भोपाल सम्मेलन के पश्चात उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ के दौरान एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसके माध्यम से विकास के विभिन्न पक्षों पर भारतीय चिन्तन परम्परा के सन्देश को विश्व समुदाय तक पहुँचाया जाएगा। श्री दवे ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में इस सम्मेलन में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी का मुख्य उद्बोधन होगा। 28 अक्टूबर 2015 को प्रेस क्लब, नई दिल्ली में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य सरकार द्वारा 21-22 नवम्बर को भोपाल में आयोजित किये जाने वाले सम्मेलन ‘ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन : समाधान की ओर’ की जानकारी दी गई।
सम्मेलन की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद अनिल माधव दवे ने की। प्रेस को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि दिसम्बर में पेरिस में होने वाले कोप की बैठक में एक महत्त्वपूर्ण समझौता होने वाला है जिस पर दुनिया भर के सभी लोगों की नजर लगी हुई है। पेरिस समझौते में मुख्य मुद्दा कार्बन उत्सर्जन कम करने का होगा, किन्तु क्या यह इस समस्या का स्थायी समाधान है? यह प्रश्न आज पूरे विश्व के समक्ष विचारणीय बना हुआ है। हमारी समझ से मूल समस्या ऊर्जा की खपत और उत्सर्जन नहीं है, बल्कि समस्या जीवनशैली की है।
दवे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर हो रही वैश्विक वार्ताएँ व सम्मेलन आर्थिक व वैज्ञानिक पक्ष पर केन्द्रित रहती हैं। किन्तु जिस प्रकार आज जलवायु परिवर्तन का संकट लोगों के अस्तित्व के लिये खतरा बनता जा रहा है उसे देखते हुए वैकल्पिक समाधान की ओर बढ़ना ही होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए अगले माह 21-22 नवम्बर को दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें जलवायु परिवर्तन के समाधान के सूत्र, वैदिक, उपनिषदीय व शास्त्रीय चिन्तन में खोजने का प्रयास किया जाएगा। जिसमें पंचमहाभूतों के आपसी सन्तुलन को प्रकृति के संरक्षण का आधार माना गया है। किन्तु आज पंचमहाभूतों की सुसंगति अन्धाधुन्ध प्रकृति के दोहन की वजह से तहस-नहस होती जा रही है। परिणामस्वरूप आज हम जलवायु परिवर्तन जैसी गम्भीर समस्या का सामना कर रहे हैं।
यह सम्मेलन उज्जैन में आगामी अप्रैल 2016 में होने जा रहे सिंहस्थ के पूर्व आयोजित चार सम्मेलनों में से तीसरा सम्मेलन है जो भोपाल की विधानसभा परिसर में आयोजित होगा।
भोपाल सम्मेलन के पश्चात उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ के दौरान एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसके माध्यम से विकास के विभिन्न पक्षों पर भारतीय चिन्तन परम्परा के सन्देश को विश्व समुदाय तक पहुँचाया जाएगा। श्री दवे ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में इस सम्मेलन में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी का मुख्य उद्बोधन होगा।
एप्को के कार्यकारी निदेशक श्री अजातशत्रु श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिवसीय आयोजन इस रूप में विशिष्ट होगा कि पहली बार देश में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आध्यात्मिक चिन्तक, तकनीकी विशेषज्ञ, ख्याति प्राप्त शिक्षाविद, राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विकास व नीतियों से जुड़े विशेषज्ञ, परम्परागत ज्ञान रखने वाले और जड़ स्तर पर कार्य कर रहे संगठनों व संस्थाओं के प्रतिनिधि एक मंच पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व अनुभव रखेंगे।
सम्मेलन के अन्त में सामूहिक भागीदारी से ‘सिंहस्थ घोषणा पत्र’ तैयार होगा जिसकी सिफारिशें भारत सरकार को प्रेषित की जाएगी।
श्री अनिल माधव दवे जी कि अध्यक्षता में आयोजित भोपाल सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से 21 व 22 नवम्बर को करीब 600 लोगों की भागीदारी होने का अनुमान है।
सम्पर्क
संजय सक्सेना, संयुक्त निदेशक (जन सम्पर्क)
मध्य प्रदेश सूचना केन्द्र, नई दिल्ली
फोन : 9868524735
ईमेल : mpicdel@gmail.com
सम्मेलन की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद अनिल माधव दवे ने की। प्रेस को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि दिसम्बर में पेरिस में होने वाले कोप की बैठक में एक महत्त्वपूर्ण समझौता होने वाला है जिस पर दुनिया भर के सभी लोगों की नजर लगी हुई है। पेरिस समझौते में मुख्य मुद्दा कार्बन उत्सर्जन कम करने का होगा, किन्तु क्या यह इस समस्या का स्थायी समाधान है? यह प्रश्न आज पूरे विश्व के समक्ष विचारणीय बना हुआ है। हमारी समझ से मूल समस्या ऊर्जा की खपत और उत्सर्जन नहीं है, बल्कि समस्या जीवनशैली की है।
दवे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर हो रही वैश्विक वार्ताएँ व सम्मेलन आर्थिक व वैज्ञानिक पक्ष पर केन्द्रित रहती हैं। किन्तु जिस प्रकार आज जलवायु परिवर्तन का संकट लोगों के अस्तित्व के लिये खतरा बनता जा रहा है उसे देखते हुए वैकल्पिक समाधान की ओर बढ़ना ही होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए अगले माह 21-22 नवम्बर को दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें जलवायु परिवर्तन के समाधान के सूत्र, वैदिक, उपनिषदीय व शास्त्रीय चिन्तन में खोजने का प्रयास किया जाएगा। जिसमें पंचमहाभूतों के आपसी सन्तुलन को प्रकृति के संरक्षण का आधार माना गया है। किन्तु आज पंचमहाभूतों की सुसंगति अन्धाधुन्ध प्रकृति के दोहन की वजह से तहस-नहस होती जा रही है। परिणामस्वरूप आज हम जलवायु परिवर्तन जैसी गम्भीर समस्या का सामना कर रहे हैं।
यह सम्मेलन उज्जैन में आगामी अप्रैल 2016 में होने जा रहे सिंहस्थ के पूर्व आयोजित चार सम्मेलनों में से तीसरा सम्मेलन है जो भोपाल की विधानसभा परिसर में आयोजित होगा।
भोपाल सम्मेलन के पश्चात उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ के दौरान एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा जिसके माध्यम से विकास के विभिन्न पक्षों पर भारतीय चिन्तन परम्परा के सन्देश को विश्व समुदाय तक पहुँचाया जाएगा। श्री दवे ने बताया कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में इस सम्मेलन में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी का मुख्य उद्बोधन होगा।
एप्को के कार्यकारी निदेशक श्री अजातशत्रु श्रीवास्तव ने बताया कि दो दिवसीय आयोजन इस रूप में विशिष्ट होगा कि पहली बार देश में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर आध्यात्मिक चिन्तक, तकनीकी विशेषज्ञ, ख्याति प्राप्त शिक्षाविद, राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विकास व नीतियों से जुड़े विशेषज्ञ, परम्परागत ज्ञान रखने वाले और जड़ स्तर पर कार्य कर रहे संगठनों व संस्थाओं के प्रतिनिधि एक मंच पर जलवायु परिवर्तन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व अनुभव रखेंगे।
सम्मेलन के अन्त में सामूहिक भागीदारी से ‘सिंहस्थ घोषणा पत्र’ तैयार होगा जिसकी सिफारिशें भारत सरकार को प्रेषित की जाएगी।
श्री अनिल माधव दवे जी कि अध्यक्षता में आयोजित भोपाल सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से 21 व 22 नवम्बर को करीब 600 लोगों की भागीदारी होने का अनुमान है।
सम्पर्क
संजय सक्सेना, संयुक्त निदेशक (जन सम्पर्क)
मध्य प्रदेश सूचना केन्द्र, नई दिल्ली
फोन : 9868524735
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