डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन की कृषि-जल संबंधी मुद्दों के नवाचार-स्केलेबल समाधानों के लिए करोड़ों के पुरस्कार की घोषणा

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन एग्री-वाटर चैलेंज,PC-DCM
डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन एग्री-वाटर चैलेंज,PC-DCM

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द/नज इंस्टीट्यूट ने कृषिजल संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए 2.6 करोड़ रुपये के प्राइज चैलेंज की घोषणा की है। डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन के अध्यक्ष अमन पन्नू ने चैलेंज की घोषणा करते हुए कहा कि, “बड़े पैमाने पर पानी के संरक्षण के उद्देश्य से किए गए किसी भी प्रयास को कृषि की जरूरतों के साथ निकटता से जोड़ना चाहिए।” इसी को ध्यान में रखकर डीसीएम श्रीराम अगवाटर चैलेंज को द/नज इंस्टीट्यूट एवं भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के सहयोग से लॉन्च किया गया है। भारत सरकार के अंतर्गत प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर का कार्यालय इसका पार्टनर है। यह चैलेंज कृषि स्टार्टअप और सामाजिक उद्यमियों को इस जटिल समस्या के लिए विशेष रूप से छोटे किसानों को ध्यान में रख कर ठोस समाधान देने के लिए आमंत्रित करती है।

‘डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन एग्री-वाटर चैलेंज' में प्रमुख एग्रीटेक उद्यमियों को जल सुरक्षा के समाधान और 10 लाख छोटे किसानों की समृद्धि के लिए आमंत्रण का चैंलेंज दिया गया है। 

चैलेंज / विषय क्या है 

भारत के भूजल का 80 फीसद उपयोग कृषि के लिए किया जाता है, लेकिन इसका 60 फीसद  उपयोग सही तरीके से नहीं होता है। भूजल का 60% अकुशल रूप से उपयोग किया जाता है। पोषक तत्वों और उर्वरकों को लागू करने के असंगत तरीकों के परिणामस्वरूप मिट्टी खराब हो गई है और असंतुलन हो गया है, जिससे फसल की पैदावार को नुकसान हुआ है और पानी का अकुशल उपयोग हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप पानी के उपयोग में अक्षमता, भूजल में गिरावट और फसल की पैदावार प्रभावित हुई है। दूसरी ओर पानी की कमी, मीठे पानी के संसाधनों का गैर-विवेकपूर्ण उपयोग, अस्थिर कृषि पद्धतियां, अनियमित वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता और जलवायु परिवर्तन ने भारत में कृषि क्षेत्र को खतरे में डाल दिया हैं। इन्हीं चुनौतियों को समाधान के लिए यह कोशिश है। द नज प्राइज के निदेशक कनिष्क चटर्जी ने कहा, “हालांकि हाल के वर्षों में कृषि-जल समस्याओं को दूर करने वाले आकर्षक समाधानों में तेजी आई है, लेकिन छोटे और सीमांत किसानों के लिए किफायती और सुलभ मॉडल टिकाऊ नहीं है। भूजल पर उनकी निर्भरता भूमि उत्पादकता, मूल्य और बाजार जोखिमों की वजह से इस समस्या के समाधान की जरूरत हैं। डीसीएम श्रीराम अगवाटर चैलेंज एग्रीटेक को इस गंभीर समस्या के लिए तेजी से नवाचार विकसित करने, प्रदर्शित करने के लिए प्रेरित करती है।

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द नज इंस्टिट्यूट सेंटर फॉर सोशल इनोवेशन ने भारत सरकार के अंतर्गत प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के कार्यालय के साथ मिलकर 2.6 करोड़ रुपये के प्राइज चैलेंज की घोषणा की है। इसका उद्देश्य कृषि और पानी के कुशल उपयोग के क्षेत्र मैं नए विचारों को बढ़ावा देना है। यह चैलेंज एग्रीटेक और सोशल इम्पैक्ट के क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमियों को भारत के कृषि - जल संबंधी इको सिस्टम के भीतर जनसंख्या पैमाने के आधार पर समाधान और नवाचार विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। खासकर के यह चैलेंज छोटे किसानों के लिए स्थिर आजीविका के अवसरों पर व्यापक प्रभाव डालता है।

भारत के भूजल का 80 फीसद उपयोग कृषि के लिए किया जाता है, लेकिन इसका 60 फीसद उपयोग सही तरीके से नहीं होता है। पोषक तत्वों और उर्वरकों के गलत तरीके से इस्तेमाल की वजह से असंतुलन और मिट्टी का क्षरण हुआ है। इसके परिणामस्वरूप पानी के उपयोग में अक्षमता, भूजल में गिरावट और फसल की पैदावार प्रभावित हुई है। दूसरी ओर, पानी की कमी, मीठे पानी के संसाधनों का गलत तरीके से प्रयोग, अस्थिर कृषि पद्धतियां, अनियमित वर्षा पर अत्यधिक निर्भरता और जलवायु परिवर्तन भारत में कृषि क्षेत्र की स्थिति को खतरे में डालते हैं। देश में 600 मिलियन (60 करोड़) से अधिक किसान रहते हैं, जिन पर इन सब चीजों का प्रभाव पड़ता है।

पुरस्कार की प्रक्रिया 

इस महत्वाकांक्षी चैलेंज के जरिये आवेदकों में से 15-20 असाधारण समाधानों के समूह की गहराई से  पहचान की जायेंगी। ऐसे आवेदकों की पहचान की जायेंगी, जो तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से छोटे किसानों के कृषि जल उपयोग में सुधार लाने पर काम कर रहे हैं। खासकर चावल, गेहूं, और गन्ने जैसे ज्यादा पानी दोहन करने वाले फसलों के लिए काम करने वाले आवेदकों पर ज्यादा ध्यान दिया जायेंगा। चयनित समूह को 12 महीनों के लिए सलाहकारों के एक विशिष्ट समूह द्वारा चुना जायेगा और उन्हें सहायता प्रदान की जायेंगी। इनमें प्रमुख कृषि निवेशक, नीति निर्माता, शिक्षाविद, डीसीएम श्रीराम, रिच तेलंगाना, मैनेज, सोशलअल्फा, टीआईएसएस, एक्यूमेन, थिंकएग्री, डॉटरटी वॉटर फॉर फूड ग्लोबल के विचारक शामिल होंगे।

पुरस्कार की राशि

आगामी DCM Shriram AgWater Challenge' के लिए द/नज प्राइज में 2.6 करोड़ रुपये का पर्याप्त पुरस्कार शामिल है। नेशनल डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द/नज इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर सोशल इनोवेशन ने 2.6 करोड़ के प्राइस चैलेंज की घोषणा की हैं। इसका उद्देश्य कृषि और पानी के कुशल उपयोग में नवाचार को बढ़ावा देना है। डीसीएम श्रीराम अगवाटर चैलेंज के तहत 2.6 करोड़ की पुरूरस्कार राशि में से प्रथम पुरूस्कार विजेता को 2 करोड़ रूपये दिए जायेंगे। इसके अतिरिक्त अन्य तीन फाइनलिस्टों को कुल 60 लाख रूपये दिए जायेंगे। इसमें से फर्स्ट रनर अप को 30 लाख रूपये, सेंकेड रनर अप को 20 लाख रूपये और तीसरे स्थान वाले  को 10 लाख रूपये दिए जायेंगे।

उद्देश्य-लक्ष्य क्या है

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन और द नज इंस्टीट्यूट सेंटर फॉर सोशल इनोवेशन ने भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के साथ मिलकर 2.6 करोड़ रुपये के प्राइस चैलेंज की घोषणा की है। इसका मकसद कृषि संबंधी पानी के कुशल उपयोग के क्षेत्र में नए विचारों को बढ़ावा देना है। एग्री्रीटेक और सामाजिक प्रभाव के क्षेत्र में काम करने वाले उद्यमियों को कृषि-जल संबंधी इको सिस्टम के भीतर जनसंख्या पैमाने के आधार पर समाधान और नवाचार को विकसित करने के लिए यह प्रोत्साहित करेगा। खासकर, छोटे किसानों के लिए स्थिर आजीविका के अवसरों पर इस चुनौती का व्यापक प्रभाव पड़ेगा। 

डीसीएम श्रीराम फाउंडेशन के अध्यक्ष अमन पन्नू ने इस प्राइस चैलेंज की घोषणा करते हुए कहा, "बड़े पैमाने पर पानी के संरक्षण के मकसद से किए गए किसी भी प्रयास को कृषि की जरूरतों के साथ करीब से जोड़ना चाहिए। इस तरह के कार्यक्रम को मौसम की स्थिति, फसलों और किस्मों के चयन, उपज क्षमता, फसलों को पानी की आवश्यकताओं, उपलब्ध सिंचाई संसाधनों, जल- बचत प्रौद्योगिकियों, कृषि विस्तार सेवाओं, बिजली की उपलब्धता सहित अन्य कारकों के एक जटिल माध्यमों से चलाना होगा। इसके अलावा इनपुट मूल्य निर्धारण और कृषि उपज को प्रभावित करने वाले नीतिगत परिवर्तनों पर भी विचार किया जाना चाहिए। निःस्संदेह जल संरक्षण के लिए अनुकूल वातावरण बनाना और कृषि में जल उपयोग दक्षता में सुधार करना एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य है। इसी को ध्यान में रखते हुए डीसीएम श्रीराम एग्रीवाटर चैलेंज को द नज इंस्टीट्यूट के सहयोग से लॉन्च किया गया है। इसमें कृषि में पानी से संबंधित चुनौतियों को दूर करने पर विशेष जोर दिया गया है। इस चैलेंज के जरिये प्रौद्योगिकी संचालित कृषि स्टार्टअप और सामाजिक उद्यमियों को आमंत्रित किया जा रहा है ताकि वे इस जटिल समस्या का ठोस समाधान प्रदान कर सकें और विशेष रूप से छोटे किसानों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।"

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