मध्यप्रदेश के शाजापुर शहर के बीचो-बीच से बहने वाली चीलर नदी क्या एक बार फिर अपने पुराने रूप में लौट सकेगी? फिलहाल तो यह एक सवाल ही है पर इतना तय है कि अब इसके दिन फिरने वाले हैं। 15- 20 साल पहले तक यह नदी साफ–सुथरी होकर पूरे साल बहती रहती थी लेकिन बीते कुछ सालों से उपेक्षित होने से यह महज एक गन्दे नाले में बदलने लगी थी और इसके अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग गया था। अब प्रशासन, नगर पालिका और नागरिकों ने इसे सँवारने की नए सिरे से कवायद शुरू कर दी है। इससे उम्मीद जगी है कि यह नदी फिर से पुनर्जीवित हो सकेगी।
यहाँ नदी को पुनर्जीवित करने के जतन में पूरा शहर ही सहभागी बन रहा है। जिसके पास जो है, उससे ही मदद करने को तैयार नजर आता हो पोकलेन मशीन हो या जेसीबी, ट्रैक्टर हो या कुदाल–फावड़े तो कोई खाली हाथ ही चला आ रहा है श्रमदान के लिए। कच्चे–पक्के अतिक्रमण हटाकर नदी के पुराने स्वरूप में बकायदा सीमांकन भी किया जा चुका है। आगरा–मुम्बई नेशनल हाईवे के पुल के नीचे से इस अभियान की शुरुआत भी हो गई है। बारिश के सन्निकट होने से यह काम जल्दी पूरा करने के लिए पर्यावरण दिवस 5 जून से 15 जून तक समय सीमा तय की है, इसमें कायाकल्प पूरा होने की उम्मीद है।
नपा अध्यक्ष प्रदीप चन्द्रवंशी ने बताया कि नदी पूरी तरह से प्रदूषित हो गई है। इस वजह से शहर के लोग एक तरफ जहाँ बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, वहीं इसके पानी का उपयोग भी नहीं हो पा रहा है। इससे शहर का सौन्दर्यीकरण भी प्रभावित हो रहा है। इसी चीलर नदी पर बने बाँध से 80 हजार की आबादी वाले शहर और आस-पास के करीब 100 गाँवों को पानी की सप्लाई भी होती है। चीलर नदी दरअसल शाजापुर की जीवन-रेखा है पर हमने अब तक इस उपेक्षित ही रखा। अब हमें गलती का अहसास हो गया है। उन्होंने बताया कि कुल साढ़े 3 किमी लम्बे नदी क्षेत्र को 250 से 500 मीटर के अलग–अलग हिस्सों में बाँट दिया गया है और इसकी सफाई की जिम्मेदारी अलग-अलग समूहों को सौंपी गई है। नदी के दोनों ओर गन्दे पानी की निकासी के लिए नाले बनाये जायेंगे ताकि शहर का गन्दा पानी नदी में न मिल सके। अफसर, जनप्रतिनिधि और प्रबुद्धजन शहर में घूम–घूमकर लोगों को इस अभियान से जोड़ेंगे।
शाजापुर जिला के कलेक्टर राजीव शर्मा ने जिले की चीलर सहित लखुन्दर, कालीसिंध, नेवज और जमघड नदियों के किनारे धारा 144 लगाकर मलबा या कचरा डालने वालों पर कड़ी कार्यवाही करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने बताया कि नदियों के किनारे लोग मलबा और कचरा डाल देते हैं, इससे नदियाँ न सिर्फ उथली हो रही है बल्कि उनमें गन्दगी भी भर रही है। नदियाँ इसी वजह से अपने प्राक्रतिक रूप से हट गई हैं। हमारे पास चीलर नदी के गहरीकरण और सौन्दर्यीकरण के लिए कुछ ही दिन बचे हैं। बारिश के शुरू होने से पहले हम काम पूरा करना चाहते हैं।
चीलर नदी को सँवारने के लिए चीलर प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने की कवायद की जा रही है। इसे राज्य सरकार को भेजा जायेगा। यह प्रोजेक्ट करीब 16 करोड़ रूपये का है। इसमें नदी को जलकुम्भी मुक्त करने के साथ ही सौन्दर्यीकरण, वोटिंग, पुराने घाटों की मरम्मत और सबसे जरूरी गन्दे पानी की निकासी के लिए ड्रेनेज अपर जोर दिया जायेगा। दो बार भोपाल से टीम भी नदी क्षेत्र का मुआयना कर चुकी है। इप्को ने हैदराबाद की एक कम्पनी को यहाँ सर्वे का काम सौंपा है। इसके तीन इंजिनीयर ने नदी किनारों की स्थिति, प्रदूषण के आकलन और पानी के सैम्पल भी लिये हैं।
फिलहाल नदी की अनदेखी के चलते यह एक गन्दे नाले में बदल चुकी है। इसमें गन्दे पानी के करीब 18 नालें भी मिलते हैं। कभी यह नदी कल–कल करते हुए पूरे साल बहती थी। शहर के लोग अपने कामों के लिए इसका पानी उपयोग में लेते थे। नदी के पाट बहुत चौड़े थे। लेकिन अब यह बहुत संकरी हो गई है और इसे जलकुम्भी ने बुरी तरह घेर लिया है। जलकुम्भी इसका पानी सोख रही है। इससे नदी के साथ ही आस-पास का भू-जल स्तर भी गिर रहा है। पिछले दो–तीन सालों से क्षेत्र में सामान्य बारिश भी नहीं हो पा रही है। इस साल इलाके में बहुत कम बारिश हुई है। अभी यहाँ का औसत भू-जल स्तर 150 फीट यानी करीब 50 मीटर तक नीचे चला गया है।
आस-पास के करीब 500 से ज्यादा हैण्डपम्प दम तोड़ चुके हैं। दूषित पानी के कारण जीव–जन्तुओं के लिए भी अनुकूल परिस्थितियाँ बन सकेंगी। यदि सब कुछ ठीक ढँग से हुआ तो शाजापुर की चीलर नदी की दशा बदल जायेंगी।
सम्पर्क : 11 – ए, मुखर्जी नगर, पायोनियर स्कूल चौराहा, देवास म.प्र -455001, मो.नं. 9826013806
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