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सूखा और बाढ़
भारतवर्ष में जल संसाधन प्रबन्धन के क्षेत्र में प्रमुख समस्याएँ एवं समाधान
Posted on 15 Mar, 2016 03:42 PMकिसी देश की आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि को सुरक्षित रखने हेतु यह आवश्यक है कि देश में कृषि, उद्योगों एवं घरेलू उपयोग के क्षेत्रों के लिये आवश्यक स्वच्छ जल की पर्याप्त उपलब्धता हो।
उत्तराखण्ड की बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ
Posted on 07 Mar, 2016 04:17 PM1868: बादल फटने से चमोली स्थित ‘बिरही’ की सहायक नदी में भू–स्खलन से 73 मरे।
19 सितंबर, 1880: नैनीताल में हुए भू–स्खलन से 151 लोगों की मौत।
1893–94: बिरही नदी में चट्टान गिरने से बड़ी झील बनी, जिसके फूटने से हरिद्वार तक 80 लोगों की मौत तथा संपत्ति का नुकसान।
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ती प्राकृतिक आपदाएं कारण तथा समाधान
Posted on 07 Mar, 2016 04:05 PMसूखा बुन्देलखण्ड
Posted on 12 Feb, 2016 04:40 PM
अवर्षा, असमय वर्षा, अल्प वर्षा इन सब में सूखा आता है। बुन्देलखण्ड में पिछले लगभग एक दशक में सबसे अच्छी वर्षा 2012 और 2013 में ही हुई। बाकी के साल अल्प वर्षा के रहे। 2013 का साल अति वर्षा का रहा, और 2012-13 मे भी आँधी-तूफान और ओला वर्षा ने फसलों का काफी नुकसान किया। यानी कह सकते हैं कि बुन्देलखण्ड में किसानी के लिये पिछला दशक ही अच्छा नहीं रहा है। 10-12 सालों से अल्प वर्षा और कभी- कभार अति वर्षा और ओला वर्षा की मार झेलते- झेलते बुन्देलखण्ड के किसान और किसानी दोनों टूट गये हैं।
बुन्देलखण्ड में किसानी सबसे बुरे दौर में है। आये दिन सूखी फसलों को देखकर सदमे से किसानों की मौत हो रही है। जालौन के सिरसाकलार थाना क्षेत्र के गाँव पिथऊपुर के किसान लालाराम ने 10 बीघा जमीन में गेहूँ की फसल लगायी थी, फसल अच्छी नहीं हुई, जिससे दुखी होकर लालाराम ने खाना-पीना छोड़ दिया और 22 अप्रैल को सदमे में उसकी मौत हो गयी।
मवेशियों पर सूखे की मार से बेखबर समाज
Posted on 12 Feb, 2016 03:16 PMमौसम में बदलाव के साथ बुन्देलखण्ड में अभी सूखे की आग और भड़क
बाढ़ से तबाही
Posted on 12 Feb, 2016 12:30 PMपूर्वांचल की इस बाढ़ ने शहरों और गाँवों तक में जीवन जीना मुहाल कर दिया है। लोग किसी तरह जी रहे हैं। रात में आई बाढ़ की वजह से जान-माल के नुकसान का आकलन भी असम्भव है। बाढ़ में फँसे 12 लाख लोगों तक राहत सामग्री पहुँचाई जा रही है, लेकिन यह राहत सामग्री बाढ़ में फँसे लोगों के लिये ऊँट के मुँह में जीरा के समान है।
महाविनाश
Posted on 08 Feb, 2016 11:22 AMकाठमांडू में प्रकृति का कहर बरपा है। वहाँ पर कुछ भी पहले जैसा नहीं रह गया। सब कुछ बर्बाद हो गया। बड़ी-बड़ी ऐतिहासिक धरोहरें जमींदोज हो गई हैं। बचा है तो बस पशुपति नाथ का मन्दिर। बाकी सब धरती के कोप का भाजन बन गया है। यहाँ 25 अप्रैल 2015 को धरती हिली थी। वह भी ऐसी हिली की घर-घर के तबाह हो गए। तबाही का यह मंजर 80 साल बाद सामने आया है। मगर उस समय भूकम्प का
आपदा ने उजाड़ा आदमी ने बेचा
Posted on 07 Feb, 2016 10:46 AMनेपाली किशोरियाँ भूकम्प से बचीं तो सेक्स रैकेट के चंगुल में फँस गर्इं। आगरा में ऐसी ही ती
पानी को सहेजने से मिटेगा सूखा
Posted on 05 Feb, 2016 01:26 PMप्रदेश का पूरा सरकारी अमला आज किसानों के जीवन में खुशहाली लाने में पूरी तन्मयता से जुट गय