फॉर वाटर

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January 9, 2023 हाल ही में भोपाल में संपन्न ‘वॉटर विजन - 2047 पर मंथन किया गया। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सम्मेलन में जल सुरक्षा की चुनौतियों से निबटने के लिए प्रधानमंत्री के '5पी' यानी पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोक वित्त) पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टसिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) को आधार बनाया गया है। जिसमें राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार तथा जल शक्ति मंत्रालय की योजनाओं को साझा करना शामिल है।
Flooding, a regular event in Chennai city (Image Source: IWP Flickr photos)
जल क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के निराकरण में वैश्विक संगठनों विशेष रूप से यूनेस्को का योगदान (भाग 1)
यूनेस्को का उद्देश्य शांति एवं सुरक्षा के लिए योगदान करना है, जिसकी पूर्ति हेतु शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के द्वारा राष्ट्रों के मध्य निकटता की भावना का निर्माण करना है। यूनेस्को ने प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान के विकास पर बहुत अधिक ध्यान दिया है। यूनेस्को के माध्यम से वैज्ञानिक सहयोग की पृष्ठभूमि का उचित निर्माण हुआ है। जल संरक्षण के साथ-साथ यह संगठन मरुप्रदेशों को उर्वरक बनाने के सम्बन्ध में अनेक देशों में जो प्रयोग हो रहे हैं उसमें भी अपनी महती भूमिका निभा रहा है। Posted on 31 Jul, 2024 03:32 PM

संयुक्त राष्ट्र संघ आधिकारिक रूप से 24 अक्टूबर, 1945 को अस्तित्व में आया था जब मूल 51 सदस्य देशों ने बहुमत से संयुक्त राष्ट्र चार्टर की पुष्टि की थी। यह दिन अब प्रत्येक वर्ष दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ के 193 सदस्य देश हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को कायम रखने के लिए की गई है। संयुक्त राष्ट्

युनेस्को का इस बार का थीम है 'वाटर फार पीस'
भारतीय लोक संस्कृति और साहित्य में जल की महिमा
भारतीय धर्म, संस्कृति और साहित्य में जल को अमृत तुल्य और जीवनदाता माना गया है। एक ओर जहां जल को प्रदूषित न करने की बात कही गई है, वहीं दूसरी ओर उसका संरक्षण यानी अपव्यय न करने की बात कही गई है। सभी धर्मों में इसकी महत्ता को समझाया गया है। Posted on 10 Jun, 2024 06:25 AM

यदि हम प्राचीन ग्रंथों की बात करें तो ऋग्वेद में जल संरक्षण करने का उल्लेख मिलता है। अथर्ववेद में भी लोगों को जल संरक्षण के लिए आगाह किया गया है। इसके अलावा, तैतरीय उपनिषद, छांदग्योपनिषद और शंख स्मृति में भी कहा गया है कि पानी असीमित नहीं है, उसकी मात्रा निश्चित है। इसलिए उसे बचाने की चेतावनी दी गई है।

लोक साहित्य में जल
मिलकर भविष्य संवारें
दुनिया का बदलता मौसम समय के गहराते संकट को हमारे परिभाषित कर रहा है- और यह काम जितनी गति से हो रहा है, उसकी हमने कल्पना भी नहीं की थी।  लेकिन इस वैश्विक संकट के सामने हम उतने असहाय नहीं हैं जितना हम समझ रहे हैं।  मौसम का यह संकट-काल भले ही आज हमें हारी हुई स्पर्धा लग रहा हो, पर हम यह मुकाबला जीत सकते हैं।  Posted on 09 Jun, 2024 07:24 PM

क्लाइमेट में हो रहे परिवर्तन के खतरनाक परिणामों से विश्व का कोई कोना अछूता नहीं है।  बढ़ता तापमान पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति को, प्राकृतिक विनाश को, खाद्यान्न और पानी की असुरक्षा, आर्थिक उतार-चढ़ाव को, अन्य संघर्षों को बढ़ावा ही दे रहा है।  समुद्र का जल-स्तर बढ़ रहा है, आर्कटिक पिघल रहा है, कोरल रीफ मर रहे हैं, समुद्रों में तेज़ाब की मात्रा बढ़ रही है, जंगल जल रहे हैं।  स्पष्ट है स्थितियां अनुक

बेहतर धरती के भविष्य के लिए
संयुक्त राष्ट्रसंघ के जलशांति वर्ष-2024 के अवसर पर एक अपील
मानवीय जीवन में जब जल का तीर्थपन था, तब मानवीय मन में जल-सुरक्षा, शांति और सम्मान भी था।  जल के बाजारू दुरुपयोग और दुर्व्यवहारों ने बहुत कुछ बदल दिया है।  इसीलिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने न्यूयॉर्क के दूसरे विश्व सम्मेलन में 2024 को जलशांति वर्ष घोषित कर दिया है।  Posted on 09 Jun, 2024 02:55 PM

भारत में हम लोग जल को शांति का प्रतीक मानते आये हैं।  जब भी हम यज्ञ अग्नि से करते हैं, तो उसकी शुरूआत, और सम्पन्नता भी, जल से ही होती है।  यज्ञ-स्थल की जल से परिक्रमा करके, शांति को आहूत करते हैं।  मतलब यह कि भारत जलशांति, व्यवहार, संस्कार और तीर्थपन में सदाचारी रहा है।  भारत और दुनिया के सभी धर्मों में जल को जीवन आधार माना गया है।  सभी धर्मों में अलग- अलग तरीकों से इसके दर्शन होते हैं। 

संयुक्त राष्ट्रसंघ का जलशांति वर्ष-2024
भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के घोषणा पत्रों में बस इतना सा है पर्यावरण

पर्यावरण का मुद्दा पिछले दशकों में काफी चर्चा में रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की बात हो या पीने के पानी की समस्या या फिर गिरता भू-जल स्तर, सभी चिंता के विषय हैं। ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती गर्मी ने प्रथम चरण के औसतन मतदान को भी प्रभावित किया है। भाजपा का 'पर्यावरण अनुकूल' बनाम कांग्रेस का 'पर्यावरण न्याय' है, पर दोनों केवल नारों जैसे ही लगते हैं। फिलहाल धरती के खतरे के प्रति लापरवाही ही दिखती है। The issue of environment has been much discussed in the last decades. Be it global warming or the problem of drinking water or falling ground water level, all are matters of concern. The increasing heat due to global warming has also affected the average voting in the first phase. There is BJP's 'Environment Friendly' versus Congress's 'Environment Justice', but both seem just like slogans. At present, there seems to be indifference towards the danger to the earth.
Posted on 01 May, 2024 09:40 AM

पर्यावरण का मुद्दा पिछले दशकों में काफी चर्चा में रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की बात हो या पीने के पानी की समस्या या फिर गिरता भू-जल स्तर, सभी चिंता के विषय हैं। ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ती गर्मी ने प्रथम चरण के औसतन मतदान को भी प्रभावित किया है। भाजपा का 'पर्यावरण अनुकूल' बनाम कांग्रेस का 'पर्यावरण न्याय' है, पर दोनों केवल नारों जैसे ही लगते हैं। फिलहाल धरती के खतरे के प्रति लापरवाही ही दिखती है।

घोषणा पत्रों में पर्यावरण नाममात्र
जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवरों की बढ़ती जरूरत
जल संरक्षण व प्रबंधन समस्याओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन के पेशेवरों की जरूरत बढ़ रही है। Posted on 19 Jul, 2023 11:34 AM

जल संरक्षण व प्रबंधन पर अब विभिन्न सरकारें और औद्योगिक प्रतिष्ठान भी ज्यादा जोर दे रहे हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए जल प्रबंधन के पेशेवरों की जरूरत बढ़ रही है। ये ऐसे प्रशिक्षित लोग होते हैं, जिन्हें वॉटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट तथा वॉटर रिसाइक्लिंग की अच्छी समझ होती है।

जल प्रबंधन में प्रशिक्षित पेशेवर,PC-नीड पिक्स
आसान नहीं वॉटर विजन@2047 की डगर
हाल ही में भोपाल में संपन्न ‘वॉटर विजन - 2047 पर मंथन किया गया। दो दिवसीय इस राष्ट्रीय सम्मेलन में जल सुरक्षा की चुनौतियों से निबटने के लिए प्रधानमंत्री के '5पी' यानी पॉलिटिकल विल (राजनीतिक इच्छा शक्ति), पब्लिक फाइनेंसिंग (लोक वित्त) पार्टनरशिप (साझेदारी), पब्लिक पार्टसिपेशन (जन भागीदारी) और परसुयेशन फॉर सस्टेनेबिलिटी (निरंतरता के लिये प्रेरणा) को आधार बनाया गया है। जिसमें राज्यों के साथ संलग्नता व साझेदारी में सुधार तथा जल शक्ति मंत्रालय की योजनाओं को साझा करना शामिल है। Posted on 09 Jan, 2023 02:30 PM

वृहरारण्यीकोपनिषद के अनुसार-जल जगत के प्राण हैं। समस्त भूत, भुवन, चर और अचर जगत जल पर आश्रित हैं। सार्वभौमिक सत्य है कि जल ही जीवन का सार है जिसके बिना जीवन की परिकल्पना करना व्यर्थ है। ऐसे में जल की महत्ता को देखते हुए इसके संरक्षण सुरक्षा प्रबंधन व गुणवत्ता सुनिश्चित करने का दायित्व हमको लेना होगा। 
 

Flooding, a regular event in Chennai city (Image Source: IWP Flickr photos)
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