आर्ट ऑफ लिविंग से यमुना खादर को नुकसान पहुँचाने के लिये वसूलें 120 करोड़ का जुर्माना


1. कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही वसूली जाए राशि
2. मंगलवार से मामले की प्रतिदिन होगी सुनवाई
3. कहा कि 35 लाख नहीं 2-3 लाख लोग होंगे शामिल


.नई दिल्ली। यमुना खादर में 11 से 13 मार्च को प्रस्तावित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी रिपोर्ट में प्रिंसिपल कमेटी ने सिफारिश की है कि यमुना खादर को नुकसान पहुँचाने की एवज में आर्ट ऑफ लिविंग से बतौर जुर्माना 120 करोड़ रुपए वसूले जाएँ। उधर, मौके पर मौजूद संस्था के प्रतिनिधि गौतम विज ने कमेटी को जानकारी दी कि इस कार्यक्रम में अधिकतम दो लाख लोगों के शामिल होने की सम्भावना है।

केन्द्रीय पर्यावरण मन्त्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में डीयू के पूर्व प्रोफेसर सीआर बाबू, आईआईटी के प्रो. एके गोसाईं, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर ब्रिज गोपाल शामिल हैं। कमेटी ने 20 फरवरी को करीब तीन घंटे तक प्रस्तावित स्थल का दौरा किया।

कमेटी ने सीलबंद लिफाफे में यह रिपोर्ट सौंपी थी, शनिवार को एनजीटी ने इसे सार्वजनिक कर दिया। एनजीटी के चीफ जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की मंगलवार (एक मार्च) से प्रतिदिन सुनवाई के निर्देश दिये हैं।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वह समझती है कि यह सुनिश्चित कर पाना सम्भव नहीं होगा कि कार्यक्रम सम्पन्न करने के बाद आयोजक यहाँ से समस्त मलबा निर्माण सामग्री हटाए। कमेटी ने कहा कि डीएनडी यमुना के बीच करीब 50 से 60 एकड़ जमीन को तैयारियों के सिलसिले में पूरी तरह से रौंद दिया गया है।

खादर पूरी तरह से नष्ट हो गया है, वहाँ से झाड़ियाँ यहाँ तक कि कुछ बड़े पेड़ भी हटाए गए हैं, इससे पक्षी अन्य जीवों का रहन-सहन भी प्रभावित हो गया है। कमेटी ने कहा कि यहाँ एनजीटी के 13 जनवरी, 2015 के आदेश का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन किया गया है।

कमेटी को मौके पर आयोजन संस्था के प्रतिनिधि गौतम विज ने बताया कि वहाँ अधिकतम दो से तीन लाख लोगों के आने की सम्भावना है जबकि वहाँ तैयारी 35 लाख लोगों को ध्यान में रखते हुए की जा रही हैं। ऐसे में कमेटी ने आयोजक संस्था की ओर से 2 से 3 लाख लोगों के हिसाब से दोबारा योजना तैयार करके हलफनामा लेने की सिफारिश भी की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्ट ऑफ लिविंग से यमुना खादर की पुनर्स्थापना के लिये फंडिंग के लिये बतौर जुर्माना कम-से-कम 100 से 120 करोड़ रुपए की राशि कार्यक्रम शुरू होने के पहले ही वसूली जाये। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि इस राशि से कार्यक्रम खत्म होने के दिन से एक साल के अन्दर यानी 13 मार्च 2017 तक पुनर्स्थापना का काम पूरा कर लिया जाये। कमेटी इस सिलसिले में एनजीटी को हर महीने प्रगति रिपोर्ट सौंपे।

सिफारिश यह भी की गई है कि आयोजन करने वाली संस्था, जमीन आवंटित करने वाली डीडीए और अन्य एजेंसियों को भविष्य में इस तरह के किसी भी उल्लंघन की कोशिश से बचने के सम्बन्ध में सख्त निर्देश दिये जाएँ।

एनजीटी में दाखिल पर्यावरण मन्त्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक आर्ट ऑफ लिविंग को 18 जनवरी को डीडीए और दिल्ली के सिंचाई बाढ़ नियंत्रण विभाग ने अपनी मंजूरी दी। 21 जनवरी को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी ने और 29 जनवरी को जिला आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल हुआ। हालांकि दिल्ली पुलिस से अभी पर्फोर्मेंस लाइसेंस हासिल नहीं हुआ है।

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Post By: RuralWater
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