10 जनवरी 2014, महोबा। जिले के विकासखण्ड कबरई का गांव सलारपुर मप्र जनपद छतरपुर की सीमा से सटा है। गांव के एक बरसाती नाले से लगा, किसान रामकृपाल पुत्र मनुवा व उसके छोटे भाई बाबूलाल की 3 एकड़ ढालूदार, बालू कंकड़ युक्त जमीन है, जिसमें उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के पानी के अभाव में नाम मात्र की फसल हाथ लगती रही है। शायद ही कभी इस जमीन से फायदे की फसल काटने का सौभाग्य मिला हो।
जमीन को मौके पर देखने से पता चलता है कि सैकडो वर्षों से मिट्टी की कटान और नाले में बरसाती पानी के तेज बहाव के चलते अन्दर की परत की बलुई परत उभर कर ऊपर आ गई है। इस गांव में कुंआ सिंचाई का प्रचलन रहा है। पर जमीन की हालत के साथ इन दोनों भाइयों की माली हालत ऐसी नहीं हो सकी जिससे वे कुआं बना सकते।
अपना तालाब अभियान की सदस्य संस्था ग्रामोन्नति संस्थान के कार्यकर्ताओं ने प्रेरित किया तो रामकृपाल ने हिम्मत कर 20×20×3 मीटर का तालाब बनवाना शुरू किया पहले तो किसान रामकृपाल अपने परिवार सहित कुछ श्रमिकों के साथ फावड़ा - कुदाल लेकर खुदाई करते रहे पर कंकरीट की परत पर फावड़ा-कुदाल चलाना मुश्किल हो गया इस काम को पूरा करने के लिए जेसीबी का सहारा लेना पड़ा जिससे तीन चौथाई तालाब ही बना पाए थे कि पानी बरसने लगा।
वर्षा का पानी खोदे गए तालाब में भरा तो फसल बोने का भरेासा जाग गया। फसल को पानी मिलेगा या नहीं के कसमकश से चना बोना वाजिब समझा। सिंचाई के लिए पम्पिंग सेट रखी गई जो 13 घंटे तक 4×4 इंची पम्प से पानी लेकर 7 बीघे जमीन का पानी से तर कर दिया। इतना ही नहीं पड़ोसी किसान कालका पुत्र दुर्जन की 8 बीघे फसल को इसी तालाब के पानी से सींचा गया। किसान बताते हैं कि खेत में सिंचाई के बाद एक-दो दिन में पर्याप्त पानी भी पुनर्वापसी तालाब में हो गई थी, अभी भी तालाब में उपलब्ध पानी से 2-3 बीघा जमीन की सिंचाई आसानी से की जा सकती है। रामकृपाल कहते हैं, इस साल अपने तालाब का काम पूरा कर लेंगे और अब अपने खेत की बह रही मिट्टी को रोक कर उपजाऊ बनाएंगे।
वह इस बात से आश्वस्त हो रहें है कि अपनी दोनों भाइयों की जमीन को हम तीन पानी इस तालाब से देने की हैसियत बना लेंगे। इस तालाब को देखकर किसानों को महसूस हो रहा है कि कुंआ बनाने से सस्ता और टिकाऊ साधन अपना तालाब है जिसमें पानी निकालना भी अन्य की अपेक्षा बहुत ही सस्ता व आसान है।
संपर्क -
श्री राम कृपाल पुत्र मनुवा
ग्राम- सलारपुर, विकासखण्ड - कबरई
जनपद- महोबा उ0प्र0
जमीन को मौके पर देखने से पता चलता है कि सैकडो वर्षों से मिट्टी की कटान और नाले में बरसाती पानी के तेज बहाव के चलते अन्दर की परत की बलुई परत उभर कर ऊपर आ गई है। इस गांव में कुंआ सिंचाई का प्रचलन रहा है। पर जमीन की हालत के साथ इन दोनों भाइयों की माली हालत ऐसी नहीं हो सकी जिससे वे कुआं बना सकते।
खर्चीले कुंआ से आसान और सस्ता है -अपना तालाब
अपना तालाब अभियान की सदस्य संस्था ग्रामोन्नति संस्थान के कार्यकर्ताओं ने प्रेरित किया तो रामकृपाल ने हिम्मत कर 20×20×3 मीटर का तालाब बनवाना शुरू किया पहले तो किसान रामकृपाल अपने परिवार सहित कुछ श्रमिकों के साथ फावड़ा - कुदाल लेकर खुदाई करते रहे पर कंकरीट की परत पर फावड़ा-कुदाल चलाना मुश्किल हो गया इस काम को पूरा करने के लिए जेसीबी का सहारा लेना पड़ा जिससे तीन चौथाई तालाब ही बना पाए थे कि पानी बरसने लगा।
वर्षा का पानी खोदे गए तालाब में भरा तो फसल बोने का भरेासा जाग गया। फसल को पानी मिलेगा या नहीं के कसमकश से चना बोना वाजिब समझा। सिंचाई के लिए पम्पिंग सेट रखी गई जो 13 घंटे तक 4×4 इंची पम्प से पानी लेकर 7 बीघे जमीन का पानी से तर कर दिया। इतना ही नहीं पड़ोसी किसान कालका पुत्र दुर्जन की 8 बीघे फसल को इसी तालाब के पानी से सींचा गया। किसान बताते हैं कि खेत में सिंचाई के बाद एक-दो दिन में पर्याप्त पानी भी पुनर्वापसी तालाब में हो गई थी, अभी भी तालाब में उपलब्ध पानी से 2-3 बीघा जमीन की सिंचाई आसानी से की जा सकती है। रामकृपाल कहते हैं, इस साल अपने तालाब का काम पूरा कर लेंगे और अब अपने खेत की बह रही मिट्टी को रोक कर उपजाऊ बनाएंगे।
वह इस बात से आश्वस्त हो रहें है कि अपनी दोनों भाइयों की जमीन को हम तीन पानी इस तालाब से देने की हैसियत बना लेंगे। इस तालाब को देखकर किसानों को महसूस हो रहा है कि कुंआ बनाने से सस्ता और टिकाऊ साधन अपना तालाब है जिसमें पानी निकालना भी अन्य की अपेक्षा बहुत ही सस्ता व आसान है।
संपर्क -
श्री राम कृपाल पुत्र मनुवा
ग्राम- सलारपुर, विकासखण्ड - कबरई
जनपद- महोबा उ0प्र0
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