सतही पानी

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January 2, 2023 अनुपम मिश्र या हम सबके प्रिय पमपम पर पाँच साल पहले लिखा गया श्रवण गर्ग का यहआलेख है। अनुपम भी उनके द्वारा तलाशे गए तालाबों की तरह से ही खरे थे। अनुपम ने तो तालाबों को उनके दूर होते हुए भी खोज लिया । हम उन्हें अपने इतने नज़दीक होते हुए भी खोज नहीं पाए। 19 दिसम्बर को अनुपम की पुण्यतिथि थी।
अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान में। फोटो - सिविल सोसाइटी, लक्ष्मण आनंद
January 1, 2023 Results show the impacts of agricultural productivity boosts in India can be highly heterogeneous
Buckingham canal near Kasturba Nagar, Adyar (Image: India Water Portal)
December 25, 2022 A study develops a prototype method by employing the remote sensing-based ecological index
rigorous post-implementation monitoring and impact assessment of assets is needed (Image: UN Women)
October 6, 2022 In an effort to inform the general public, especially citizen activists, policymakers, researchers, and students, about the current status of the Vrishabhavathi river, Paani.Earth has created the necessary maps, data, analysis, and information to drive conservation awareness and action around the river.
Vrishabhavathi river (Image Source: Paani.Earth)
August 9, 2022 Ensuring irrigation through farm ponds in tribal Chhattisgarh
Many tribal farmers opted for individual farm ponds under MGNREGA ensuring protective irrigation. (Image: Meenakshi Singh)
November 8, 2020 The National Hydrology Project has created a national platform for water data and is working to enhance the technical capacities of agencies dealing with water resources management.
Breakthrough cloud computing facilities and remote sensing applications have helped showthe filling pattern of a water body (tank or reservoir) through freely available satellite imagery at an interval of five days.  (Image: Maithan dam, Wikimedia Commons)
भारत में जल प्रबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Prospects and challenges of water management in India: A scientific approach)
सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं में बदलाव और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पिछले कुछ दशकों में भारत में पानी की मांग बढ़ रही है।भारत के जल संसाधनों के सतत, न्याय संगत और कुशल प्रबंधन को विकसित करने में कई चुनौतियाँ हैं। पहला, विभिन्न क्षेत्रों में पानी की मांग, प्रकृति और गुणवत्ता दूसरा प्रौद्योगिकी चुनौतियां। Posted on 14 Oct, 2023 01:25 PM

सारांश 

पूरे भू-गर्भीय युग में भारत एक जल कुशल देश रहा है। लेकिन पिछले कुछ दशकों के दौरान देश के कई हिस्सों में पानी की कमी के कारण अभूतपूर्व घटनाएँ हुई हैं। सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं में बदलाव और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पिछले कुछ दशकों में भारत में पानी की मांग बढ़ रही है। भू-जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर गिरता जा रहा है और भूजल की

भू-जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन
गंगा महाबैठक का निमंत्रण
मां गंगा पर आश्रित इकोलॉजी एवं जन समूह का बच पाना एक मूल प्रश्न है जिसका उत्तर ऐसा हो जिसमें मां गंगा के दैविक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, बौद्धिक, और वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं का सही मिश्रण, समीकरण और संतुलन हो, अत: हम सब साथ मे चर्चा करें ताकि आगे की कानूनी, सरकारी पॉलिसी, हस्ताक्षर अभियान एवं दृढ़ जन आंदोलन को रूप दिया जा सके।  Posted on 11 Feb, 2023 12:37 PM

हम सब मां गंगा की मुनाफाखोरों के हाथों हो रही निरंतर निरंकुश अवैज्ञानिक क्षति रोकने के लिए अथक कार्यरत हैं। ताकि मां गंगा की त्रासदी निवारण हो सके और आने वाली पीढ़ियों की संपदा बचाई जा सके। यह भी सत्य है कि हम सब के निजी और संस्था के प्रयत्नों का निचोड़ यही है कि मां गंगा की त्रासदी निरंकुश बढ़ती जा रही है।

फोटो साभार - सचिन सिंह
दक्षिण कोरिया में बढ़ रहा जल का निजीकरण
दक्षिण कोरिया ही जल साक्षरता यात्रा विश्व युद्ध से बचने की शुरुआत कराने का केंद्र बना। यहाँ मैं दुनिया भर के जल कर्मियों, जल वैज्ञानिकों, प्रबंधकों, इंजीनियरों, नेताओं, व्यापारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों आदि से मिला। सभी ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका प्रकट की। इससे बचने की शुरुआत तत्काल करने का निर्णय भी यहीं हुआ।
Posted on 24 Jan, 2023 03:57 PM

दक्षिण कोरिया ही जल साक्षरता यात्रा विश्व युद्ध से बचने की शुरुआत कराने का केंद्र बना। यहाँ मैं दुनिया भर के जल कर्मियों, जल वैज्ञानिकों, प्रबंधकों, इंजीनियरों, नेताओं, व्यापारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों आदि से मिला। सभी ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका प्रकट की। इससे बचने की शुरुआत तत्काल करने का निर्णय भी यहीं हुआ।

स्वाल नदी यात्रा की तस्वीरें
अब उन खरे तालाबों की खोज कौन करेगा? 
अनुपम मिश्र या हम सबके प्रिय पमपम पर पाँच साल पहले लिखा गया श्रवण गर्ग का यहआलेख है। अनुपम भी उनके द्वारा तलाशे गए तालाबों की तरह से ही खरे थे। अनुपम ने तो तालाबों को उनके दूर होते हुए भी खोज लिया । हम उन्हें अपने इतने नज़दीक होते हुए भी खोज नहीं पाए। 19 दिसम्बर को अनुपम की पुण्यतिथि थी। Posted on 02 Jan, 2023 12:23 PM

अनुपम मिश्र या हम सबके पमपम अब हमारे बीच नहीं हैं। वे चुपचाप चले गए। अनुपम का जिंदगी को जीने का तरीका भी यही था। टायर के सोल वाली रबर की चप्पल पहनकर जब ये चलते थे तो उनके पैर आवाज नहीं करते थे। अनुपम अपने सारे काम चुपचाप रहकर करते रहते थे। चुप रहकर काम करने को अनुपम ने अपने स्वभाव में कुछ इस तरह से पिरो लिया था कि अपने अंदर की 'तकलीफों को भी उन्होंने और किसी के साथ कभी नहीं बांटा।

अनुपम मिश्र, गांधी शांति प्रतिष्ठान में। फोटो - सिविल सोसाइटी, लक्ष्मण आनंद
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