“स्वच्छता स्वतंत्रता से ज्यादा महत्वपूर्ण है” महात्मा गांधी
आजादी के 64 वर्ष बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच करती है जोकि वाकई में चिंता का विषय है। शौचालयों का नहीं होना, पानी का अभाव या अपर्याप्त प्रौद्योगिक के कारण संचालन और रखरखाव के अभाव के कारण हालात नहीं सुधर रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाने की दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से हुआ और जो हुआ वह भी गुणवत्ता या रखरखाव में कमी या संचालन के अभाव के कारण लोगों के जीवन-स्तर में उतना परिवर्तन नहीं ला पाया जितना कि इतने वर्षों में आना चाहिए था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में 590 मिलियन लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1.21 अरब है, यानी विश्व की कुल जनसंख्या का छठा हिस्सा हमारे भारत में रहता है। भारत की करीब 72.2 प्रतिशत जनसंख्या 6,38,000 गांवों में रहती है जहां 16.78 करोड़ परिवार हैं। इनमें से केवल 5.48 करोड़ परिवारों (32.7 प्रतिशत) की शौचालयों तक पहुंच है यानी देश के 67.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक अभी स्वच्छता सुविधाए नहीं पहुंची हैं। वर्ष 2012-13 के बेसलाईन सर्वेक्षण के अनुसार 40.35 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की शौचालयों तक पहुंच हो गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2014 को दिए अपने भाषण में देश में स्वच्छता की स्थिति पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी और वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए खुले में शौच की प्रथा को समाप्त कर स्वच्छ भारत का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया था कि 15 अगस्त, 2015 तक देश की सभी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालाय बनने चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत को एक जन-आंदोलन बनाने और इसे आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर नागरिक स्वच्छता के लिए एक साल में 100 घंटे का योगदान करने की शपथ लें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी सरकारी विभाग इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। सरकारी कार्यालय पंचायत-स्तर अभियान में शामिल किए जाएंगे और यह अभियान 25 सितंबर 2014 से दिवाली तक आयोजित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री की अपील को देखते हुए निगमित क्षेत्र की कई कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के अंतर्गत स्वच्छ भारत अभियान में योगदान के लिए तैयार हैं।
2 अक्टूबर, 2014 से देशभर में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया जा रहा है। मंत्रिमंडल ने भी इस अभियान को शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस अभियान को शुरू करने के लिए गांधी जयंती का अवसर चुना गया है चूंकि स्वच्छ भारत का सपना गांधीजी ने ही संजोया था।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारत में सन् 2019 तक खुले में शौच की प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना है। यह कार्य व्यक्तिगत, कल्सटर और सामुदायिक शौचालय बनाकर पूरा किया जाएगा।साथ ही ग्राम पंचायतों के जरिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन किया जाएगा और गांवों को साफ-सुथरा बनाया जाएगा। सन् 2019 तक सभी गांवों तक पानी की पाईप लाईनें बिछाई जाएंगी और मांग पर घरों में नल भी लगाए जाएंगे। यह लक्ष्य सभी मंत्रालयों के आपसी समन्वय एवं सहयोग से केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं, सी.एस.आर. और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के साथ-साथ वित्तपोषण के नए अभिनव तरीकों के जरिए हासिल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर देश के लोग प्रत्येक वर्ष दिवाली के आसपास अपने घरों को साफ कर सकते हैं तो यह कदम स्वच्छता और स्वच्छ भारत की ओर क्यों नहीं उठाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने सफाई के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का अनुसरण आर्थिक गतिविधि हो सकता है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद के विकास में योगदान मिलेगा, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में कमी आएगी और रोजगार के साधन बढ़ेगे।
स्वच्छता को पर्यटन और भारत में वैश्विक हितों से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों की सफाई और स्वच्छता को विश्व स्तर पर लाए जाने की आवश्यकता है, ताकि भारत के बारे में वैश्विक धारणा में मिसाल बनने वाला बदलाव लाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने पूरे देश के 500 शहरों और कस्बों में जन-निजी भागीदारी के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और अपशिष्ट जल प्रबंधन के अपने दृष्टिकोण को दोहराया।
2 अक्टूबर 2014 से देशभर में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया जा रहा है। मंत्रिमंडल ने भी इस अभियान को शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस अभियान को शुरू करने के लिए गांधी जंयती का अवसर चुना गया है चूंकि स्वच्छ भारत का सपना गांधीजी ने ही संजोया था गांधीजी के सपना “स्वच्छ भारत” बनाने के लिए शुरू किए जा रहे इस अभियान को उनकी 150वीं जयंती तक यानी 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को कारगर और तेजी से अमल में लाने की नीति पर विचार के लिए हाल ही में पेयजल और स्वच्छता के प्रभारी राज्यों के मंत्रियों की बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति की भी समीक्षा की गई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 2019 तक सभी के लिए स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से विभिन्न श्रेणियों के ग्रामीण शौचालय बनाने के लिए धन बढ़ाने के उद्देश्य से एक कैबिनेट नोट तैयार किया है। घरेलू शौचालयों के लिए राशि 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए की जाएगी; स्कूल शौचालयों के लिए 35,000 रुपए की जगह 54,000 रुपए दिए जाएंगे। इसी तरह आंगनबाड़ी शौचालयों के लिए 8000 रुपए की जगह 20,000 रुपए दिए जाएंगे तथा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के लिए 2 लाख रुपए की जगह 6 लाख रुपए देने का प्रस्ताव है। ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाने के काम को मनरेगा से अलग करने का भी प्रस्ताव है। उन्होंने तेजी से निर्णय लेने और समाज के सभी वर्गों से सहयोग मांगा ताकि अगले साढ़े चार वर्षों में भारत को गंदगी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
श्री गडकरी ने इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया कि शौचालय बनाने में गुणवत्ता हो तथा कम लागत की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो ताकि शौचालय 30 से 40 वर्ष तक टिकें।
पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने कहा कि 15 अगस्त, 2015 तक देश के प्रत्येक स्कूल में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय होंगे। उन्होंने कहा कि आईईसी प्रत्येक ग्रामीण बस्ती में शौचालय बनाने का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने कारपोरेट जगत से इस उद्देश्य के लिए सहयोग देने की अपील की।
स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ लोगों की सोच में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। गांवों में लोग शौचालय होते हुए भी खुले में शौच करना पसंद करते हैं। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने की है। ग्रामीणों को शौचालय के इस्तेमाल के फायदों को बताकर ही उनका व्यवहार बदला जा सकता है। इसके लिए अंतर्व्यैक्तिक संचार पर फौकस किया जाएगा। छात्रों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, डाक्टरों, अध्यापकों और ब्लॉक समन्वयकों के जरिए यह कार्य किया जाएगा। घर-घर जाकर लोगों को इस बारे में जागरुक किया जाएगा। टी.वी. रेडियो, डिजिटल सिनेमा, कठपुतली नाच और स्थानीय लोकनाटकों और लोकनृत्यों के जरिए भी लोगों को शौचालयों के इस्तेमाल के बारे में जागरूक करने की योजना है ताकि लोगों की सोच को बदला जा के। चूंकि उसी में ‘भारत स्वच्छता अभियान’ की सफलता निहित है।
(स्रोत: पसूका)
आजादी के 64 वर्ष बाद भी देश की आधी से अधिक आबादी खुले में शौच करती है जोकि वाकई में चिंता का विषय है। शौचालयों का नहीं होना, पानी का अभाव या अपर्याप्त प्रौद्योगिक के कारण संचालन और रखरखाव के अभाव के कारण हालात नहीं सुधर रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाने की दिशा में अभी तक कोई कार्य नहीं किया गया लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से हुआ और जो हुआ वह भी गुणवत्ता या रखरखाव में कमी या संचालन के अभाव के कारण लोगों के जीवन-स्तर में उतना परिवर्तन नहीं ला पाया जितना कि इतने वर्षों में आना चाहिए था। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में 590 मिलियन लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 1.21 अरब है, यानी विश्व की कुल जनसंख्या का छठा हिस्सा हमारे भारत में रहता है। भारत की करीब 72.2 प्रतिशत जनसंख्या 6,38,000 गांवों में रहती है जहां 16.78 करोड़ परिवार हैं। इनमें से केवल 5.48 करोड़ परिवारों (32.7 प्रतिशत) की शौचालयों तक पहुंच है यानी देश के 67.3 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक अभी स्वच्छता सुविधाए नहीं पहुंची हैं। वर्ष 2012-13 के बेसलाईन सर्वेक्षण के अनुसार 40.35 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों की शौचालयों तक पहुंच हो गई है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 2014 को दिए अपने भाषण में देश में स्वच्छता की स्थिति पर अप्रसन्नता व्यक्त की थी और वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए खुले में शौच की प्रथा को समाप्त कर स्वच्छ भारत का लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। प्रधानमंत्री ने यह भी निर्देश दिया था कि 15 अगस्त, 2015 तक देश की सभी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालाय बनने चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत को एक जन-आंदोलन बनाने और इसे आर्थिक गतिविधियों से जोड़ने का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हर नागरिक स्वच्छता के लिए एक साल में 100 घंटे का योगदान करने की शपथ लें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी सरकारी विभाग इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। सरकारी कार्यालय पंचायत-स्तर अभियान में शामिल किए जाएंगे और यह अभियान 25 सितंबर 2014 से दिवाली तक आयोजित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री की अपील को देखते हुए निगमित क्षेत्र की कई कंपनियां अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के अंतर्गत स्वच्छ भारत अभियान में योगदान के लिए तैयार हैं।
2 अक्टूबर, 2014 से देशभर में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया जा रहा है। मंत्रिमंडल ने भी इस अभियान को शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस अभियान को शुरू करने के लिए गांधी जयंती का अवसर चुना गया है चूंकि स्वच्छ भारत का सपना गांधीजी ने ही संजोया था।
स्वच्छ भारत अभियान के तहत भारत में सन् 2019 तक खुले में शौच की प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना है। यह कार्य व्यक्तिगत, कल्सटर और सामुदायिक शौचालय बनाकर पूरा किया जाएगा।साथ ही ग्राम पंचायतों के जरिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन किया जाएगा और गांवों को साफ-सुथरा बनाया जाएगा। सन् 2019 तक सभी गांवों तक पानी की पाईप लाईनें बिछाई जाएंगी और मांग पर घरों में नल भी लगाए जाएंगे। यह लक्ष्य सभी मंत्रालयों के आपसी समन्वय एवं सहयोग से केंद्रीय तथा राज्य योजनाओं, सी.एस.आर. और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के साथ-साथ वित्तपोषण के नए अभिनव तरीकों के जरिए हासिल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर देश के लोग प्रत्येक वर्ष दिवाली के आसपास अपने घरों को साफ कर सकते हैं तो यह कदम स्वच्छता और स्वच्छ भारत की ओर क्यों नहीं उठाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने सफाई के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाए जाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का अनुसरण आर्थिक गतिविधि हो सकता है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद के विकास में योगदान मिलेगा, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में कमी आएगी और रोजगार के साधन बढ़ेगे।
स्वच्छता को पर्यटन और भारत में वैश्विक हितों से जोड़ते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों की सफाई और स्वच्छता को विश्व स्तर पर लाए जाने की आवश्यकता है, ताकि भारत के बारे में वैश्विक धारणा में मिसाल बनने वाला बदलाव लाया जा सके।
प्रधानमंत्री ने पूरे देश के 500 शहरों और कस्बों में जन-निजी भागीदारी के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और अपशिष्ट जल प्रबंधन के अपने दृष्टिकोण को दोहराया।
2 अक्टूबर 2014 से देशभर में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ शुरू किया जा रहा है। मंत्रिमंडल ने भी इस अभियान को शुरू करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। इस अभियान को शुरू करने के लिए गांधी जंयती का अवसर चुना गया है चूंकि स्वच्छ भारत का सपना गांधीजी ने ही संजोया था गांधीजी के सपना “स्वच्छ भारत” बनाने के लिए शुरू किए जा रहे इस अभियान को उनकी 150वीं जयंती तक यानी 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को कारगर और तेजी से अमल में लाने की नीति पर विचार के लिए हाल ही में पेयजल और स्वच्छता के प्रभारी राज्यों के मंत्रियों की बैठक हुई। बैठक में राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की राष्ट्रीय स्तर पर प्रगति की भी समीक्षा की गई।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नितिन गडकरी ने 2019 तक सभी के लिए स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से विभिन्न श्रेणियों के ग्रामीण शौचालय बनाने के लिए धन बढ़ाने के उद्देश्य से एक कैबिनेट नोट तैयार किया है। घरेलू शौचालयों के लिए राशि 10,000 रुपए से बढ़ाकर 15,000 रुपए की जाएगी; स्कूल शौचालयों के लिए 35,000 रुपए की जगह 54,000 रुपए दिए जाएंगे। इसी तरह आंगनबाड़ी शौचालयों के लिए 8000 रुपए की जगह 20,000 रुपए दिए जाएंगे तथा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के लिए 2 लाख रुपए की जगह 6 लाख रुपए देने का प्रस्ताव है। ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाने के काम को मनरेगा से अलग करने का भी प्रस्ताव है। उन्होंने तेजी से निर्णय लेने और समाज के सभी वर्गों से सहयोग मांगा ताकि अगले साढ़े चार वर्षों में भारत को गंदगी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
श्री गडकरी ने इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया कि शौचालय बनाने में गुणवत्ता हो तथा कम लागत की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो ताकि शौचालय 30 से 40 वर्ष तक टिकें।
पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने कहा कि 15 अगस्त, 2015 तक देश के प्रत्येक स्कूल में लड़के-लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय होंगे। उन्होंने कहा कि आईईसी प्रत्येक ग्रामीण बस्ती में शौचालय बनाने का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने कारपोरेट जगत से इस उद्देश्य के लिए सहयोग देने की अपील की।
स्वच्छ भारत अभियान के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ लोगों की सोच में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। गांवों में लोग शौचालय होते हुए भी खुले में शौच करना पसंद करते हैं। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने की है। ग्रामीणों को शौचालय के इस्तेमाल के फायदों को बताकर ही उनका व्यवहार बदला जा सकता है। इसके लिए अंतर्व्यैक्तिक संचार पर फौकस किया जाएगा। छात्रों, आशा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, डाक्टरों, अध्यापकों और ब्लॉक समन्वयकों के जरिए यह कार्य किया जाएगा। घर-घर जाकर लोगों को इस बारे में जागरुक किया जाएगा। टी.वी. रेडियो, डिजिटल सिनेमा, कठपुतली नाच और स्थानीय लोकनाटकों और लोकनृत्यों के जरिए भी लोगों को शौचालयों के इस्तेमाल के बारे में जागरूक करने की योजना है ताकि लोगों की सोच को बदला जा के। चूंकि उसी में ‘भारत स्वच्छता अभियान’ की सफलता निहित है।
(स्रोत: पसूका)
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Post By: Shivendra