बागमती नदी पर प्रस्तावित नुनथर बांध

पृष्ठभूमि


इसके पीछे नुनथर बांध का निर्माण न हो पाना है और नुनथर बांध का निर्माण न होने के पीछे नेपाल की हमारी समस्या के प्रति संवेदनहीनता है। यह प्रचार इतना प्रखर और इतना टिकाऊ है कि बिहार की बागमती घाटी के लोग इसे सचमुच का समाधान मान बैठे हैं जबकि यह भ्रम की टाटी के अलावा कुछ भी नहीं है।

बागमती नदी की बाढ़ की समस्या के समाधान के रूप में नुनथर बांध परियोजना का सुझाव सबसे पहले 1953 में किया गया था। यह वही समय था जब कोसी नदी पर पिछले सौ वर्षों से चल रही बाढ़ की बहस की दिशा मुड़ने लगी थी और तटबन्धों के निर्माण का विरोध दरकने लगा था। सरकार तब भी कोसी समस्या का अंतिम समाधान नेपाल में बराहक्षेत्र में प्रस्तावित 280 मीटर ऊँचे बांध को ही मानती थी मगर अर्थाभाव तथा भूकम्प से बांध को किसी क्षति होने और उसके फलस्वरूप निचले इलाकों में होने वाली तबाही के प्रति उसकी चिन्ता जरूर बनी हुई थी।

नेपाल में कोसी नदी पर बराहक्षेत्र बांध के प्रस्ताव को खारिज करने और कोसी नदी पर तटबन्धों की योजना को स्वीकार करने के पीछे दूसरे कारण भी हो सकते हैं मगर जनता को यही दो कारण बताये गए थे। बिहार के आम लोगों को वे दलीलें याद नहीं है जो कि कोसी पर तटबन्ध निर्माण के समर्थन में सरकार ने दी थीं, इसलिए वह बड़े सहज भाव से सरकार के मिथ्या प्रचार को स्वीकार कर लेते हैं कि बराहक्षेत्र बांध ही कोसी समस्या का अंतिम समाधान है। यह पूरी बहस अन्यत्र उपलब्ध है। यही बात कमोबेश बागमती नदी पर नेपाल में प्रस्तावित नुनथर बांध पर भी लागू होती है।

बागमती नदी पर तटबन्धों के निर्माण की सिफारिश और कालान्तर में उनके निर्माण के ठीक बाद नुनथर बांध के निर्माण का सवाल उठाना और उस में आने वाली रुकावटों का बखान, व्यवस्था के छल प्रपंच की छाया बन कर घाटी में बसे लोगों का पीछा करती है जिसमें समाधान के नाम पर बनाये तो तटबन्ध जाते हैं मगर कहा यह जाता है कि बागमती नदी की बाढ़ समस्या का असली समाधान तो नुनथर में बांध का निर्माण ही है। ऐसा कह कर सरकार सफलतापूर्वक यह इशारा करती है कि बागमती नदी घाटी में बाढ़ के लिए वह जिम्मेवार नहीं है।

इसके पीछे नुनथर बांध का निर्माण न हो पाना है और नुनथर बांध का निर्माण न होने के पीछे नेपाल की हमारी समस्या के प्रति संवेदनहीनता है। यह प्रचार इतना प्रखर और इतना टिकाऊ है कि बिहार की बागमती घाटी के लोग इसे सचमुच का समाधान मान बैठे हैं जबकि यह भ्रम की टाटी के अलावा कुछ भी नहीं है। यह झूठा प्रचार इतना व्यापक और सम्मोहक है कि बड़े-बड़े नेता भी, जिनकी पहुँच सारी सूचनाओं तक है (या अगर नहीं है तो होनी चाहिये) इस भ्रम-जाल का शिकार होते हैं और इस प्रस्तावित बांध के समर्थन में अपना पूरा जत्था लेकर सड़कों पर उतर आते हैं। फिलहाल नुनथर बांध योजना के बारे में हम यहाँ थोड़ी सी जानकारी ले लेते हैं।

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Post By: tridmin
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