पुस्तक परिचय - बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास
बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

बुन्देलखण्ड 30 लाख हेक्टेयर भूमि का क्षेत्र है, जिसमें लगभग 25 लाख हेक्टेयर में कृषि की जाती है परन्तु सिंचाई के अभाव के कारण कृषि अविकसित ही रहती है। चन्देलों एवं बुन्देल राजाओं ने अपनी प्रजा की जलापूर्ति हेतु गाँव-गाँव में तालाबों का निर्माण कराकर वर्षा के बहते धरातलीय जल का संग्रहण कर दिया था। उन प्राचीन तालाबों में निरन्तर मिट्टी, बालू एवं अन्य बेकार तत्व जमा होते रहे जिससे उनकी जल भण्डारण क्षमता उत्तरोत्तर कम होती गई।

तालाबों के बाँधों से पानी रिस-रिस (झिर-झिर) कर बहता रहा। कुछ तालाब टूट-फूट गए, जिनमें बाहुबली, धनबली एवं राज्य सरकारों के संरक्षित कृपापात्र दबंग खेती करने लगे। कुछ गरीब, पिछड़े परन्तु चतुर लोग तालाबों के जल भराव क्षेत्र में रबी (उन्हारी) की फसल बोकर लाभ कमाने की लालच में बाँध तोड़कर रातों-रात तालाबों का पानी निकाल देते और सम्पूर्ण ग्राम समाज को जलविहीन कर देते हैं। वे गरीब ग्राम निवासियों एवं पशुओं को बूँद-बूँद जल को तरसा देते हैं।

चन्देलों एवं बुन्देलों के शासनकाल में बुन्देलखण्ड में जल संग्रहण व्यवस्था समूचे भारत के अन्य भू-भागों की तुलना में अच्छी रही। गाँव का पानी गाँव के ही तालाबों में संचित होता रहा और गाँव के चारों तरफ तालाबों के निर्माण की परम्परा रही। इतना ही नहीं लोग बरसाती जल को संग्रहीत करने की दिशा में भी सचेत रहे। लेकिन धीरे-धीरे लोगों में उदासीनता बढ़ी जिसका दुष्परिणाम गहरे जल संकट के रूप में सामने आया।

पानी के अभाव में तरसते बुन्देलखण्ड वासियों के दुःख-दर्द को सामने लाने के साथ-साथ प्रस्तुत पुस्तक में डॉ. काशीप्रसाद त्रिपाठी ने यहाँ की जल प्रबन्धन व्यवस्था और पुराने तालाबों, जलस्रोतों के ईमानदारी एवं निष्ठापूर्वक जीर्णोद्धार करने की नीति बनाने और उसे जीवन की धड़कन से जोड़ने पर खासा बल दिया है जिससे पानी एवं रोटी की तलाश में भटकते बुन्देलखण्ड के लोगों को राहत मिल सके। यह पुस्तक बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन पर रोशनी डालने और अपनी विरासत के प्रति लोगों को सजग करने में पूरी तरह समर्थ है।

 

बुन्देलखण्ड के

तालाबों एवं जल प्रबंधन का इतिहास

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क्रम

अध्याय

1

बुन्देलखण्ड के तालाबों एवं जल प्रबन्धन का इतिहास

2

टीकमगढ़ जिले के तालाब एवं जल प्रबन्धन व्यवस्था

3

छतरपुर जिले के तालाब

4

पन्ना जिले के तालाब

5

दमोह जिले के तालाब

6

सागर जिले की जलप्रबन्धन व्यवस्था

7

ललितपुर जिले के तालाब

8

चन्देरी नगर की जल प्रबन्धन व्यवस्था

9

झांसी जिले के तालाब

10

शिवपुरी जिले के तालाब

11

दतिया जिले के तालाब

12

जालौन (उरई) जिले के तालाब

13

हमीरपुर जिले के तालाब

14

महोबा जिले के तालाब

15

बांदा जिले के तालाब

16

बुन्देलखण्ड के घोंघे प्यासे क्यों

 

सन्दर्भित ग्रन्थ सूची


1. बाँदा जिला ग.-डी. पी. वरुण, 1980-उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

2. जालौन जिला ग.-बलवंत सिंह, 1989-उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

3. हमीरपुर जिला ग.-बलवंत सिंह, 1988-उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ

4. खजुराहो-डिपार्टमेंट ऑफ आर्कलियोजी इन इंडिया 1952, नई दिल्ली

5. वीर सिंह चरित्र (अंग्रेजी), चिरंजीलाल माथुर प्रकाशन-ओरछा स्टेट 1924 ई.

6. मध्य प्रदेश सन्दर्भ-दैनिक नई दुनिया-इन्दौर, 1998-99

7. इब्नबतूता-मुहम्मद हुसैन लाहौर-1898 बौ. 2, पृ. 263-64

8. बुन्देलखण्ड की विरासत (ओरछा), महाकवि केशव अध्यापन एवं अनुसंधान केन्द्र

9. ‘बिन पानी सब सून’, नया ज्ञानोदय विशेषांक, अंक-13, मार्च, 2004, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली

10. द अर्ली रूलर्स ऑफ खजुराहो-एस. के. मित्रा, 1958 कलकत्ता।

11. वीर सिंह चरित-केशवदास

12. चन्देल और उनका राजत्व काल-केशव चन्द्र मिश्र

13. कवि प्रिया-केशवदास

14. बुन्देलखण्ड का इतिहास-पहला भाग-दीवान प्रतिपाल सिंह, 1928 ई.

15. ईस्टर्न स्टेट्स ग. (बुन्देलखण्ड) 1907 ई., कर्नल लुआर्ड

16. विन्ध्य भूमि-प्रदेश परिचय अंक, 1956 ई.

17. छतरपुर जिला ग.-एस.डी.गुरु 1962, जिला ग. विभाग मध्य प्रदेश, भोपाल

18. दमोह जिला ग.- प्रेमनारायण श्रीवास्तव 1980-जि. ग. विभाग मध्य प्रदेश भोपाल

19. सागर : विरासत और विकास-पी. राघवन, 1992

20. पानी-अनुपम मिश्र, दिल्ली

21. चन्दैरी-इतिहास और विरासत-मुजफ्फर अहमद अंसारी, 2005 ई.

22. आल्हा समर सारावली-मुंशी ईश्वरी प्रसाद खरे, 1909, नर्मदा प्रिंटिंग प्रेस जबलपुर

23. सागर जि. ग.-बी. एस. कृष्णन-जिला ग. विभाग-मध्य प्रदेश, भोपाल

24. दतिया जि. ग.-पी. एन. श्रीवास्तव जि. ग. विभाग मध्य प्रदेश, भोपाल

25. झाँसी जिला ग.-इ. बी. जोशी-उ.प्र. सरकार, लखनऊ, 1964

26. प्यासा बुन्देलखण्ड-सं. कैलास मड़वैया-अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड, साहित्य एवं संस्कृति परिषद, भोपाल, 2008 ई.

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