धधकते जंगल छोड़ विदेश गए 6 आला वनाधिकारी, विभागीय मंत्री खफा

देहरादून। प्रमुख वन संरक्षक समेत वन विभाग के छह अफसरों के लंदन और पोलैंड जाने को लेकर विभागीय मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत बेहद खफा हैं। बिना उनकी अनुमति के विदेश जाने पर उन्होंने अपर मुख्य सचिव कार्मिक को कड़ा पत्र लिखा है। कैबिनेट मंत्री ने लिखा कि प्रायः देखने में आ रहा है कि उनके अधीनस्थ विभागाध्यक्षों के विदेश दौरों पर जाने संबंधी पत्रावलियां कार्मिक विभाग सीधे मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेज रहे हैं और अनुमोदन के बाद अफसरों को विदेश जाने की अनुमति दी जा रही है। यह स्वस्थ परंपरा नहीं है। गर्मियों में जब प्रदेश के जंगल आग से धधक रहे हैं ऐसी स्थिति में अफसरों के विदेश जाने की पत्रावली मेरे समक्ष क्‍यों प्रस्तुत नहीं की गई?

पिछले साल भी प्रमुख वन संरक्षक जयराज और श्रमायुक्त आनंद श्रीवास्तव को बिना उनकी अनुमति के विदेश दौरे पर भेज दिया गया था। उनके अधीन विभागाध्यक्षों और अफसरों के विदेश दौरे पर जाने की जानकारी उन्हें विभागीय अधिकारियों की बजाय समाचार पत्रों से मिल रही है।

अपर मुख्य सचिव कार्मिक को भेजे पत्र में कहा गया यह सुनिश्चित कराया जाए कि भविष्य में किसी भी विभागाध्यक्ष को विदेश जाने की अनुमति तभी दी जाए जब विभागीय मंत्री की सहमति हो।

इस संबंध में जब कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि अधिकारियों के विदेश दौरे पर जाने से पहले उनकी अनुमति लेनी चाहिए थी।


(अमर उजाला, दून 15 मई 2019) 

प्रमुख वन संरक्षक जयराज भी गए विदेश, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को साँपा कार्यभार, शासन की ओर से दी गई विदेश जाने की अनुमति
वनाग्नि से राज्य के जंगल तबाह हो रहे हैं। वहीं प्रमुख वन संरक्षक समेत वन विभाग के छह अफसर विदेश यात्रा पर लंदन और पौलेंड रवाना हो गए हैं। शासन की ओर से इन अफसरों को विदेश जाने की अनुमति दे दी गई थी। प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने अपना कार्यभार मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजना काला को लिखापढ़ी में सौंपा है।

वन विभाग के सूत्रों के मुताबिक विदेश यात्रा पर गए सभी अफसर भारतीय वन्यजीव संस्थान व जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन की ओर से आयोजित जू डिजाइन कांफ्रेंस में शिरकत करेंगे। साथ ही पौलेंड में आयोजित सेमिनार में भी शामिल होंगे। जहां ये सभी भारत व नेपाल में बाघों के संरक्षण से जुड़े तमाम पहलुओं पर अध्ययन करेंगे।

वन विभाग के सूत्रों की मानें तो लंदन और पोलैंड की यात्रा पर गए वनाधिकारियों में प्रमुख वन संरक्षक जयराज के अलावा कुमाऊं के मुख्य वन संरक्षक डॉ.विवेक पांडे, पश्चिमी क्षेत्र के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते, प्रभागीय वनाधिकारी नितीश मणि त्रिपाठी, जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डॉ.दुष्यंत शर्मा, नैनीताल चिड़ियाघर के पशु चिकित्साधिकारी डॉ.हिमांशु पांगते शामिल हैं।

सूत्रों के मुताबिक ये अधिकारी 13 मई से लेकर 26 मई तक विदेश दौरे पर रहेंगे। उल्लेखनीय है कि राज्य के जंगलो में आग लगी हुई है। सवाल उठता है कि जिन अधिकारियों पर जंगलों को बचाने की जिम्मेदारी है, वे जंगलों को जलता छोड़कर कैसे विदेश चले गए?

अधिकारियों को विदेश जाने की अनुमति देते समय इन पहलुओं पर विचार क्‍यों नहीं किया गया? इस संबधों में प्रमुख सचिव वन आनंदवर्धन व प्रमुख वन संरक्षक जयराज से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे सम्पर्क नही हो पाया।

पुलिस ने बुझाई आग, बारिश से राहत

पौड़ी। अमकोटी गांव सहित तीन गांवों के जंगल जलकर राख हो गए हैं। इससे लाखों की वन संपदा को नुकसान पहुंचा है। ग्राम पंचायत अमकोटी के जंगल में सोमवार शाम अचानक आग भड़क गई, जो कुछ देर में गांव के समीप आग गईं। वहीं ग्राम पंचायत भिताई, तल्ली भिताई व रेवड़ी गांव के जंगल भी जलकर राख हो गए हैं। प्रधान अमकोटी संतलाल ने बताया कि जंगल आग से जल गए हैं। 
कर्णप्रयाग। जंगल में आग लगने से चीड़ के कई पेड़-पौधे जल गए। आग इतनी भयंकर थी कि पुलिस को रात में काफी देर तक अपर बाजार से पंचपुलिया की तरफ जाने वाले वाहनों को रोकना पड़ा। वहीं जंगल के बीच में बनाए गए बारूद घर में भी आग पहुंचने का खतरा बना हुआ था।

1044.035 हेक्टेयर जंगल हो चुका राख

वनाग्नि से अब तक 1044.035 हेक्टेयर जंगल राख हो चुका है। घटनाओं में छह वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। छह वनकर्मी आग पर काबू पाते समय झुलसकर जख्मी हो चुके हैं। वन्यजीव अभ्यारण्यों में 46 घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में तमाम आला अधिकारियों और पशु चिकित्साधिकारियों के विदेश दौरे पर जाने से सवाल खड़े हो रहे हैं।

छतीना के जंगल में आग लगाते युवक को पकड़ा, केस दर्ज

​​​​​​बागेश्वर। जंगल में आग लगाने वालों को पकड़ने में वन विभाग को बड़ी कामयाबी मिली है। वन विभाग ने जंगल में आग लगाते एक युवक को रंगे हाथ पकड़ा है। आरोपी के खिलाफ वन अधिनियम में केस दर्ज कर हिरासत में ले लिया गया है। बागेश्वर वन प्रभाग की बागेश्वर रेंज के अंतर्गत मनकोट के समीप छतीना के जंगल हैं। सोमवार देर सायं वन टीम  जंगल में गश्त कर रही थी। इस दौरान एक युवक कंपार्टमेंट नंबर एक के जंगल में आग लगाता मिला। वन कर्मियों ने उसे दबोच लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम मुकेश कुमार, निवासी स्याल डोबा बताया। वन विभाग ने आरोपी के खिलाफ बन संरक्षण अधिनियम 1927, संशोधित 2001 की धारा 26 (ग) में केस दर्ज किया है। आरोपी को हिरासत में लेकर पुलिस उससे आग लगाने की वजह जानने में जुटी है। डीएफओ बलवंत सिंह शाही ने बताया कि आरोपी के खिलाफ वन एक्ट में केस दर्ज किया गया है। 

कुमाऊं के बाद गढ़वाल में भी वनाग्नि का कहर

राज्य में वनाग्नि से जंगलों की तबाही का सिलसिला मंगलवार को भी जारी रहा। वन आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले कई दिनों में कुमाऊं में तबाही के बाद अब गढ़वाल क्षेत्र में वनाग्नि ने जोर पकड़ लिया है। आंकड़ों के मुताबिक सोमवार सुबह से चौबीस घंटे में पूरे राज्य में 707 जगहों पर जंगलों में लगी आग ने तबाही मचायी है।

अकेले गढ़वाल मंडल में ही 79 जगहों पर लगी आग से भारी नुकसान हुआ। जबकि कुमाऊं में स्थिति को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया गया है और पिछले चौबीस घंटे के भीतर क्षेत्र में आग लगने की कुल 20 घटनाएं हुई। इसके अलावा राज्य के वन्यजीव अभ्यारण्यों में भी आठ जगहों पर आग लगने की घटनाएं हुईं।

कुमाऊं क्षेत्र के पर्वतीय इलाकों में हुई बारिश से थोड़ी राहत मिल गई। वहां एक दिन पूर्व आग ने जमकर तबाही मचायी थी। अब तक हुई कुल 46 घटनाओं में छह वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। वन आपदा प्रबंधन विभाग के अफसरों के मुताबिक आग से अब 1044.035 हेक्टेयर वन को नुकसान पहुंचा है। जबकि वन विभाग को अब तक तकरीबन 17 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। दूसरी ओर वनाग्नि पर काबू पाने को लेकर वन आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों ने पूरी ताकत झोंक दी है।

वन अधिकारी ग्रामीणों को क्या करें, क्या न करें की दे रहे जानकारी

आला अधिकारियों के आदेश पर वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी आग के लिहाज से संवेदनशील इलाकों में दिन-रात गश्त कर रहे हैं। वनाग्नि की घटनाएं न हो, इसके लिए जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को क्या करें, क्या न करें की भी जानकारी दी जा रही है।
ग्रामीणों से अपील की जा रही है कि यदि आग लगने की जानकारी मिले तो तत्काल इसकी जानकारी वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों को दी जाए ताकि समय रहते उस पर काबू पाया जा सके।

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