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सफलता की कहानियां और केस स्टडी
गोचर का प्रसाद बांटता लापोड़िया-भाग 2
Posted on 19 Jul, 2023 03:05 PMगोचरः सम्पूर्ण का एक अंश
आज जब गोचर की तरफ फिर से ध्यान जा रहा है, तब इस बात की भी याद दिलाना चाहिए कि हमारे ग्रामीण समाज ने अपने पशुओं की देखरेख के लिए एक सुविचारित ढांचा खड़ा किया था। गोचर उसका एक हिस्सा था।लापोड़िया का ही इतिहास देखें तो पता चलता है कि यहां लगभग 320 बीघे में गोचर के अलावा इसी से मिलते जुलते काम के लिए एक छोटा बीड़, एक बड़ा बीड़ और चौइली नामक
![चौका](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%9A%E0%A4%B0%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%9F%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A5%8B%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%97%202.png?itok=mG0SRBau)
40 साल में अकेले खोद डाला तालाब गांव में पानी का इंतजाम करके ही लिया दम
Posted on 12 Jul, 2023 12:32 PMझारखंड के चुम्बरू तामसोय ने अपनी जिद और जुनून से गांव की तस्वीर बदल दी। चम्बरू को 1975 में सूखा पड़ने के कारण पलायन करना पड़ा। वापस लौटने के बाद तालाब खोदना शुरू किया।
![40 वर्षों के प्रयास में उन्होंने अपने दम पर एक विशाल तालाब खोद डाला,PC-लोक सम्मान](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/Chumburu.png?itok=HAfQVNvP)
जल संरक्षण भारत के युवाओं के हाथ में समाधान का नेतृत्व
Posted on 24 Jun, 2023 03:17 PMपानी की कमी पूरी दुनिया में एक प्रमुख चुनौती है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। आबादी बढ़ने के साथ- साथ उद्योगों का विस्तार होता है और जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बढ़ता है। इससे पानी की माँग तेजी से बढ़ रही है। हालाँकि इस परिदृश्य के बीच भारत के युवा एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में उभरे हैं, जो एक स्टेनेबल भविष्य के लिए इस बहुमूल्य संसाधन को संरक्षित करने का नेतृत्व कर रहे हैं।
![जल संरक्षण भारत के युवाओं के हाथ में समाधान का नेतृत्व ,PC-cbcindia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/jal%20shakti%20abhiyan.png?itok=qE5yboAv)
गन्ने की यंत्रीकृत खेती हेतु उप-सतही ड्रिप फर्टिगेशन प्रणाली
Posted on 09 Jun, 2023 04:31 PMसफलता की गाथा
तमिलनाडु में गन्ना सबसे महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक फसलों में से एक है जिसकी 85 टन/ हेक्टेयर की औसत उत्पादकता के साथ लगभग 3.0 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती की जाती है। वर्तमान जल संकट की स्थिति को देखते हुए गन्ना की उत्पादकता प्रति इकाई सिंचाई जल प्रयोग को बढ़ाने हेतु सिंचाई के पानी का दक्ष उपयोग करना एक महत्वपूर्ण उपाय बन जाता है। गन्ना उत्पादक किसान
![उप-सतही ड्रिप फर्टिगेशन प्रणाली Pc-कृषि जागरण](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-06/sugarcane-inter-2.jpg?itok=JvHrG3_5)
पानी के लिए अब जरधोबा में नहीं होती लड़ाइयां : पहले था पानी के लिए हाहाकार, अब हर घर में साफ पानी
Posted on 26 Apr, 2023 02:08 PMमध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर.
![जरधोबा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/Photo%20-%20Jardhoba%20-%20JJM%20-%201.jpg?itok=TfysOzLj)
सीतापुर और हरदोई के 36 गांव मिलाकर हो रहा है ‘नैमिषारण्य तीर्थ विकास परिषद’ गठन
Posted on 08 Dec, 2022 01:06 PMश्री नैभिषारण्य धाम तीर्थ परिषद के गठन को प्रदेश मंत्रिमएडल ने स्वीकृति प्रदान की, जिसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। इसके अंतर्गत नैमिषारण्य की होली के अवसर पर चौरासी कोसी 5 दिवसीय परिक्रमा पथ और उस पर स्थापित सम्पूर्ण देश की संह्कृति एवं एकात्मता के वह सभी तीर्थ एवं उनके स्थल केंद्रित हैं। इस सम्पूर्ण नैमिशारण्य क्षेत्र में लोक भारती पिछले 10 वर्ष से कार्य कर रही है। नैमिषाराण्य क
![सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Naimish_0.jpg?itok=tSH-jc2_)
सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र: आस्था, आध्यात्मिकता एवं जल संपदा का संगम
Posted on 14 Nov, 2022 01:55 PM
![सीतापुर का नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र, फोटो साभार - उप्र सरकार](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Naimish_13.jpg?itok=qCkki2D0)
द्वाराहाट, अल्मोड़ा में पानी बोओ, पानी उगाओ
Posted on 12 Nov, 2022 01:02 PM‘पानी बोओ अभियान’ अल्मोड़ा, उत्तराखंड की प्रस्तावना
पहले गांव के नजदीक के स्रोत से पानी नल के माध्यम से लाया गया। वह सूख गया तो पास के गाड-गधेरों से नल में लाया गया। उसमें पानी कम हुआ तो पाप की बड़ी नदी से पानी लाया गया। उम्ममें भी कम हुआ तो पिंडर व अलकनंद से पानी लाने की आवाज उठ रही हैं। आखिर कब तक नदियों से पानी मिलता रहेगा?
![चाल-खाल की एक तस्वीर, फोटो साभार - मोहन चन्द्र कांडपाल](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/Picture%2520132.jpg?itok=weNu773w)