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August 11, 2024 Even in the face of daunting challenges like climate change, collective action and community engagement can lead to meaningful change
SeasonWatch tree walk at Rupa Rahul Bajaj Centre for Environment and Art (Image: SeasonWatch)
May 19, 2024 The surprising connection between Wikipedia, beaches, and your water bottle.
A top down image of a lush green forest in a sacred grove in Meghalaya (Image created by: Sreechand Tavva)
May 11, 2024 Deforestation, expansion of agricultural land, encroachment into forested areas, and unplanned urbanisation alter landscape connectivity, fragment habitats, and increase fire ignition sources.
Uttarakhand's wildfire wake-up call (Image: Pickpic)
May 8, 2024 What is the ecosystem based approach to water management? How can it help in solving the water woes of states in the Deccan Plateau?
An ecosystem based approach to water management (Image Source: India Water Portal)
May 26, 2023 Orans are traditional sacred groves found in Rajasthan. These are community forests, preserved and managed by rural communities through institutions and codes that mark such forests sacred. Orans have significance for both, conservation and livelihood. The author visited two orans in Alwar district in Rajasthan and in this article, she writes about her observation.
Since ancient times, communities in Rajasthan have preserved these orans, and their lives have been inextricably entwined with them. (Image: Ranjita Mohanty)
जंगल बचाने की नई मुहिम
Posted on 07 Jun, 2013 10:30 AM वनाधिकार कानून बन जाने के बावजूद वनों पर आश्रित आबादी अपने राज्यसत्ता और कॉरपोरेट घराने नई किस्म की दुरभिसंधि में मशगूल हैं। ऐसे में ये वंचित और उनके बीच काम करने वाले संगठन देश भर में आंदोलन छेड़ने की तैयारी में लगे हुए हैं। वन संपदा को बचाने की इस व्यापक सामाजिक पहल के बारे में बता रही हैं रोमा।
जलते पहाड़
Posted on 27 Jun, 2012 09:50 AM उत्तराखंड के पहाड़ों में फिर आग लगी है। रानीखेत, कौसानी, बागेश्वर में इस समय ठंडी बयार की जगह धुआं और बदबुदार हवा नसीब हो रही है। देखने में यह आया है कि जंगलो की आग का क्षेत्रफल बढ़ा है और बारम्बारता बढ़ी है। सरकारी उदासीनता और वन माफियाओं ने जंगल की आग को और भयावह बना दिया है, बता रहे हैं गोविंद सिंह।
जलते पहाड़
आधुनिक विकास के दौड़ में खत्म होते जंगल
Posted on 04 Jun, 2012 09:41 AM प्रकृति ने जिस जंगल को हमें देकर न केवल जंगल में औषधि, पशु-पक्षी आदि को अपने गोद में पाला बल्कि हमें भी अपने ही गोद में पालकर अनेक प्रकार के प्राकृतिक औषधियां, पानी, लकड़ी सभी चीजों को उपलब्ध कराया आज उसी जंगल को हम उजाड़ने में लगे हैं कहीं खनन करके तो कहीं बांध बांधकर अपने आधुनिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए इन जंगलों को खत्म करने के होड़ में लगे हैं।
बचे रहें जंगल
Posted on 22 Sep, 2011 05:20 PM

चीड़ के जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं का असर पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी पड़ा। इससे सिंच

मध्य प्रदेश में जंगल
Posted on 26 Feb, 2011 04:34 PM

मध्यप्रदेश अपनी विविधता के लिये जाना-पहचाना जाता है। विकास और सामाजिक परिवर्तन के प्रयासों के संदर्भ में भी जितने प्रयोग और परीक्षण इस प्रदेश में हुए हैं; संभवत: इसी कारण इसे विकास की प्रयोगशाला कहा जाने लगा है। मध्यप्रदेश में राजस्व और वनभूमि के संदर्भ में भी विवाद ने नित नये रूप लिये हैं और अफसोस की बात यह है कि यह विवाद सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है। इस विषय को विवादित होने के कारण नजरअंदाज

बदलते वन परिदृश्य में वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में शोध आवश्यकताएं
वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। वनों के प्रकार और प्रबंधन पद्धतियाँ जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं को प्रभावित करती हैं, जैसे अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अंतःस्यंदन और अपवाह. वनीय-जलविज्ञान वन और जल के संबंध को समझने में मदद करता है। वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान वन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में मदद करेगा। उपयोगिता और महत्व के बारे में जानिए Posted on 09 Jul, 2024 08:50 AM

सारांश: वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर अनेक वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। अतः सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। यह एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सत्य है कि वनों के प्रकार एवं उनकी प्रबन्धन पद्धतियाँ विभिन्न जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं उदाहरणतः अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अन्तःस्यंदन तथा अपवाह में उपलब्ध पोषकों एवं अवसाद की मात्रा को प्रभावित क

(छवि: अश्विन कुमार, विकिमीडिया कॉमन्स)
आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
जाने सरकारो द्वारा पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद क्यों कागजों पर उग रहे हैं असंख्य पेड़ Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PM

सरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
जानिए वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध के बारे में
Posted on 14 Mar, 2024 03:08 PM

वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध है। मानव अपनी सभी उमंगों का आनंद वन और पर्यावरण के संग ही पा सकता है। प्रकृति की हरियाली और शीतल वायु सभी का मन मोह लेती है, यहाँ आ कर मनुष्य अपनी सारी थकावट और मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है। प्रकृति की गोद में पर्यावरण के संग रहना ऐसा सुखद लगता है जिसका वर्णन शब्दों में करना बहुत कठिन है। वनों और संतुलित पर्यावरण से ही हमारा अस्तित्व है, वनों का विनाश मानव

वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
अनेक रूपों में मौजूद है बांस | Bamboo Characteristics & Uses
जानिए बांस के उपयोग और फायदे के बारे में | Get information on uses and benefits of bamboo Posted on 01 Jan, 2024 12:18 PM

सदियों पुरानी घास की प्रजाति बांस सिर्फ वंश बढ़ने का आशीर्वाद ही नहीं देता, दूसरे पौधे को कटने से भी बचाता है। मांगलिक कार्यों के गवाह बनने वाले बांस की खेती अब आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर कई नए रूपों में सामने आ रही है। बांसुरी तो बजती ही हैं, इस खेती ने रोजगार के कई और राग भी छेड़े हैं।

अनेक रूपों में मौजूद है बांस
वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा
उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में वनों को वरन् वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है. राज्य में वनों का अस्तित्व देखा जाए तो 40-50 वर्ष पूर्व राज्य में बाज, उतीस, खड़िग, भीमल, क्वैराल, पदम, काफल, बेडू जैसी प्रजातियों के जंगल हुआ करते थे, Posted on 22 Dec, 2023 02:23 PM

उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में वनों को वरन् वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है.

वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा,Pc-चरखा फीचर
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