भूकम्प (Earthquake)
पृथ्वी की सतह पर अचानक महसूस किये जाने वाले कम्पनों को हम भूकम्प या भूचाल कहते हैं। यहाँ उत्तराखण्ड के लोग स्थानीय भाषा में इन्हें चलक कहते हैं जिसका तात्पर्य है कि यहाँ के लोग भूकम्प के झटके प्रायः महसूस करते रहे हैं।इन कम्पनों के कारण कभी-कभी घरों, मकानों एवं अन्य संरचनाओं को भारी नुकसान होता है परन्तु भूकम्प के यह झटके हमेशा ही इतने तेज नहीं होते हैं। यह इतने धीमे भी हो सकते हैं कि संवेदनशील उपकरण न होने पर हमें इनके आने का पता ही न चल पाये। आपको शायद विश्वास न हो पर हमारे द्वारा महसूस न किये जाने वाले यह छोटे भूकम्प काफी बड़ी संख्या में नियमित रूप से आते हैं।
भूकम्प (Earthquake)
पुस्तक परिचय - कहीं धरती न हिल जाये
भूकम्प रोज-रोज तो आते नहीं हैं; यहाँ हमारे क्षेत्र में 1999 के बाद से नुकसान कर सकने वाला कोई भूकम्प नहीं आया है। भूकम्पों के बीच सालों या फिर दशकों का अन्तर होने के कारण हम में से ज्यादातर भूकम्प सुरक्षा के प्रति प्रायः उदासीन हो जाते हैं और देखा जाये तो हमारी यही उदासीनता भूकम्प से होने वाले ज्यादातर नुकसान के लिये जिम्मेदार है।
पुस्तक परिचय - कहीं धरती न हिल जाये
Election update: Rivers can wait in Uttarakhand
Though natural disasters and destruction of rivers are major concerns of the people of Uttarakhand, they fail to move the contesting parties.
A woman with her grandchildren in her Munsyari home.
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