी में क्या अन्य दिनों में पानी की किल्लत रहती है। दूसरे गांवों से ढोकर पानी लाते हैं। इन सुदूर गांवों की दशा देखने वाला कोई नहीं। सिर्फ नक्सली क्षेत्र होने के नाम पर इन गांवों का विकास अवरुद्ध है। नक्सली गांवों के विकास के लिए, जबकि केंद्र से अलग पैसा आता है।
गांवों के लोग पोखर का गंदा पानी के सहारे
पोखर का गंदा पानी, जिसमें अपने जानवरों को धोते व पानी पिलाते हैं, वही पानी अपने लिए भी इस्तेमाल करते हैं। पानी-पानी चिल्लाते हैं जिनकी आवाज शहर में बैठे बाबुओं के चौखट तक नहीं पहुंच पाती। ग्रामीणों की मानें, तो जनप्रतिनिधि उनकी झोंपड़ी में तभी झांकने आते हैं जब उन्हें उनका वोट मांगना होता है। उसमें भी उनके वोट का मालिक कोई ठेकेदार हो जाता है। कई गांवों में तो आज भी लोग कुएं का पानी पी रहे हैं। इन कुओं की सफाई वे खुद करते हैं, पर कीटनाशी दवाएं इनमें छिड़काव नहीं किये जाने से बीमारी होने की आशंका भी हमेशा बनी रहती है।
फ्लोराइडयुक्त पानी का कहर
आमस व बांकेबाजार के कई गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी पीकर पूरा का पूरा जनरेशन अपंगता का शिकार हो चुका है। बावजूद सरकार व प्रशासन की नींद नहीं खुल रही है।
हाल शहरी क्षेत्र का
अब हम बात कर रहे हैं गया के शहरी क्षेत्र की। यहां की जलापूर्ति मुख्यत: दो दंडीबाग व पंचायती अखाड़ा मुहल्ले में स्थित पंपिंग केंद्र से की जाती है। शहर में सीधे जलापूर्ति के लिए छोटे-छोटे 23 पंपिंग केंद्रों के जरिये पानी की सप्लाई की जाती है। इस बार गया नगर निगम के जल पर्षद विभाग ने शहर के 21 पुराने व आठ नये जलापूर्ति केंद्र के लिए कुल 27 मोटर व पंप स्टैंडबाइ के खरीद की आवश्यकता जतायी है।
जलापूर्ति कार्य योजना
गांधी मैदान के लिए 20 एचपी, 100 एमएम,150 एमएम पाइप लाइन व ट्रांसफार्मर के साथ पंप हाउस का निर्माण।
गांधी मैदान के चारों तरफ 100 एमएम, 150 एमएम पाइप लाइन का कार्य।
मानपुर वार्ड संख्या 53 के सलेमपुर मुहल्ला के अंतर्गत नलकूप की सफाई व पाइप लाइन व ट्रासफार्मर पोल का काम।
बागेश्वररी जलापूर्ति के लिए चार इंच पाइप बदलने व गुमटी से उत्तरी सूखाग्रस्त क्षेत्र में पाइप लाइन बिछाने का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड आठ व नौ सूखाक्षेत्र के लिए पंचायती अखाड़ा में बोरिंग कर पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड आठ व नौ में 100 एमएम, 150 एमएम पाइप लाइन का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड पांच में 20 एचपी, 50 एचपी पंप हाउस ट्रांसफार्मर के साथ पाइप लाइन का काम।
निगम क्षेत्र के वार्ड पांच में प्रस्तावित पंपगिं स्टेशन कंडी से रामशिला के तरफ नये पाइप लाइन का काम।
निगम के वार्ड 36,22,46, 23, 33, 03, 04, 41, 44, 10, 34, 09, 38, 27, 35, 39, 49, 15 में जलापूर्ति के लिए नये पाइप लाइन बिछाने का काम।
वार्ड 11 में जलमीनार की मरम्मती का काम ।
वार्ड चार में नये पंपिंग केंद्र के साथ जलापर्ति की व्यवस्था।
आजाद पार्क के चारों तरफ पाइप लाइन, बोरिंग मोटर, स्टैंड पोस्ट निर्माण का कार्य ।
मगध कॉलोनी में पंपिंग स्टेशन और जलापूर्ति पाइप लाइन बिछाने का कार्य ।
डंडी बाग और पंचायती अखाड़ा में पंप हाउस का निर्माण कार्य ।
जिला स्कूल के पास पंपिंग स्टेशन का निर्माण कर पितामहेश्वकर, मल्लाह टोली में जलापूर्ति व्यवस्था करने का कार्य।
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