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नदियां
ब्रह्मपुत्र नदी के कटाव से असम में जबरदस्त भूक्षरण
Posted on 05 Feb, 2010 04:07 PM
असम में ब्रह्मपुत्र नदी के तट के इलाके जबरदस्त कटाव से प्रभावित हो रहे हैं। लगातार हो रहे कटाव से राज्य की करीब चार हजार वर्ग किलो मीटर भूमि का क्षरण हो चुका है और इससे करीब 2,500 गांवो में बसे 50 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। एक अनुमान के मुताबिक राज्य में होने वाला यह भूक्षरण करीब 80 वर्ग किलो मीटर प्रतिवर्ष के हिसाब से बढ़ रहा है। इस मामले में राज्य के जल संसाधन विभाग ने 25 संवेदनशील और अति क्षरणीय स्थलों की पहचान की है।
छत्तीसगढ़ में है नदियों का गुम्फन
Posted on 05 Feb, 2010 12:27 PMहमारी भारतीय संस्कृति में अन्य प्राकृतिक उपादानों की तरह नदियों का भी अपना एक अलग विशेष महत्व है। वेद पुराणों में नदियों की यशोगाथा विद्यमान है। नदियाँ हमारे लिए प्राणदायिनी माँ की तरह हैं। नदियों के साथ हमारे सदैव से भावनात्मक संबंध रहे हैं औऱ हमने नत-मस्तक होकर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व आस्था प्रकट की है। नदियाँ केवल जल-प्रदायिनी एवं मोक्षदायिनी ही नहीं हैं, बल्कि संस्कारदायिनी भी हैं। नदियाँ
हिमाचल की तीन नदियों में खनन पर रोक
Posted on 03 Feb, 2010 12:27 AMहिमाचल प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय के तहत राज्य से होकर बहने वाली तीन नदियों में खनन पर रोक लगा दी है। इन नदियों में कांगड़ा जिले की चक्की एवं न्यूगल नदियां एवं बिलासपुर जिले की सीयर नदी शामिल हैं। इस निर्णय के बाद इन नदियों पर रेत एवं पत्थरों का खनन पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। राज्य के सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविन्द्र रवि का कहना है कि, इन नदियों में खनन पर इसलिए रो
मालवा की गंगा-शिप्रा
Posted on 26 Jan, 2010 08:56 AMमालवा से प्रकट होकर मालवा में ही आत्मसमर्पित हो जाने वाली नदियों में शिप्रा का नाम अग्रणी है। मालवा के दणिक्ष में विन्ध्य की श्रेणियों के क्षेत्र से प्रकट होती है। शिप्रा और मालवा के मध्योत्तर में चम्बल में यह विलीन हो जाती है। यही नदीं वह तो प्राचीन पूर्व में कालीसिन्ध से उत्तर-पश्चिम में मन्दसौर और दक्षिण में नर्मदा तक व्यापक था। शिप्रा तो नर्मदा से पर्याप्त उत्तर में मालवा के पठार के दक्षिणी सिसंस्कृतियों का जन्म नदियों की कोख से
Posted on 07 Jan, 2010 07:31 PMपानीजब समुद्र से आता है तब बादल
और जाता है तो नदी कहलाता है।
बादल उड़ती नदी है
नदी बहता बादल है!
बादल से वर्षा होती है
वर्षा इस धरती की शालभंजिका है।
उसके पदाघात से धरती लहलहा उठती है।
और जब वर्षा नहीं होती
तब यही काम नदी करती है।
वर्षा और नदी- धरती की दो शालभंजिकाएँ।
विचार और कर्म (कल्पना और यथार्थ)
जोहिला के गहनों पर किसकी नजर
Posted on 28 Nov, 2009 04:03 PMजोहिला, सोन संगम पर स्थित दशरथ घाट की धुधंली सी स्मृति मानस में अभी भी अंकित है। बात काफी पुरानी है, तब मैं दोस्तों के साथ दशरथ घाट का मेला देखने गया था और उस स्थान की विशेषता को नहीं जिसकी वजह से जहां मेला भरा होता है। अमृता प्रीतम की कविता की भाषा में कहना हो तो-‘‘मुझे वह समय याद है-जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उंगली थाम कर अंधेरे का मेला देखता, उस भीड़ में कहीं खो गया.....’’ लेकिन सरसरी अवलोकन मनिर्जला होती नदियाँ
Posted on 24 Nov, 2009 06:49 AMनदियों के प्रति काका कालेलकर का भाव दृष्टव्य है ``नदी को देखते ही मन में विचार आता है कि यह कहां से आती है और कहां जाती है ... आदि और अंत को ढूंढने की सनातन खोज हमें शायद नदी से ही मिली होगी ....। संसार का हर व्यक्ति पेयजल, खाद्य पादर्थ, मत्स्य पालन, पशु पालन, कृषि एवं सिंचाई साधन आदि के लिए नदी जल परम्परा से जुड़ा है। जल चक्र की नियामक धारा स्वरूपा इन नदियों को सहेजना हमारा धर्म है। अब वक्त आ गया है कि हम उन कारणों को खोजे जो हमारी नदियों एवं जल वितरणिकाओं को निर्जला कर रहे हैं। हमारी रसवसना नदियों को सुखाकर अथवा प्रदूषित कर हमारी आँखों में आँसू भर रहे है।नदियाँ गुस्से में हैं
Posted on 20 Nov, 2009 08:06 AMगोण्डा तथा बहराइच में सरयू तथा घाघरा नदियों के धारा बदलने से दर्जनों गावों के अस्तित्व पर संकट है। नदियों के धारा बदलने का काम प्राय: मानवीय हस्तक्षेप का ही परिणाम होता है। नदियों के रास्ते में रुकावट, उनके आगोर के जंगल खत्म होने, उनके ढांड़ को खनन से समाप्त करने आदि नदियों के गुस्सा के कारण होते हैं।पूरी संस्कृति है कावेरी
Posted on 16 Nov, 2009 09:26 AMदक्षिण भारत के कर्नाटक में दो पर्वत मालाएं हैं-पश्चिम और पूर्व, जिन्हें पश्चिमी और पूर्वी घाट के नाम से जाना और पुकारा जाता है। पश्चिमी घाट के उत्तारी भाग में एक बहुत ही सुंदर 'कुर्ग' नामक स्थान है। इसी स्थान पर 'सहा' नामक पर्वत है, जिसे 'ब्रह्माकपाल' भी कहते हैं, जिसके कोने में एक छोटा-सा तालाब है। यही तालाब कावेरी नदी का उद्गम स्थल है। यहां देवी कावेरी की मूर्ति है, जहां एक दीपक सदा जलता रहता