वर्षा जल संग्रहण

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September 21, 2022 The unique design and functioning of the Chakla bavdi in Chanderi Madhya Pradesh is another example of the water wisdom of our ancestors, which needs to be conserved and passed on to the future generations.
Chakla Bavdi at Chanderi, Madhya Pradesh (Image Source: Shirole, S. 2022. Architectural eloquence: Water harvesting structure in Chanderi, Madhya Pradesh (India). Ancient Asia, 13: 9, pp. 1–13)
July 14, 2022 The river is faced with the dual problem of flood plain encroachment and growing levels of water pollution
Illegal transverse check dams (Badhals) built on Ichamati near a village in Basirhat (Image: Prithviraj Nath @ TheWaterChronicles)
July 11, 2022 The Chauka system of Rajasthan can not only provide a sustainable way to manage water resources in water stressed regions, but also support livelihoods through development of pastures.
Can greening of barren lands happen? (Image Source: India Water Portal Flickr photos)
March 21, 2022 Recognizing women's accumulated knowledge and adaptive capacities in springshed management
Van Panchayat Samiti discussing the matters related to forest (Image: Varun Raja)
November 9, 2021 Building resilient agricultural system through groundwater management interventions in degraded landscapes of Bundelkhand region
Charkhari talab in Bundelkhand (Image: IWP Flickr)
खेत-तालाब योजना: किसानों को खेत तालाब बने वरदान
Posted on 04 Sep, 2008 08:18 AM

गुना/झांसी/ मध्य प्रदेश- बुन्देलखण्ड क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति व सूखे के हालातों के चलते जल संवर्धन एवं जल संरक्षण के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, इन्दिरा आवास के लाभार्थियों के साथ बीपीएल के दायरे में रहने वाले लोगों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नरेगा में खेत-तालाब योजना लागू की गई है। इस योजना में खेत के एक हिस्से को ही तालाब का रूप देकर खेत में ही सिंचाई सुविधा बढ़ाने की योजना

खेत-तालाब योजना, फोटो-राज एक्सप्रेस
मेड़बन्दी और स्वैस्थानिक (ऑनसाइट) वर्षाजल संरक्षण
Posted on 03 Sep, 2008 12:51 PM

वर्षा का पानी हमारी वर्ष भर की जरूरतों को पूरा कर सकता है, बशर्ते उसे यूँ ही न बह जाने दिया जाय। खेतों की मेड़बन्दी से लेकर पोखरों, तालाबों, कुँए आदि का निर्माण इसीलिए किया जाता है कि वर्षा का जल उनमें इकट्ठा होकर धरती की और प्राणियों की प्यास बुझाता रहे। जल संचयन भूमि की सतह (छत, पार्किंग, भूमि आदि) पर जल अपवाह को रोककर इकट्ठा करने की प्रक्रिया है, इस रोके गये जल को स्थान विशेष पर रोकने की प्र

onsite water harvesting
कृषि जलप्रबंधन और वर्षाजल प्रबंधन क्यों
Posted on 03 Sep, 2008 11:21 AM

भारतवर्ष के ज्यादातर हिस्सों में वार्षिक वर्षाजल (Annual Rainfall) का लगभग 70-80 प्रतिशत भाग मानसून के तीन महीनों में प्राप्त होता है तथा बाकी के नौ महीनों में सिर्फ लगभग 20-30 प्रतिशत ही वर्षा होती है। इस विषम वर्षाजल वितरण (Rainfall distribution) कि वजह से जहां मानसून में वर्षाजल का अधिकांश भाग अपवाह (Runoff) के रूप में नदी नालों में बहकर बेकार चला जाता है और मृदा अपरदन एवं बाढ़ जैसी समस्याओ क

चंडीगढ़ क्षेत्र में (1958-2001) औसत मासिक वर्षा
अब वर्षाजल पुनर्भरण को अपनाएंगे मुंबई के मकान
Posted on 02 Sep, 2008 02:21 AM

भाषा/मुंबई / बिजनेस स्टैंडर्ड: महानगर में आवास निर्माण की मौजूदा रफ्तार को व्यापक स्तर पर नियंत्रित करने के लिए मुंबई में जल्द ही 'इको फ्रैंडली' यानि पर्यावरण अनुकूल इमारतों का निर्माण किया जाएगा।

 

rain water harvesting
पहली बारिश
Posted on 01 Sep, 2008 09:23 AM

 

 

बढ़ता प्रदूषण
दक्षिण बिहार की जीवनदायिनी 'पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली' की समीक्षा (भाग 1)
भारतीय सभ्यता में मानवीय हस्तक्षेप द्वारा वर्षा जल संग्रहण और प्रबंधन का गहन इतिहास रहा है। भारत के विभिन्न इलाकों में मौजूद पारम्परिक जल प्रबंधन प्रणालियाँ आज भी उतनी ही कारगर साबित हो सकती हैं जितनी पूर्व में थी। समय की कसौटी पर खरी उतरी और पारिस्थितिकी एवं स्थानीय संस्कृति के अनुरूप विकसित हुई पारम्परिक जल प्रबंधन प्रणालियों ने लोगों की घरेलू और सिंचाई जरूरतों को पर्यावरण के अनुकूल तरीके से पूरा किया है। एकीकृत मानव अनुभव ने पारंपरिक प्रणालियों को कालांतर में विकसित किया है जो उनकी सबसे बड़ी खासियत व ताकत है। Posted on 11 Jun, 2024 09:46 PM

तकनीकी एवं औद्योगिक उन्नति के इस युग में आज भी भारत देश की अर्थव्यवस्था तथा 70% से अधिक भारतीय जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है। पिछले सौ वर्षों में जल प्रवन्धन के क्षेत्र में हमने कई बड़े बदलाव देखे हैं मुख्यतः आज़ादी के बाद सरकारों ने जल प्रबन्धन में व्यक्तियों एवं जनसमुदायों की भूमिका अप्रत्यक्ष रूप से निभाई है। वर्षा जल संचयन जैसी सरल तकनीक का हास हुआ है और

पारम्परिक आहर-पईन जल प्रबन्धन प्रणाली
जल में जन भागीदारी जरूरी
कुछ ही वर्षों में देश के अनेक शहरों में जल की उपलब्धता जरूरत के अनुसार संभव ही नहीं रहेगी। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। हम यह कहते नहीं थकते कि जल ही जीवन है, लेकिन इसके संरक्षण के पारंपरिक उपायों को हमने त्याग दिया है जबकि ये बेहद सरल और सहज थे। Posted on 22 May, 2024 08:07 AM

बेंगलुरु का जल संकट न पहला है और न अंतिम। जल विशेषज्ञ वर्षों से चेतावनियां जारी करते रहे हैं कि भारत में एक तरफ जहां प्राकृतिक जल स्रोतों में कमी आ रही है तो दूसरी ओर भू-जल की भी तीव्रता से क्षय हो रहा है। अगर यही हालत रही तो कुछ ही वर्षों में देश के अनेक शहरों में जल की उपलब्धता जरूरत के अनुसार संभव ही नहीं रहेगी। इसलिए जल का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। हम यह कहते नहीं थकते कि जल ही जीवन है,

जल में जन भागीदारी
वर्षा जल संरक्षण का महत्व एवं विधियां | Importance and methods of rain water conservation
जाने वर्षा जल संरक्षण का महत्व एवं विधियां के बारे में | Know about the importance and methods of rain water conservation Posted on 16 Jan, 2024 01:50 PM

जल ही जीवन है साथ ही अमुल्य धरोहर । जलसंख्या के वृध्दि से कृषि पशुपालन उद्योग धन्धो एवं पीने के पानी की मांग भी बढ़ रही है। इसके साथ ही वन क्षेत्र कम हो रहे हैं जिसके परिणाम स्वरुप बरसात ka पानी रुककर धरती में समा नहीं पाता फलस्वरुप धरती का जलस्तर 1 से 1.5 मी.

वर्षा जल संरक्षण का महत्व एवं विधियां
पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण
जाने कैसे पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण कर सकते है। | Get information about how rain water can be collected in hilly areas through low cost technology Posted on 10 Jan, 2024 01:37 PM

खाद्य संकट से छुटकारा एवं स्थिर आर्थिक विकास के लिये जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। ज्ञातव्य है कि कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक जल का उपयोग किया जाता है लेकिन निकट भविष्य में इस दशक के अंत तक इसमें प्रयोग होने वाले जल की कुल मात्रा में से 10-15 प्रतिशत की कमी होने की सम्भावना जताई जा रही है। सिंचाई के स्थिर एवं यथाक्रम विकास के साथ- साथ भारतवर्ष में विकास की विभिन्न योजनाओं के द्वारा सम्भा

पर्वतीय क्षेत्रों में कम लागत तकनीक द्वारा वर्षा जल संग्रहण
जल प्रबंधन एवं जबलपुर के तालों का समीक्षात्मक अध्ययन (Study of water management and Ponds of Jabalpur)
आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल संसाधनों का प्रचुर प्रयोग सिंचाई, जल विद्युत उत्पादन, मत्स्य पालन, जल परिवहन तथा उद्योग आदि के लिए किया जा रहा है, और जल की खपत मानव की प्रगतिशीलता का द्योतक बन गयी है। भूमिगत जल स्तर नीचे जाने से जल में लवणीयता भी बढ़ गयी है, क्योंकि भूमि के नीचे का मीठा पानी कम हो जाने से उसमें लवणयुक्त पानी मिलता जा रहा है। तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल स्रोतों में मीठा पानी कम हो जाने से समुद्र का खारा पानी रिसकर इन स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है।
Posted on 21 Aug, 2023 06:06 PM

मानव को जीवित रहने के लिए वायु के बाद दूसरा स्थान जल का ही है। इसके अतिरिक्त, कोई भी आर्थिक कार्य ऐसा नहीं है, जो जल के बिना संभव हो। वस्तुतः जल के बिना जीवन ही संभव नहीं है। सभ्यता के आदिकाल से ही मानव जल का उपयोग अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु करता रहा है। यह आवश्यकता प्रगति के साथ-साथ तेजी से बढ़ती जा रही है। आधुनिक समय में तकनीकी विकास के कारण जल संसाधनों का प्रचुर प्रयोग सिंचाई, जल व

जबलपुर के ताल,PC-Wikipedia
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