50 हजार कुओं की 'मौत'

अलवर, कुओं पर रहट से निकल खेतों में कलकल बहता पानी। नेजू से पानी भर कर लाती महिलाओं के सुरीले गीत, बीते 50 साल में हुई 50 हजार कुओं की मौत के साथ गुम हो गए। अंधाधुंध जलदोहन और अल्पवृष्टि के बाद जिले में महज 10 हजार कुओं में ही पानी बचा है।

करीब 50 वर्ष पहले तक जिले में करीब 60 हजार कुओं में भरपूर पानी था। साल दर साल कुओं के खात्मे की वजह बने ट्यूबवेल और आधुनिक पंप-मोटर, जिनके जरिये पानी का अंधाधुंध दोहन होता चला आ रहा है। रही-सही कसर कम बारिश ने पूरी कर दी। इसके बावजूद कुछ कुएं आज भी भरपूर पानी दे रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या सिमटकर महज दस हजार रह गई है। इनका पानी सिंचाई व पेयजल के काम आ रहा है और जलस्तर तेज रफ्तार से पाताल को जा रहा है।

कुएं में फिर से भरेंगे पानी

राज्य सरकार की कूप पुर्नभरण योजना ही भूजल स्तर बढाने व कुओं में पानी बढाने में सफल हो सकती है। इसके लिए वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक एवं सर्वेक्षण विभाग के पास इस योजना के तहत करीब दस हजार किसानों के आवेदन मिले हैं, लेकिन इन प्रस्तावों पर हो रही कार्रवाई की रफ्तार काफी धीमी है।

इनका कहना है

जिले में करीब साठ हजार कुओं में से अब दस हजार कुएं ही योग्य बचे हुए हैं। इन कुओं का पानी भी नीचे गिर रहा है। कूप पुनर्भरण योजना से ही इन कुओं को बचाया जा सकता है। योजना के तहत दस हजार किसानों ने आवेदन किए हैं।

-आर.पी. गुप्ता, वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक

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