बाल स्वच्छता के लिए करनी होगी सामूहिक पहल

प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा परिवारों को 40 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति नहीं मिलता एवं प्रदेश की कुल 69.99 फीसदी आबादी खुले में शौच करती है। कई क्षेत्रों के भूजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट, आयरन आदि की मात्रा ज्यादा है। इन कारणों से जलजनित कई बीमारियों की चपेट में बच्चे जल्दी आ जाते हैं। शुद्ध पेयजल एवं बेहतर साफ-सफाई बच्चों का अधिकार है। इसके लिए मूल रूप से तीन संस्थाओं अभिभावक, विद्यालय एवं पंचायतों को अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन करना होगा। भोपाल। देश में बच्चों के अधिकारों से जुड़े कार्य अभी तक नहीं हुए हैं, जबकि बच्चे भविष्य के नागरिक होंगे। बच्चों के विचार एवं अनुभवों को सुनने के लिए उचित मंच होना चाहिए एवं उन पर सम्मान के साथ विचार करना होगा। बच्चों की स्वच्छता, सफाई एवं पानी के अधिकार को लेकर किये जा रहे प्रयासों में किसी भी तरह की कोताही नहीं की जानी चाहिए, अन्यथा इसके परिणाम में कुपोषण, बीमारी एवं बाल मृत्यु दर जैसी समस्याओं में बढ़ोतरी होगी। बच्चों के लिए साफ पानी, पर्याप्त सफाई एवं समुचित स्वच्छता (वाश - वाटर, सैनिटेशन एंड हाइजिन) अधिकारों के दावे को लेकर समर्थन - सेंटर फॉर डेवलपमेंट सपोर्ट द्वारा सेव द चिल्ड्रेन एवं वाटर एड के सहयोग से आज आयोजित दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में उक्त बातें मुख्य अतिथि पूर्व मुख्य सचिव एवं चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेट्री की अध्यक्ष सुश्री निर्मला बुच ने कही। कार्यशाला में राज्य के विभिन्न जिलों से आए 40 से ज्यादा सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता, विचारक, पंचायत राज जनप्रतिनिधि विचारमंथन किये।

समर्थन के निदेशक डॉ. योगेश कुमार ने कहा कि प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा परिवारों को 40 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति नहीं मिलता एवं प्रदेश की कुल 69.99 फीसदी आबादी खुले में शौच करती है। कई क्षेत्रों के भूजल में फ्लोराइड, नाइट्रेट, आयरन आदि की मात्रा ज्यादा है। इन कारणों से जलजनित कई बीमारियों की चपेट में बच्चे जल्दी आ जाते हैं। शुद्ध पेयजल एवं बेहतर साफ-सफाई बच्चों का अधिकार है। इसके लिए मूल रूप से तीन संस्थाओं अभिभावक, विद्यालय एवं पंचायतों को अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निर्वहन करना होगा। वाटर एड के कार्यक्रम अधिकारी बिनु एरिकल ने कहा कि पानी और स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सरकारों ने सहमति दी है। वरिष्ठ समाजसेवी श्याम बोहरे ने कहा कि अच्छे उदाहरणों को बड़े स्तर पर पुर्नस्थापित करना होगा। वरिष्ठ शिक्षाविद एवं समाजसेवी सुश्री दविंदर कौर उप्पल ने कहा कि शिक्षकों को बच्चों की गरिमा स्थापित करने के लिए स्वयं पहल करनी होगी।

समर्थन की कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री सीमा जैन ने प्रदेश के सीहोर जिले के 16 ग्राम पंचायतों के 22 गांवों में बच्चों के लिए स्वच्छता एवं पानी के अधिकार को लेकर समर्थन द्वारा बाल मित्र पंचायत पुरस्कार, बच्चों की अर्थपूर्ण सहभागिता, बाल संवाद, बाल मिलन, बाल सूचना पटल का निर्माण एवं बाल सहयोगी पुस्तकालय का निर्माण जैसी अनेक गतिविधियां आयोजित की जा रही है। इसका परिणाम यह हुआ है कि उन गांवों में बच्चों के पानी एवं स्वच्छता के अधिकार को ग्रामसभा एवं पंचायतों की बैठकों में विशेष महत्व दिया जाने लगा है। बाल संवाद एवं बाल सूचना पटल के माध्यम से बच्चों द्वारा उठाए गए 85 प्रमुख मुद्दों में से 61 का पंचायत स्तर पर तत्काल समाधान हो चुका है।

कार्यशाला में मुख्य रूप से परहित संस्था दतिया के राघवेन्द्र सिंह, धरती संस्था मुरैना के देवेंद्र भदौरिया, कल्पतरू संस्था गुना के अजय शुक्ला, यु.आर.ओ. भोपाल के डॉ. मेहरूल हसन, कृषक सहयोग संस्था होशंगाबाद के डॉ. एच.वी. सेन आदि ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन समर्थन के कार्यक्रम प्रबंधक शफीक खान ने किया। सभी प्रतिभागियों ने सीहोर के उन पंचायतों का दौरा भी किया, जहां बाल स्वच्छता को लेकर कार्य किया जा रहा है।

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