* कुल भौगोलिक क्षेत्र: 83,743 वर्ग किमी
* कुल जिले: 13
* कुल ब्लॉक: 59
* जल प्रवाह तंत्र: यह राज्य ब्रह्मपुत्र नदीघाटी में स्थित है। ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियों के तौर पर राज्य में 11 सदानीरा नदियां एवं कई छोटी धाराये प्रवाहित होती हैं। इन सदानीरा नदियों के नाम हैं- चांगलांग, दिबांग, पूर्वी कामेंग, लोहित, लोवर सुबनसीरि, पापुंपेयर, तवांग, सिरप, अपर सियांग, पश्चिमी कामेंग, पश्चिमी सिंयांग।
* वर्षा: राज्य में भरपूर वर्षा होती है और साल के 200 दिनों में 3000 मिलीमीटर तक बारिश होती है।
=== राज्य का जल विज्ञान ===
पूरा क्षेत्र हिमालय पहाड़ एवं तराई पर स्थित है। यह ब्रह्मपुत्र नदीघाटी के क्षेत्र में पड़ता है। राज्य में भूजल असीमित से लेकर अर्धसीमित स्थिति में उपलब्ध है। नामसाई और मीनों उपमंडल में भूजल की गहराई टोपोग्राफी के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। जमीन 106 मीटर नीचे तक मुख्य रूप से बलुई है और नलकूप के माध्यम से 160 घनमीटर प्रति घंटे भूजल निकासी की क्षमता है। नामसाई और मीनों उपमंडल में भूजल की निकासी क्षमता 100 घन मीटर प्रतिदिन है।
=== गतिशील भूजल संसाधन ===
* वार्षिक पुनर्भरणीय भूजल संसाधन: 2.56 (अरब घनमीटर) (बीसीएम)
* शुद्ध वार्षिक भूजल उपलब्धता: 2.30 बीसीएम
* वार्षिक भूजल ड्राफ्ट: 0.0008 बीसीएम
* भूजल विकास की स्थिति: 0.04 फीसदी
=== भूजल विकास निगरानी ===
* अति शोषित मंडल: कोई नहीं
* नाजुक स्थिति वाले मंडल: कोई नहीं
* अर्ध नाजुक स्थिति वाले मंडल: कोई नहीं
निर्मित अन्वेषी नलकूप (31.03.2009 तक): 33
* भूजल उपयोग मानचित्र वाले जिलों की संख्या: 8
* भूजल निगरानी कुओं की संख्या: 19
* संभावित कृत्रिम भूजल ढांचे: 500 चेक डैम्स, 1000 बंधारा, 1000 गैबिअन ढांचे, 300 झरनों का विकास एवं शहरी क्षेत्रों में 600 वर्षाजल रिचार्ज सिस्टम
=== भूजल गुणवत्ता की समस्याएं ===
गुणवत्ता की दृष्टि से राज्य में भूजल काफी स्वच्छ स्वरूप में उपलब्ध है। भूजल में किसी गंभीर संदूषण की कोई सूचना अब तक उपलब्ध नहीं है।
* भूजल नियमन (बिल): राज्य में भूजल विकास स्थिति काफी धीमी है। अब तक 1 फीसदी से भी कम भूजल का विकास हुआ है। चूंकि भूजल का विकास बहुत कम हुआ है इसलिए राज्य में भूजल के नियंत्रण के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है। जबकि सरकारी भवनों में वर्षाजल संरक्षण को बाध्यकारी बनाने के लिए कानून बनाया जा रहा है।
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