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/topics/rainwater-harvesting
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भारत में पानी की समस्या ने कई राज्यों को अपनी चपेट में ले रखा है। भूजल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। साल दर साल गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है और देश सूखे की गंभीर स्थिति का सामना कर रहा है आसमान आग उगल रहा है और धरती तप रही है उमस इतनी कि सांस लेने में दिक्कत है पारा पहले के मुकाबले और अधिक बढ़ता जा रहा है और उस पर बिजली भी कम सितम नहीं ढा रही ह
मनुष्य के शरीर का लगभग 70 प्रतिशत जल ही होता है। जल को लेकर ही हमारे देश ही नहीं अपितु विश्व में एक बहुत बढ़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। आज इसका निवारण ढूँढना प्राथमिकता के आधार पर अति आवश्यक हो गया है। हमारे देश में कुल जल का लगभग 76 प्रतिशत भाग मानसून के मौसम में बरसात से प्राप्त होता है। वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 22 घन मीटर है,
प्रगतिशील युग में जल की बढ़ती खपत बहुत ही स्वाभाविक प्रक्रिया है। हमारे देश की समस्याएं विविध एवं जटिल है क्योंकि भारतवर्ष में जल की उपलब्धता क्षेत्रीय वर्षा एवं भौगोलिक परिस्थितियों पर आधारित है। इसके साथ बढ़ती हुई जनसंख्या, शहरीकरण का बढ़ता क्षेत्र अपना प्रभाव जल की उपलब्धि एवं गुणवत्ता पर डाल रहे हैं।
"हे मेघ! जब तुम आकाश मार्ग से अलकापुरी की ओर बढ़ रहे होगे, तब नीचे धरती पर जहां तुम्हें शत-शत योजनों तक जलाशय ही जलाशय दिखें तो समझ लेना कि तुम छत्तीसगढ़ से गुजर रहे हो।" महाकवि कालिदास ने यदि अपनी अमर काव्य कृति "मेघदूत' में देश की नैसर्गिक सुषमा का चित्रण करते हुए छत्तीसगढ़ को भी शामिल किया होता तो उनका यक्ष शायद इसी तरह का वर्णन करता !
जल संरक्षण के लिए तमाम सरकारी फरमान जारी होते हैं, कई अभियान भी चलाए जाते हैं। इन कोशिशों के बीच कुछ लोग ऐसे हैं जो संगठन के रूप में जल संरक्षण के भगीरथ प्रयास में जुटे हुए हैं। कुछ एकला चलो की तर्ज पर अकेले ही प्रयास कर रहे हैं। ये लोग नदी, गधरे और बारिश की एक-एक अमृत बूंद की चिंता कर रहे हैं, वे नई पीढ़ी के कल के लिए आज जल संरक्षण की कोशिश में जुटे हैं।