पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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থেমে থাকা জল নির্মল
Posted on 12 Jan, 2017 10:03 AM

মরুভূমিতে ত্রিশ হাত গভীর কুণ্ডে পরিপূর্ণ জল রয়েছে, অথচ ত্রিশ ফোঁটা জলও বালিতে শুষে নেবে ন

রাজস্থানের রজতবিন্দু
Posted on 12 Jan, 2017 09:45 AM

প্রতিদিন একটা করে সোনার ডিম দেওয়া হাঁসের গল্পটার কথাই মনে পড়ে ও প্রসঙ্গে l প্রতিদিন মাত্

पुस्तक परिचय - जल और समाज
Posted on 10 Jan, 2017 01:01 PM
यह पुस्तक उस तालाब व्यवस्था को प्रस्तुत करती है जिसने बीकानेर के इतिहास को सींचा और उसके भविष्य की आशा भी बँधाती है।
पुस्तक परिचय - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास
Posted on 10 Jan, 2017 11:11 AM
बुन्देलखण्ड 30 लाख हेक्टेयर भूमि का क्षेत्र है, जिसमें लगभग 25 लाख हेक्टेयर में कृषि की जाती है परन्तु सिंचाई के अभाव के कारण कृषि अविकसित ही रहती है। चन्देलों एवं बुन्देल राजाओं ने अपनी प्रजा की जलापूर्ति हेतु गाँव-गाँव में तालाबों का निर्माण कराकर वर्षा के बहते धरातलीय जल का संग्रहण कर दिया था। उन प्राचीन तालाबों में निरन्तर मिट्टी, बालू एवं अन्य बेकार तत्व जमा होते रहे जिससे उनकी जल भण्डा
बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास
दिव्य प्रवाह से अनंत तक
Posted on 08 Jan, 2017 02:37 PM
सन 1950 में सेना की नौकरी में लेफ्टिनेंट का पद छोड़ श्री मैलविल डी मैलो ने आकाशवाणी में उद्घोषक की तरह काम प्रारम्भ किया था। अपनी खनकती आवाज और भाषा की समृद्धि के अलावा मन की उदारता और गहराई ने श्री डी मैलो को इतनी ऊँचाई दी कि उनके शब्दों ने रूपों का भी आकार ले लिया था। उस दौर में टेलिविजन नहीं था पर श्री डी मैलो के शब्द उसकी कमी को सहज ही पूरा कर देते थे। गाँधीजी की अंतिम यात्रा का उनके द्व
दुर्योधन का दरबार
Posted on 08 Jan, 2017 12:21 PM
महाभारत के समय दुर्योधन का दरबार राजधानी में ही था। सीमित था एक जगह। लेकिन आज यह दरबार भारत में गाँव-गाँव पहुँच गया है। महा विशेषण भारत से हट कर मानो दरबार के साथ लग गया है- महादरबार। क्या होता था उस दरबार में?
शिक्षा के कठिन दौर में एक सरल स्कूल
Posted on 08 Jan, 2017 11:29 AM

देश भर की शिक्षा पर नीतियों के या कहें अनीतियों के उल्का पिंड गिराने वाले सरकारी लोगों को

आने वाली पीढ़ियों से कुछ सवाल
Posted on 08 Jan, 2017 10:54 AM
पिछले 25 वर्षों से सारे राजनैतिक लोगों के लिये कुर्सी का एक खेल बनी नर्मदा-योजना के बारे में एक बार फिर विवाद का बवंडर उठ खड़ा हुआ है। राजकोट, अहमदाबाद, सूरत और बड़ोदरा के नगर-निगमों के चुनावों में स्थानीय प्रश्नों और चर्चित घोटालों को एक बोरे में बन्द करके सब लोग ‘हमको तो नर्मदा का पानी चाहिए’ की रट के साथ अपने-अपने हथियारों को सान पर चढ़ाने के काम में जुट गए थे। नर्मदा के नाम का चाब
पुस्तक परिचय - अज्ञान भी ज्ञान है
Posted on 08 Jan, 2017 10:27 AM
यह पुस्तक एक संकलन है। यह संकलन अनुपम मिश्र द्वारा सम्पादित ‘गाँधी मार्ग’ द्वैमासिक पत्रिका में छपे लेखों का सुन्दर नमूना है। शुरुआत विनोबाजी के एक व्याख्यान से होती है। गाँधीजी ने ‘सत्याग्रह’ शब्द पर जोर रखा, विनोबा जी ने ‘सत्याग्रही’ होने के साथ ‘सत्यग्राही’ होने की शर्त भी जोड़ दी। इस संकलन के आलेख दोनों दृष्टियों से खरे हैं, वे ‘सत्याग्रही’ और ‘सत्यग्राही’ दोनों हैं।
अज्ञान भी ज्ञान है
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