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नदियां
तैरता बिजलीघर
Posted on 02 May, 2011 10:41 AMउत्तराखंड में पानी से बिजली उत्पादन की नई तकनीक का सफल प्रयोग किया गया है, जिसमें टरबाइन नदी क
केन-बेतवा नदी गठजोड़ : शान्त बुन्देलखण्ड में एक भीषण तूफान की दस्तक
Posted on 30 Apr, 2011 10:23 AMएक दिवसीय सत्याग्रह उपवास दिनांक 30 अप्रैल 2011
[img_assist|nid=30183|title=|desc=|link=none|align=left|width=400|height=325]भारत सरकार की नदी गठजोड़ परियोजना के तहत प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में विगत 25 अगस्त 2005 को उ.प्र. तथा म.प्र. सरकारों द्वारा केन-बेतवा नदी गठजोड़ पर त्वरित कार्य स्वीकार किया गया था। इसे समझना बुन्देलखण्ड के परिप्रेक्ष्य में आवश्यक है।
नदियों का पानी पी जाएंगे उद्योग
Posted on 21 Apr, 2011 11:19 AMजलस्तर में लगातार गिरावट
10 वर्षों बाद उपजेगा घोर जल संकट
खतरे में नदियां
Posted on 11 Apr, 2011 08:58 AMविकसित देशों में नदियां सर्वाधिक खतरे में हैं। एक वैश्विक अध्ययन से पता चला है कि नदियों के प्राकृतिक प्रवाह में आ रहे लगातार अवरोधों के कारण नदियों और उसके सहारे चल रहा जीवन और जैव विविधता सभी कुछ संकट में पड़ गए हैं। आवश्यकता इस बात की है कि हम पुनः नदियों के प्राकृतिक प्रवाह को सुनिश्चित करें। सिर्फ मनुष्यों के लिए पानी उपलब्धता सुनिश्चित कराने हेतु नदियों के प्रवाह पर लगती रोक अंततः विनाशका
चित्रकूट की दो नदियां नालों में तब्दील
Posted on 07 Apr, 2011 12:33 PMरामसेतु के साथ राम के चित्रकूट को बचाने की दिशा में आगे आयें समाजसेवी राकेश शर्मा
छत्तीसगढ़ में बिकती नदियां
Posted on 07 Apr, 2011 11:49 AMछत्तीसगढ़ की रमन सरकार भी कांग्रेस के नक्शे कदम पर चलने लगी है। छत्तीसगढ़ जब अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब वर्ष 1998 में पहली बार मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम ने राजनांदगांव के एक व्यापारी कैलाश सोनी को शिवनाथ नदी का पानी बेचने की अनुमति दी थी। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद जब राज्य की सत्ता रायपुर जिले में लंबे समय तक कलेक्टर रहे अजीत प्रमोद कुमार जोगी के हाथों में आई तो उन्होंने भी व
दम तोड़ रही हैं सतपुड़ा की नदियां
Posted on 07 Apr, 2011 11:29 AMआमतौर पर जब कभी नदियों पर बात होती है तो ज्यादातर वह बड़ी नदियों पर केंद्रित होती है। लेकिन इन सदानीरा नदियों का पेट भरने वाली छोटी नदियों पर हमारा ध्यान नहीं जाता, जो आज अभूतपूर्व संकट से गुजर रही हैं। अगर हम नजर डालें तो पाएंगे कि कई छोटी-बड़ी नदियां या तो सूख चुकी हैं या फिर बरसाती नाले बनकर रह गई हैं। गांव-समाज के बीच से तालाब, कुंए और बाबड़ी जैसे परंपरागत पानी के स्रोत तो पहले से ही खत्म ह
नदी
Posted on 31 Mar, 2011 10:46 AMन बैठो चुपन सोचो हो गया सब कुछ
अभी कहाँ हुआ सृजन?
अभी तो रचना है एक संसार
जो होगा तुम्हारा
अभी तो तुम्हारा उद्गम है
नन्हीं नदी की तरह।
बहा दो राह के रोड़ो को
चलो तुम भी पत्थरों में
अपनी राह बुनते हुए
करो कम करने की कोशिश
समन्दर का खार,
आत्मसात कर बुरों को
बना दो अच्छा
नन्हीं नदी की तरह।
न कहो मिल गया सब कुछ