बाल स्वच्छता अधिकार पर पंचायतों की ज़िम्मेदारी

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संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार घोषणा-पत्र एवं भारत के संविधान में तय किए गए विभिन्न बाल अधिकारों को पूरा करने एवं बच्चों के स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बाल स्वच्छता अधिकार बहुत महत्वपूर्ण है। इन अधिकारों का पूरा करने के लिए बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों को शुद्ध पेयजल, शौचालय एवं स्वच्छता के साधन एवं सफाई के अवसर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बच्चों के स्वास्थ्य, शारीरिक और मानसिक विकास को पूरा कर कर शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। लिंग असमानता दूर करते हुए लड़के और लड़कियों के लिए समान रूप से शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है एवं स्कूल में स्वच्छ बाल सहयोगी वातावरण निर्माण किया जा सकता है, जो कि शिक्षा के अधिकार कानून में कहा गया है।

स्थानीय स्तर पर यह पंचायतों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने पंचायतों में बाल स्वच्छता अधिकारों के तहत गांव में, शाला में, आंगनवाड़ी में, सामुदायिक भवन में स्वास्थ्य केंद्र में एवं घर पर समग्र रूप से बच्चों को पेयजल, साफ-सफाई एवं स्वच्छता के साधन उपलब्ध कराएं। बच्चों के हित में पेयजल एवं स्वच्छता पर पंचायतें निम्न जिम्मेदारियां निभा सकती हैं -

1. पेयजल सुनिश्चित करने के उपाय करना।
2. स्वच्छता एवं सफाई के इंतजाम करना।
3. स्वच्छता एवं सफाई के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करना।
4. स्वच्छता दूत के साथ समन्वय करना।
5. कचरा फेंकने के लिए स्थान तय करना एवं इसके लिए ग्रामसभा से प्रस्ताव पारित करवाना।
6. गांव की गलियों को पक्का करवाना एवं जिस गली से ज्यादातर बच्चे निकलते हैं, उन गलियों को प्राथमिकता देते हुए निर्माण करना।
7. पेयजल स्रोतों को साफ रखने के लिए व्यवस्था करना।
8. बच्चों के विचारों को सुनना, उनकी सहभागिता का समर्थन करना।
9. गरीब एवं वंचित परिवारों को आर्थिक विकास की योजनाओं से जोड़ना।
10. ग्राम सभा एवं पंचायत की बैठकों में बच्चों के अधिकारों पर चर्चा करना।
11. बाल सभा का आयोजन करवाना।
12. शाला में शौचालय का निर्माण करवाना।
13. शाला में बालिकाओं के लिए अलग शौचालय का निर्माण करवाना।
14. शाला में पेयजल की व्यवस्था करवाना एवं इसके लिए संबंधित विभाग से समन्वय करना।
15. आंगनवाड़ी को सुरक्षित पेयजल रखने एवं स्वच्छता के साधन अपनाने के लिए प्रेरित करना।
16. ग्रामीणों को शौचालय बनाने के लिए प्रेरित करना एवं इसके लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता के बारे में बताना।
17. बच्चों को पानी ढोने जैसे काम से दूर रखना।
18. पानी के कमी के कारण बच्चों को शाला से दूर नहीं होना पड़े, ऐसी व्यवस्था करना।
19. डायरिया एवं जल जनित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए पूर्व से ही लोगों को जागरूक करना एवं ऐसी बीमारी हो, तो पंचायतें आगे बढ़कर प्रभावितों को मदद करें।
 

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